Breaking News

यूपी:संतकबीर नगर में सीएम योगी ने कहा- काशी विश्वनाथ की तर्ज पर विकसित होगा तामेश्वरनाथ धाम कारीडोर

यूपी:संतकबीर नगर में सीएम योगी ने कहा- काशी विश्वनाथ की तर्ज पर विकसित होगा तामेश्वरनाथ धाम कारीडोर

सीएम योगी ने कहा, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडव अपनी माता कुंती के साथ तामेश्वरनाथ धाम में पहुंचे थे। जहां शिव की आराधना के लिए कुंती ने शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर से थोड़ी दूर रामपुर में स्थित एक पोखरे का निर्माण भी पांडवों ने कराया था। जो आज द्वापरा के नाम से जाना जाता है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा तामेश्वरनाथ की धरती से जिले ही नहीं पूर्वांचल को एक बड़ी सौगात दी है। मुख्यमंत्री ने मंच से ही तामेश्वरनाथ धाम में काशी विश्वनाथ तथा मां विन्ध्यवासिनी कारीडोर की तर्ज पर तामेश्वरनाथ धाम में तामेश्वरनाथ धाम कारीडोर विकसित करने की घोषणा की।उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रस्ताव बनाकर शीघ्र ही भेजें, जितनी जल्दी प्रस्ताव मिलेगा, उतनी ही जल्दी, बिना देर किए उसकी स्वीकृति मिल जाएगी। मंच से योगी ने कहा कि आज संतकबीरनगर में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। यहां पर आकर मैं अविभूत हो गया हूं।

यहां के जनप्रतिनिधियों का प्रयास रहा कि मुझे आने का अवसर प्राप्त हुआ। आज इस धाम को विश्वस्तर पर विकसित करने की आवश्यकता है। इसको व्यवस्थित करने की जरुरत है। यहां पर विकास करने के नए प्रतिमान स्थापित करने की आवश्यकता है।योगी ने कहा कि इस कारीडोर को विकसित करने में धन की कोई कमी नहीं आड़े आएगी। प्रशासन यहां से किसी को भी उजाड़ने का काम न करे। यहां के लोगों को व्यवस्थित तरीके से पुनर्वासित करे। उनके लिए रोजगार के अवसर के साथ ही अन्य सुविधाओं में किसी प्रकार की कमी न होने दें।

दो पूर्व सांसदों ने किया था प्रेरितयोगी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि जिले के इंद्रजीत मिश्रा और अष्टभुजा शुक्ला से जब भी मिलना होता था, तो वह कहते थे कि तामेश्वरनाथ धाम पर आइये। यहां बताते चलें कि इंद्रजीत मिश्रा और अष्टभुजा शुक्ला संतकबीरनगर के पूर्व सांसद रह चुके हैं। यहां के जनप्रतिनिधियों ने भी यह प्रयास किया और आज मुझे यहां पर आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।महाभारतकाल में मां कुंती ने स्थापित किया था तामेश्वरनाथ शिवलिंगपौराणिक मान्यताओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडव अपनी माता कुंती के साथ तामेश्वरनाथ धाम में पहुंचे थे। जहां शिव की आराधना के लिए कुंती ने शिवलिंग की स्थापना की थी।

मंदिर से थोड़ी दूर रामपुर में स्थित एक पोखरे का निर्माण भी पांडवों ने कराया था। जो आज द्वापरा के नाम से जाना जाता है। मंदिर के गर्भगृह का निर्माण आज से करीब 350 वर्ष पूर्व बांसी के तत्कालीन राजा ने कराया था। उस समय भारती परिवार के पूर्वज सन्यासी टेकधर भारती इस मंदिर की देखरेख करते थे। ब्रह्मशकर भारती बताते हैं कि आज परिसर में मुख्य शिव मंदिर सहित करीब सोलह छोटे बड़े शिवालय और हनुमान मंदिर भी हैं।हर वर्ष श्रावणमास के महीने भर परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंचती है। इसी तरह पुरुषोत्तम मास में भी शिव भक्तों का यहां जमावड़ा होता है। महाशिवरात्रि में एक महीने तक अनवरत यहां मेले का आयोजन होता है। जिसमें लाखों श्रद्धालु शिव जी को जलाभिषेक करते हैं।

महात्मा बुद्ध ने यहीं करवाया था अपना मुंडन संस्कारबनियाबारी निवासी समाजसेवी बृजभूषण पांडेय बताते हैं कि महात्मा बुद्ध ने अपना मुंडन संस्कार यहीं कराया था। ऐसा भारती पूर्वज बताते थे। मंदिर परिसर में स्थित एक अर्धनारीश्वर मंदिर की आकृति भी बुद्ध कालीन मंदिर की ही तरह बना हुआ है। इस बात की तस्दीक मंदिर पर पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम ने भी किया था।आज भी लोग अपने बच्चो का मुंडन संस्कार यहां करवाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button