संडे स्पेशल कहानी : मेरा कन्हैया

मेरा कन्हैया
27 अप्रैल 2025
संडे स्पेशल कहानी
संकलनकर्ता : ठाकुर पवन सिंह
एकाएक धड़ाम से जोरों की आवाज हुई और साथ में दर्दनाक चीख !कलेजा धक से रह गया जब आंगन में दौड़ कर झांकी तो आठ साल का चुन्नू चित्त पड़ा था , खून से लथपथ। मन हुआ दहाड़ मार कर रोये। परंतु घर में उसके अलावा कोई भी नहीं था , रोकर भी किसे बुलाती , फिर चुन्नू को संभालना भी तो था। दौड़कर नीचे गई तो देखा चुन्नू आधी बेहोशी में माँ – माँ की रट लगाये हुये है।
अंदर की ममता ने आंखों से निकलकर अपनी मौजूदगी का अहसास करवाया। फिर 10 दिन पहले करवाये अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बावजूद ना जाने कहाँ से इतनी शक्ति आ गयी कि चुन्नू को गोद में उठाकर पड़ोस के नर्सिंग होम की ओर दौड़ी। रास्ते भर भगवान को जी भरकर कोसती रही , बड़बड़ाती रही , हे कन्हैया क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा , जो मेरे ही बच्चे को.. ?
खैर डॉक्टर साहब मिल गये और समय पर इलाज होने पर चुन्नू बिल्कुल ठीक हो गया। चोटें गहरी नहीं थीं , ऊपरी थीं , तो कोई खास परेशानी नहीं हुई।
रात को घर पर जब सब टीवी देख रहे थे तब भी उस औरत का मन बेचैन था। उसे भगवान से विरक्ति होने लगी थी। एक मां की ममता प्रभु सत्ता को चुनौती दे रही थी।
उसके दिमाग में दिन की सारी घटना चलचित्र की तरह एक बार फिर से चलने लगी। कैसे चुन्नू आंगन में गिरा कि एकाएक उसकी आत्मा सिहर उठी , कल ही तो पुराने चापाकल का पाइप का टुकड़ा आंगन से हटवाया है , वह तो ठीक उसी जगह था जहां चिंटू गिरा था। अगर कल मिस्त्री न आया होता तो..?
उसका हाथ अब अपने पेट की तरफ गया जहां टांके अभी हरे ही थे , ऑपरेशन के। आश्चर्य हुआ कि उसने 20-22 किलो के चुन्नू को उठाया कैसे ?
कैसे वो आधा किलोमीटर तक दौड़ती चली गयी ?
फूल सा हल्का लग रहा था चुन्नू। वैसे तो वो कपड़ों की बाल्टी तक छत पर नहीं ले जा पाती ?
फिर उसे ख्याल आया कि डॉक्टर साहब तो 2 बजे तक ही रहते हैं और जब वो पहुंची तो साढ़े 3 बज रहे थे , उसके जाते ही तुरंत इलाज हुआ , मानो किसी ने डॉक्टर को रोक रखा था ?
उसका सर प्रभु चरणों में श्रद्धा से झुक गया। अब वो सारा खेल समझ चुकी थी। उसने मन ही मन प्रभु से अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगी।
तभी टीवी पर ध्यान गया तो प्रवचन आ रहा था प्रभु कहते हैं कि , “मैं तुम्हारे आने वाले संकट रोक तो नहीं सकता , लेकिन तुम्हें इतनी शक्ति जरूर दे सकता हूँ कि तुम आसानी से उन्हें पार कर सको ?
मैं तुम्हारी राह आसान कर सकता हूँ। बस तुम धर्म के मार्ग पर चलते रहो।
उस स्त्री ने घर के मंदिर में झांककर देखा , तो कन्हैया मुस्कुरा रहे थे।
संकलनकर्ता : ठाकुर पवन सिंह
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