गोरखपुर में आज सीएम योगी रखेंगे ‘योगभूमि’ की नींव, 31 करोड़ की लागत… योगानंद की जन्मभूमि को मिलेगी पहचान

गोरखपुर में आज सीएम योगी रखेंगे ‘योगभूमि’ की नींव, 31 करोड़ की लागत… योगानंद की जन्मभूमि को मिलेगी पहचान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परमहंस योगानंद की जन्मभूमि गोरखपुर में योगभूमि बनाने का निर्णय लिया है। 31 करोड़ की लागत से बनने वाली इस योगभूमि में योगानंद के बचपन की यादें संजोई जाएंगी। यहाँ एक संग्रहालय पुस्तकालय और योग केंद्र होगा जहाँ भक्त योगाभ्यास कर सकेंगे।
गोरखपुर। दुनिया को क्रिया योग का पाठ पढ़ाने वाले परमहंस योगानंद को दुनिया भर में तो पहचान मिल गई थी, लेकिन जन्मभूमि को उनके नाम से पहचान मिलने का समय अब आया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रुचि लेने से जन्म के 131 वर्ष बाद जन्मभूमि पर ‘योगभूमि’ का निर्माण होने जा रहा है। मुख्यमंत्री रविवार को मुफ्तीपुर में कोतवाली से सटे एक संकरी गली में समारोहपूर्वक इसकी नींव रखेंगे।
31 करोड़ की लागत से बनने वाली ‘योगभूमि’ में योगानंद की बचपन की यादें संजोईं जाएंगी। भवन के निर्माण की कार्य योजना के मुताबिक जन्मस्थली पर बनाए जाने वाले चार मंजिला भवन की हर मंजिल पर अलग-अलग तरीके से योगानंद की यादों को संजोया जाएगा।
लॉन में स्थापित होगी योगानंद की प्रतिमा
भूमि तल के बाहर हिस्से एक लॉन विकसित किया जाएगा, जिसमें योगानंद की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। पहले तल पर एक संग्रहालय और पुस्तकालय बनाया जाएगा, जिसमें योगानंद के अलग-अलग मुद्रा में चित्रों को अवलोकनार्थ सजाया जाएगा। उनसे जुड़े बहुमूल्य सामानों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
दूसरा तल आध्यात्मिक दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगा। इसमें उस स्थान को मंदिर का स्वरूप दिया जाएगा, जहां आज से आज से 131 वर्ष पहले पांच जनवरी को क्रिया योग के प्रणेता योगानंद जी का जन्म हुआ था।
मंदिर के सामने केंद्र का दूसरा योग सेंटर बनाया जाएगा, जिसमें बैठकर योगानंद की शिष्य परंपरा के लोग योग व ध्यान कर सकेंगे।
तीसरे और अंतिम तल पर दो हाल बनाए जाएंगे, जिसमें भक्त योगाभ्यास कर सकेंगे। ध्यान के लिए अगल से स्थान निर्धारित रहेगा। योग भवन का निर्माण 1360 वर्ग मीटर में कराए जाना है।
निर्धारित जमीन के अधिग्रहण में कुछ 19 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। मानक पर स्मृति भवन निर्माण के लिए कुछ जमीन प्रशासन ने निशुल्क उपलब्ध कराई है।
ऐसे बनी योग भवन के निर्माण की भूमिका
विदेश में परमहंस याेगानंद के शिष्य व भक्त बड़ी संख्या में हैं। जन्मस्थली होने की वजह से बहुत से समय-समय पर गोरखपुर भी आते थे, लेकिन यहां उनकी जन्मस्थली पर किसी तरह की विशेष व्यवस्था न देख दुखी हो जाते थे और इसे अध्यात्म केंद्र के रूप में विकसित करने का अनुरोध करते थे।
भक्तों और शिष्यों की मांग 17 जून 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाई तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और योगानंद की जन्मस्थली को पर्यटन केंद्र के रूप मेंं विकसित करने का न केवल निर्णय ले लिया बल्कि इसकी जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को सौंप दी।
पर्यटन विभाग ने मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में जन्मस्थली को पर्यटन केंद्र का रूप देने की कार्ययोजना बनाई और उसे ‘योगभूमि’ नाम दिया। कार्ययोजना अब धरातल पर नजर आएगी। नींव पड़ने की बाद इसके निर्माण की शुरुआत हो जाएगी। वर्ष अंत या अगले वर्ष की शुरुआत तक कार्य पूरा कर लेने की पर्यटन विभाग की योजना है।