गुरुग्राम : माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) को संगठित सेवा मानने संबंधी 23. मई का ऐतिहासिक निर्णय।

रिपोर्टर इंडिया नाउ 24 सुरेंद्र गुरुग्राम
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) को संगठित सेवा मानने संबंधी 23. मई का ऐतिहासिक निर्णय।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली का एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटक हैं। तीन प्रमुख सीमा रक्षक बल – सीमा सुरक्षा बल (BSF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (SSB), औद्योगिक सुरक्षा एवं प्रतिष्ठानों की सुरक्षा में लगे बल – केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), तथा प्रमुख आंतरिक सुरक्षा एजेंसी – केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF), सभी मिलकर CAPFs कहलाते हैं। इन बलों के अधिकारी और कार्मिक दिन-रात हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्य करते हैं। लेकिन यह अत्यंत आश्चर्य एवं दुःख की बात है कि इन बलों के अधिकारियों को न्याय के लिए न्यायपालिका का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा और देय लाभों के लिए बहुत लंबा इंतजार भी करना पड़ा।
एलायंस आफ आल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेज वैलफेयर एसोसिएशन अध्यक्ष पूर्व एडीजी सीआरपीएफ श्री एचआर सिंह के कहे अनुसार कि जब प्रतिनिधिमंडल के साथ सीएपीएफ केन्द्रों में जाने का अवसर मिलता तो निदेशक एकाडेमी के नाते प्रशिक्षित अधिकारी अक्सर शिकायत करते थे कि वे 12-13 वर्षों की श्रेष्ठ सेवाओं के बाद भी एक ही रैंक में से वा कर रहे हैं यही नहीं अलग अलग सीएपीएफ के अधिकारियों की प्रोन्नति अवधि में भी कई वर्षों का अंतर होता था जो बल के युवा व उर्जावान अधिकारियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डालता था।यह स्थिति देखकर बहुत मानसिक दुख महसूस होता था।
पूर्व एडीजी श्री एचआर सिंह द्वारा जारी वक्दतव्य के अनुसार एक लंबे संघर्ष के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में, CAPFs के कैडर अधिकारियों ने अंततः 5 फरवरी, 2019 को मुकदमा जीत लिया था तथा सरकार को आदेश दिया गया था कि वह छठे केंद्रीय वेतन आयोग द्वारा अनुशंसित लाभ, जैसे कि नॉन-फंक्शनल फाइनेंशियल अपग्रेडेशन (NFFU), प्रदान करे, जिससे अखिल भारतीय सेवाओं और अन्य संगठित केंद्रीय समूह ‘A’ सेवाओं (OGAS) के बीच असमानता को दूर किया जा सके। इसके अनुसार, 3 जुलाई 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने NFFU और नॉन-फंक्शनल सिलेक्शन ग्रेड (NFSG) का लाभ CAPFs के समूह ‘A’ कार्यकारी कैडर अधिकारियों को देने की मंजूरी दी थी।
हालांकि, माननीय न्यायालयों और मंत्रिमंडल के आदेशों को गृह मंत्रालय (MHA), भारत सरकार द्वारा आधे मन से लागू किया गया। इसलिए CAPFs के कैडर अधिकारियों ने अक्टूबर 2020 में सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की।
अन्ततः आज, 23 मई 2025 को, माननीय न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ ने CAPFs के कैडर अधिकारियों के पक्ष में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया, जिसमें निम्नलिखित आदेश पारित किए गए:
(i) CAPFs के कैडर अधिकारी 1986 से सभी उद्देश्यों हेतु OGAS का हिस्सा माने जाएंगे।
(ii) सेवा नियमों/भर्ती नियमों में उपयुक्त संशोधन किए जाएंगे ताकि उन्हें OGAS के सभी संबंधित लाभ छह महीने के अंदर मिल सकें।
(iii) CAPFs के ग्रुप ‘A’ अधिकारियों का कैडर रिव्यू इस निर्णय की तिथि से छह महीने के भीतर पूरा किया जाएगा।
(iv) SAG रैंक तक प्रतिनियुक्ति के लिए आरक्षित पदों की संख्या को अधिकतम दो वर्षों की अवधि में धीरे-धीरे कम कश्र खत्म किया जाएगा।
महासचिव रणबीर सिंह के कहे अनुसार अब इस निर्णय से आशा बंधी है कि हाल ही में आदेशित आठवें वेतन आयोग द्वारा भी सीएपीएफ के ग्रुप ए अधिकारियों की कठिन व जोखिम भरी परिस्थितियों में की जा रही सेवाओं के मध्य नजर अखिल भारतीय सेवाओं तथा सीएपीएफ सेवाओं में पनपी विषमताओं को दूर किया जा सके। उम्मीद कि पुरानी पैंशन बहाली का फैसला भी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हक़ में आएगा।
रणबीर सिंह
महासचिव
अलॉइंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन