गोरखपुर पाम पैराडाइज : आपसी विवाद में 350 आवंटियों की नहीं हुई रजिस्ट्री- पूरा भुगतान के बाद भी झेल रहे आवंटी

गोरखपुर पाम पैराडाइज : आपसी विवाद में 350 आवंटियों की नहीं हुई रजिस्ट्री- पूरा भुगतान के बाद भी झेल रहे आवंटी
रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के सचिव आलोक मोदी ने कहा कि पिछले एक साल से फ्लैट की रजिस्ट्री रुक गई है। कुछ ग्राहकों ने 80 से 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया है, लेकिन उनको चाबी नहीं मिल रही। बैंक से लोन लेकर लोगों ने भुगतान किया है। फ्लैट/भूखंड नहीं मिलने के कारण बैंक की ईएमआई के साथ-साथ घर का किराया भी दे रहे हैं।
चिड़ियाघर के सामने निजी बिल्डर की तरफ से विकसित पाम पैराडाइज के 350 आवंटियों को अपने फ्लैट की न तो चाबी मिल रही है, न ही उसकी रजिस्ट्री हो पा रही है। आवंटियों का आरोप है कि बिल्डर्स कंपनी के पार्टनर्स में आपसी विवाद के चलते रजिस्ट्री रुक गई है। आवंटी पूरी रकम चुकाने के बाद रजिस्ट्री के लिए मालिकों के चक्कर लगा रहे हैं।शहर के तीन उद्यमियों अतुल सराफ, विकास केजरीवाल और निष्काम आनंद ने मिलकर वर्ष 2015-16 में पाम पैराडाइज योजना लांच की थी। इसे ऐश्प्रा लाइफ स्पेसेज नाम दिया गया था। बुकिंग की सारी रकम इसी कंपनी के खाते में जाती थी। शनिवार को पाम पैराडाइज के आवंटियों ने गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेसक्लब में प्रेसवार्ता कर अपनी समस्या बताई।
रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के सचिव आलोक मोदी ने कहा कि पिछले एक साल से फ्लैट की रजिस्ट्री रुक गई है। कुछ ग्राहकों ने 80 से 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया है, लेकिन उनको चाबी नहीं मिल रही। बैंक से लोन लेकर लोगों ने भुगतान किया है। फ्लैट/भूखंड नहीं मिलने के कारण बैंक की ईएमआई के साथ-साथ घर का किराया भी दे रहे हैं।आरोप लगाया कि ग्राहकों की ओर से बार-बार रजिस्ट्री का आग्रह करने पर एक साझेदार अतुल सराफ रजिस्ट्री के लिए सहमत हैं, लेकिन अन्य दो साझेदार लंबित रजिस्ट्री फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। ग्राहकों से उनका जवाब रहता है-हमारा आपसी हिसाब-किताब जब तक पूर्ण नहीं हो जाता, तब तक रजिस्ट्री पर हस्ताक्षर नहीं किया जाएगा।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोगाें की पैरवी के बाद रजिस्ट्री हो जा रही है। इस संदर्भ में आवंटियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनता दर्शन में ज्ञापन दिया था। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ललित सिंघल, गौतम त्रिपाठी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, दीपक मोदी, डॉ. आमोद राय आदि मौजूद रहे।इस मामले में निष्काम आनंद से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन नहीं हो सकी। वहीं, उनके पिता जगदीश आनंद ने इस प्रकरण पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।
पाम पैराडाइज में तीन पार्टनर हैं। ऐश्प्रा लाइफ स्पेसेज के खाते में रुपये जाते थे। 2020-21 तक अकाउंट्स का सारा काम विकास केजरीवाल देखते थे। वर्ष 2024 में विकास केजरीवाल और निष्काम आनंद ने कहा था कि वे लोग प्रोजेक्ट छोड़ना चाहते हैं।ऑडिट की बात पर वे लोग तैयार नहीं हुए। बाद में तय हुआ कि एक रकम तय हो जाए, जिसे लेकर वे लोग निकल जाएं। लेकिन इन्होंने जो रकम बताई, वह काफी ज्यादा थी। दिसंबर 2024 में मीटिंग में एक रकम तय हुई। दोनों लोग मान भी गए, लेकिन फिर पलट गए।अपनी बात का दबाव बनाने के लिए इन्होंने ग्राहकों की रजिस्ट्री करनी बंद कर दी। अब इससे ग्राहक परेशान हो रहे हैं। उन्होंने ऐश्प्रा समूह पर भरोसा कर निवेश किया था। हिसाब-किताब की वजह से ग्राहकों का नुकसान नहीं होना चाहिए। हम रजिस्ट्री करने को तैयार हैं: अतुल सराफ, निदेशक, एश्प्रा ग्रुप
प्रोजेक्ट की शुरुआत से हिसाब-किताब अतुल सराफ देखते थे। वही रजिस्ट्री भी कर रहे थे। अलग-अलग रेट पर वह फ्लैट/भूखंड बेच रहे थे। बाद में हम दोनों ने आपत्ति की तो तय हुआ कि तीनों पार्टनर के हस्ताक्षर से ही रजिस्ट्री होगी। बाद में जब हमने प्रोजेक्ट छोड़ने की बात कही तो अतुल सराफ ने 80 करोड़ रुपये देकर शेयर खरीदने की बात कही।जनता को परेशानी न हो, इसके लिए एमओयू भी हुआ था। लेकिन, बाद में वह इससे मुकर गए। उन्होंने रकम देने से इन्कार कर दिया। जबकि, मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद एमओयू हुआ था। ग्राहक और इन्वेस्टर धैर्य बनाए रखें। विवाद सुलझने के बाद उनकी रजिस्ट्री जरूर होगी: विकास केजरीवाल, निदेशक, वीके ग्रुप