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यूपी के सबसे बड़े अस्पताल का कारनामा: बिना अनुमति कर दी नसबंदी, केजीएमयू के वीसी और क्वीन मेरी की चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकाने का केस दर्ज

यूपी के सबसे बड़े अस्पताल का कारनामा: बिना अनुमति कर दी नसबंदी, केजीएमयू के वीसी और क्वीन मेरी की चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकाने का केस दर्ज

पति के मुताबिक 4 अक्तूबर 2022 को उन्होंने गर्भवती पत्नी उमा मिश्र को क्वीन मेरी अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टर अमिता पांडेय, मोनिका अग्रवाल, निदा खान और शिवानी ने इलाज शुरू किया। अगले दिन उमा ने ऑपरेशन से एक बेटे को जन्म दिया। शिशु की हालत ठीक न होने पर उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन नवजात की मौत हो गई।

हरदोई के शाहबाद रतनपुर आंझी निवासी हेमवती नंदन ने केजीएमयू के वीसी और क्वीन मेरी की चार महिला डॉक्टरों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकाने का केस दर्ज कराया है। आरोप है कि बिना अनुमति के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर उनकी पत्नी की नसबंदी कर दी गई। कोर्ट के आदेश पर 13 जून को चौक थाने में केस दर्ज किया गया है। पीड़ित ने केस में यूपी सरकार को भी आरोपी बनाया है।

पत्नि ने दिया था बेटे को जन्मपति के मुताबिक 4 अक्तूबर 2022 को उन्होंने गर्भवती पत्नी उमा मिश्र को क्वीन मेरी अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टर अमिता पांडेय, मोनिका अग्रवाल, निदा खान और शिवानी ने इलाज शुरू किया। अगले दिन उमा ने ऑपरेशन से एक बेटे को जन्म दिया। शिशु की हालत ठीक न होने पर उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन नवजात की मौत हो गई।

बिना बताए कर दी पत्नी की नसबंदीआरोप है कि डॉक्टरों ने उमा के ऑपरेशन के साथ ही बिना बताए उनकी नसबंदी कर दी। आरोप ये भी है कि अनुमति पत्र पर उनके फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए। पीड़ित ने इसका विरोध किया तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। 10 अक्तूबर 2022 को उमा को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। पीड़ित ने इसके बाद चौकी, थाने, पुलिस अधिकारियों, केजीएमयू वीसी और सीएम पोर्टल पर शिकायत की।

शिकायक की तो मिली धमकीआरोप है कि शिकायत करने पर आरोपी डॉक्टरों ने उन्हें धमकाया। इस पर पीड़ित ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर चौक थाने में यूपी सरकार, केजीएमयू के वीसी, डॉ. अमिता पांडेय, मोनिका अग्रवाल, निदा खान और शिवानी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 338, 467, 468 और 506 के तहत केस दर्ज किया गया है। चूंकि मामला भारतीय न्याय संहिता लागू होने के पहले का है, इसलिए आईपीसी के तहत केस दर्ज किया गया है।

अस्पताल का बयान रविवार को एफआईआर की प्रति मिली। इसमें सभी तथ्य नहीं हैं। केजीएमयू प्रशासन न्यायालय का आदेश निकलवा रहा है। डॉक्टरों पर मुकदमा दर्ज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन तय कर रखी हैं। उनके हिसाब से ही एफआईआर दर्ज हो सकती है। इस मामले में देखा जाएगा कि उन गाइडलाइन का पालन हुआ है या फिर नहीं। केजीएमयू प्रशासन अपने डॉक्टरों के साथ है। जरूरत पड़ी तो कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी। – प्रो. केके सिंह, प्रवक्ता केजीएमयू

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