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गाजीपुर : चार दशकों का इंतजार खत्म: चकमलुक गांव में सोनहरा माइनर की खुदाई शुरू, बुलडोजर गरजा – अफसरों की निगरानी में चला काम

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।

आज दिनांक।29/05/025को

चार दशकों का इंतजार खत्म: चकमलुक गांव में सोनहरा माइनर की खुदाई शुरू, बुलडोजर गरजा – अफसरों की निगरानी में चला काम

उप जिलाधिकारी जखनिया रवीश गुप्ता,क्षेत्राधिकार सुधाकर ,पांडे तहसीलदार देवेंद्र यादव कड़ी धूप में मौके पर डटे रहे।

दुल्लहपुर, गाजीपुर।चार दशकों से लंबित पड़ी सोनहरा माइनर की खुदाई आखिरकार संघर्ष, प्रशासनिक दृढ़ता और तकनीकी निगरानी के बाद शुरू हो गई। गांव चकमलुक में वर्ष 1978 में चकबंदी के बाद अधूरी छोड़ी गई माइनर की लगभग 1.5 किलोमीटर लंबी खुदाई अब हकीकत बन गई है।

सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी और भीषण गर्मी के बीच आज का दिन चकमलुक के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। चार जेसीबी मशीनों की गड़गड़ाहट, लाइन खींचते कानूनगो, लेखपालों की नापजोख, और उच्चाधिकारियों की मौजूदगी ने इस कार्य को गंभीरता और पारदर्शिता से सम्पन्न कराया।

मालूम हो कि पिछले 40 वर्षों से माइनर की खुदाई नहीं हो पाई थी, जिससे किसानों ने धीरे-धीरे इस पर कब्जा कर खेती शुरू कर दी थी। हालांकि पिछले 4 वर्षों से सिंचाई विभाग इस दिशा में सक्रिय हुआ और तीन बार पैमाइश की कोशिश की गई, लेकिन हर बार भूमि विवाद और खूंटा खींचने के झगड़ों में मामला उलझता रहा।

27 मई को उप जिलाधिकारी रवीश गुप्ता के निर्देशन में एक बार पुनः पैमाइश शुरू हुई, जिसमें तहसीलदार देवेंद्र यादव,एसडीओ उपेंद्र प्रसाद, सहायक अभियंता धनंजय चौहान, जेई बलवंत यादव, ग्राम प्रधान रमेश यादव, पूर्व प्रधान बाड्ड यादव, और प्रबंधक सतीश यादव, जमुना यादव सहित भारी पुलिस बल और प्रशासनिक टीम मौजूद रही। परंतु किसान तकरार के कारण कार्य फिर से रुक गया।

आज, प्रशासन ने पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरकर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चली कार्रवाई में चार कानूनगो, दस लेखपाल, एक पीएसी वाहन, तथा दुल्लहपुर, भुड़कुड़ा और शादियाबाद के थानाध्यक्षों की मौजूदगी में डेढ़ किलोमीटर माइनर की पैमाइश और खुदाई का कार्य बिना किसी विघ्न के सफलतापूर्वक संपन्न किया।

इस महत्वपूर्ण मौके पर गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने गर्मी की परवाह किए बिना अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कार्य की सफलता ने वर्षों से जलसंकट झेल रहे क्षेत्र को नवजीवन की आशा दी है।

यह केवल खुदाई नहीं, बल्कि प्रशासनिक संकल्प, ग्रामीण जागरूकता और जनहित की जीत की मिसाल है।

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