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यूपी बिजली निजीकरण के मुद्दे पर प्रबंधन और समिति की बैठक बेनतीजा, कर्मचारियों का आंदोलन आगे बढ़ना तय

यूपी बिजली निजीकरण के मुद्दे पर प्रबंधन और समिति की बैठक बेनतीजा, कर्मचारियों का आंदोलन आगे बढ़ना तय

बिजली निजीकरण के मुद्दे पर प्रबंधन और समिति के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही। इसके बाद से कर्मचारियों का आंदोलन आगे बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है। 14 मई को इसका एलान किया जा सकता है। आगे पढ़ें और जानें बैठक में किन मामलों पर चर्चा हुई?

राजधानी लखनऊ में सोमवार को बिजली निजीकरण के मुद्दे पर पॉवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल और विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही। इस मसले पर दोनों ने अलग-अलग तर्क दिए। ऐसे में अब बिजलीकर्मियों का आंदोलन आगे बढ़ना तय माना जा रहा है। 14 मई को समिति पदाधिकारी बैठक कर आगे की रणनीति का एलान करेंगे।

निजीकरण सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर शक्ति भवन में हुई बैठक में समिति के पदाधिकारियों ने निजीकरण के प्रयोग को आगरा, ग्रेटर नोएडा और ओडिशा में विफल बताया। समिति ने पूर्व में हुए समझौतों का हवाला देते हुए सुधार शुरू करने की बात रखी और पूर्वांचल व दक्षिणांचल निगमों के निजीकरण को थोपने का आरोप लगाया।

इन तथ्यों पर हुई बात

पदाधिकारियों ने बताया कि विद्युत उत्पादन निगम से वितरण निगमों को 4.17 रुपये और सेंट्रल सेक्टर से औसतन 4.78 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलती है। निजी घरानों से 5.45 रुपये प्रति यूनिट की दर से तथा शॉर्ट टर्म पॉवर परचेज से 7.31 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदी जा रही है। अन्य माध्यमों से 14.204 रुपये तक प्रति यूनिट की खरीद होती है।

महंगी बिजली खरीदने की वजह से उत्पादन निगम की तुलना में लगभग 9521 करोड़ का अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। समिति के प्रतिनिधिमंडल में शैलेंद्र दुबे, जितेंद्र सिंह गुर्जर, महेंद्र राय, पीके दीक्षित, सुहेल आबिद शामिल हुए।

पॉवर कॉर्पोरेशन का तर्क, लगातार बढ़ रहा राजस्व गैप
बैठक के बाद पॉवर कॉर्पोरेशन एक बयान जारी किया। इसमें बताया गया कि ऊर्जा की आपूर्ति और प्राप्त होने वाले राजस्व में गैप लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2020-21 में 8000 करोड़ की सब्सिडी एंड लांस फंडिंग की गई, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 46000 करोड़ से अधिक हो गई। वर्ष 2026-27 में यह बढ़कर 60 हजार करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। पांच साल से बिजली दर नहीं बढ़ी हैं। अलग-अलग ऊर्जा स्रोतों से बिजली खरीद के समझौते अन्य प्रदेशों की अपेक्षा कम हैं। पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल निगमों की वाणिज्यिक मानक सबसे खराब है। पूर्वांचल में प्रति यूनिट विद्युत आपूर्ति पर 4.33 रुपये और दक्षिणांचल में 3.99 रुपये की हानि हो रही है। पॉवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष ने कर्मचारियों से आंदोलन न करने की अपील की।

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