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सीएम ने कहा- त्योहारों में भड़काऊ नारे, हथियार प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं; कावंड़ यात्रा में नहीं बिकेगा मांस

सीएम ने कहा- त्योहारों में भड़काऊ नारे, हथियार प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं; कावंड़ यात्रा में नहीं बिकेगा मांस

सीएम योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक में कहा है कि आने वाले त्योहारों के दौरान किसी प्रकार का भड़काऊ प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि त्योहारों के दौरान कोई शरारत न पनपने पाए। कांवड़ यात्रा, मोहर्रम और रथयात्रा क दौरान भड़काऊ नारे, हथियारों का प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने प्रदेश में जातीय संघर्ष फैलाने की साजिश के बारे में आगाह करते हुए कहा कि अराजक लोगों को बेनकाब किया जाए। कौशांबी, इटावा, औरैया की घटनाएं ऐसी साजिश का परिणाम हैं, जिस पर कार्रवाई के लिए शासन से आदेश की प्रतीक्षा न करें। दोषियों की पहचान सार्वजनिक कर सख्ती से कानूनी कार्रवाई करें।

मुख्यमंत्री बुधवार को अपने सरकारी आवास से आगामी त्योहारों की तैयारी और कानून-व्यवस्था की स्थिति की शासन और फील्ड में तैनात वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डीजे, ताजिया और रथ की ऊंचाई तय सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। डीजे, ढोल-ताशे की ध्वनि की सीमा भी तय होगी। शोभायात्रा, जुलूसों के लिए पेड़ काटना या गरीबों का आश्रय हटाना स्वीकार नहीं है। कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले में मांस बिक्री नहीं होनी चाहिए। उन्होंने खाद्य सामग्री की दरों को तय करते हुए ओवररेटिंग रोकने और बीते वर्ष की तरह  इस बार भी हर दुकान पर संचालक का नाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होना सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी डीएम को दी। उन्होंने खासकर सोमवार को शिवालयों में भीड़ प्रबंधन, सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने को कहा। श्रद्धालुओं की भीड़ में अराजक तत्वों, वेष बदलकर घुसपैठ करने वालों की विशेष निगरानी करने का निर्देश दिया मोहर्रम जुलूसों में सुरक्षा और संवाद प्राथमिकता देने और विगत घटनाओं से सबक लेने को कहा।

श्रावण मास पर हो मंदिरों की सफाई

सीएम ने कहा कि 11 जुलाई से 9 अगस्त तक पवित्र श्रावण मास के दौरान कांवड़ यात्रा, श्रावणी शिवरात्रि, नागपंचमी और रक्षाबंधन पर्व मनाए जाएंगे। वहींं 27 जून से 8 जुलाई तक जगन्नाथ रथ यात्रा तथा 27 जून से 7 जुलाई तक मोहर्रम है। यह समय कानून-व्यवस्था, चिकित्सा, स्वच्छता, शिक्षा और आपदा प्रबंधन के लिहाज से अत्यंत संवेदनशील है। कांवड़ यात्रा आस्था, अनुशासन और उल्लास का प्रतीक है। उत्तराखंड सीमा से सटे जिलोंं सहित गाजियाबाद, मेरठ, बरेली, अयोध्या, प्रयागराज, काशी, बाराबंकी और बस्ती जैसे जिले विशेष सतर्कता बरतें। धार्मिक यात्राओं में अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन और धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक उपयोग सौहार्द को खंडित कर सकते हैं, जिन पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। ड्रोन से निगरानी की जाए। सोशल मीडिया आदि पर फेक न्यूज और अफवाहों का त्वरित खंडन और सही सूचना का प्रसारण जरूरी है।

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