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यूपी उपभोग प्रमाणपत्र न देने पर निकायों के 1700 करोड़ रुपये रोके गए, 762 निकायों का पैसा फंसा

यूपी उपभोग प्रमाणपत्र न देने पर निकायों के 1700 करोड़ रुपये रोके गए, 762 निकायों का पैसा फंसा

उपभोग प्रमाणपत्र न देने पर निकायों के 1700 करोड़ रुपये रोके गए। इससे 200 नगर पालिका परिषद, 545 नगर पंचायत और 17 नगर निगमों का पैसा फंस गया है। स्टांप व पंजीयन विभाग दो फीसदी अतिरिक्त विकास शुल्क देता है।

उत्तर प्रदेश में नगर निकायों की लापरवाही विकास पर भारी पड़ रही है। इससे स्टांप एवं पंजीयन विभाग ने 762 निकायों के करीब 1700 करोड़ रुपये रोक लिए हैं। ये कार्रवाई उन निकायों पर की गई है जिन्होंने पहले दी गई राशि का उपभोग प्रमाणपत्र (यूसी) नहीं दिया है।

नगरीय क्षेत्रों में विकास के लिए स्टांप विभाग दो फीसदी राशि देता है। ये रकम 200 नगर पालिका परिषद, 545 नगर पंचायत और 17 नगर निगमों के बीच वितरित की जाती है। ये राशि प्रत्येक तिमाही जारी की जाती है। निकाय इससे विकास कार्य कराते हैं। निकायों को इस राशि के इस्तेमाल का ब्योरा उपभोग प्रमाणपत्र के रूप में देना पड़ता है। इसका मकसद ये है कि पैसा खातों में रखने के बजाय निकाय विकास कार्यों पर खर्च करें।

स्टांप विभाग ने वर्ष 2024 की पहली और दूसरी तिमाही की रकम तो बिना प्रमाणपत्र लिए जारी कर दी थी ताकि विकास कार्यों में बाधा न पड़े। लेकिन, बड़ी संख्या में निकायों ने या तो धनराशि खर्च नहीं की या फिर यूसी नहीं दी। इसे देखते हुए विभाग ने शर्त लगा दी कि पहली और दूसरी तिमाही का उपभोग प्रमाणपत्र देने पर ही तीसरी और चौथी तिमाही की किस्त जारी की जाएगी। जिन निकायों ने तीसरी और चौथी तिमाही की यूसी नहीं दी है, उनकी वित्त वर्ष 25-26 की अप्रैल से जून की पहली और जुलाई से शुरु होने वाली दूसरी तिमाही की किस्त भी फंस गई है।

चौथी तिमाही का एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा शेष
निकायों की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीसरी तिमाही की किस्त के रूप में उन्हें 943.86 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन यूसी न देने से विभाग ने केवल 258.49 करोड़ ही जारी किए। शेष 685.37 करोड़ रुपये रोक लिए गए हैं। इसी तरह चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च) का एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा शेष है।

निकायों को करीब 2090 करोड़ रुपये दिए गए

स्टांप एवं पंजीयन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप विकास कार्यों को रफ्तार देने के लिए निकायों को करीब 2090 करोड़ रुपये दिए गए। इस राशि को विकास के मद में खर्च किया या नहीं, इसका प्रमाणपत्र जिन निकायों ने नहीं दिया है, उनकी किस्त रोक ली गई है। ये निकायों की लापरवाही है क्योंकि तीन तिमाही में खर्च रकम का ब्योरा तक नहीं दिया गया है।
वित्त वर्ष 24-25 में जारी राशि का ब्योरा
पहली तिमाही में संग्रहित राशि : 889.45 करोड़
पहली तिमाही में निकायों को जारी राशि : 868 करोड़
दूसरी तिमाही में संग्रहित राशि : 921.49 करोड़
दूसरी तिमाही में निकायों को जारी राशि : 917 करोड़
तीसरी तिमाही में संग्रहित रकम : 943.86 करोड़
तीसरी तिमाही में निकायों को जारी रकम : 258.49 करोड़

इन्हें दिए गए 2090 करोड़ रुपये

डेडिकेटेड अर्बन ट्रांसपोर्ट फंड को पहली और दूसरी तिमाही में क्रमश: 222.36 करोड़ और 230.37 करोड़ का भुगतान
आवास एवं विकास परिषद को पहली, दूसरी व तीसरी तिमाही में क्रमश: 103.30 करोड़, 105.88 करोड़ व 103.81 करोड़
नगर निकायों को पहली व दूसरी तिमाही में क्रमश: 59.56 करोड़ व 370.71 करोड़
तीसरी तिमाही में नगर निगम वाराणसी को 12.07 करोड़, फिरोजाबाद को 2.05 करोड़, मुरादाबाद को 5.88 करोड़
मीरजापुर विंध्यांचल विकास प्राधिकरण को पहली और दूसरी तिमाही में 1.09 करोड़
सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण को पहली और दूसरी तिमाही में 27.51 लाख
राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण को पहली और दूसरी तिमाही में 19.83 करोड़
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को पहली व दूसरी तिमाही में 33.88 करोड़
शक्तिनगर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) को 95.24 लाख
कुशीनगर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को 3.53 करोड़

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