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गाजीपुर : डॉ संतोष मिश्रा की कलम से,असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी पीजी कॉलेज भुड़कुडा़।

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।

आज दिनांक।03/06/025को

डॉ संतोष मिश्रा की कलम से,असिस्टेंट प्रोफेसर अंग्रेजी पीजी कॉलेज भुड़कुडा़।

लोहिया और जेपी के सत्तालोलुप शिष्यों को दरकिनार करते हुए भाजपा के साथ अडिग रहने वाले जार्ज साहब का जन्मदिन आज।

गाजीपुर । डॉ.लोहिया के शिष्य प्रो.मधु दंडवते और मधु लिमये जैसी समाजवादी विभूतियों के समकालीन जार्ज फर्नांडीस कीआज जन्मजयंती है।जार्ज साहब का निष्कलुष जीवन अपने आप में एक मिसाल है।देश काल और परिस्थिति के अनुसार जनहित में निर्णय लेकर अड़िग रहना और जनता की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहना उनकी ख़ासियत रही है।भारतीय राजनीति में गैर कांग्रेसवाद की शुरुवात लोहिया और जे पी के नेतृत्व में होने के बाद जार्ज फर्नांडीज भी इससे कालांतर में जुड़ गए और आपातकाल के दौरान काफी सक्रियता दिखाई।भारतीय राजनीति में गठबंधन युग की शुरुवात होने पर इसे अस्थिरता के दौर से उबारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।जब भारतीय जनता पार्टी का राजनैतिक आधार बढ़ रहा था लेकिन वह इस स्थिति में नहीं पहुंच पा रही थी कि देश को एक स्थिर सरकार दे सके।उसके ऊपर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पक्षधर तथा साम्प्रदायिक दल होने का लेबल लगा कर उसे राजनीतिक दृष्टि से अछूत घोषित कर दिया गया था। या यूं कहें कि उन दिनों भाजपा को सांप्रदायिक कहना राजनीतिक कर्मकांड का हिस्सा बन गया था तब देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्थिर सरकार देने के उद्देश्य से जार्ज साहब ने लोहिया और जेपी के सत्तालोलुप शिष्यों को दरकिनार करते हुए भाजपा की ओर हाथ बढ़ाया।यद्यपि अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वालों द्वारा आजदिन भी बदस्तूर यह प्रयास जारी तो है लेकिन बेअसर है।जब अटल सरकार में साझीदार घटक दल अपने राजनैतिक फायदे के मुताबिक सौदेबाजी करने में लगे थे तो वहीं दूसरी ओर जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रांति की कोख से जन्मे नेता क्षेत्रीय जनाधार के बल पर अपने राजनीतिक मनसूबे को हवा दे रहे थे।ऐसे में जार्ज साहब ने राष्ट्रीय राजनीति में दखल देते हुए राजग के संयोजक के रूप में कमान सम्हाली और भाजपा की अगुवाई में बने गठबंधन के साथ मुस्तैदी से नायक की भूमिका में खड़े हुए।कामन मिनिमम प्रोग्राम का खाका तैयार हुआ और राजनीतिक अस्थिरता से देश को निजात मिली।प्रयोग सफल हुआ और पहली गैर कांग्रेसी सरकार ने अटल विहारी वाजपेई के नेतृत्व में अपना कार्यकाल पूरा किया साथ ही भाजपा राजनीतिक दृष्टि से अस्पृश्य नहीं रही। इस श्रेय के असली हकदार जार्ज फर्नांडीज ही हैं।इसी प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए देश में 2014 से राजग का शासन है और 2019 में लगातार दूसरी बार मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत प्राप्त करने के बाद भी गठबंधन की सरकार बनी तथा छोटे दलों को भी सरकार में प्रतिनिधित्व मिला।वर्ष 2024 में भाजपा नीत गठबंधन ने लगातार तीसरी बार बहुमत प्राप्त कर किया।देशव्यापी प्रचंड जनादेश के पीछे मोदी जैसा नेता नीतियां और कार्यक्रम के अलावा गठबंधन में भागीदार छोटे बड़े दलों की संयुक्त शक्ति भी है जिसके द्वारा मतों के बिखराव को रोकने में सफलता मिली।यह जार्ज साहब के जमाने में हुए राजनीतिक प्रयोग को सूक्ष्म तरीके से व्यापक स्तर पर लागू करने का परिणाम है।आज सहयोगी दलों के साथ बेहतर समन्वय के साथ नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व में सरकार चल रही है और अपने ऐतिहासिक निर्णयों के साथ लोकप्रियता के शिखर पर है।अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में जार्ज फर्नांडीज ने विरोधी विचारों के साथ गज़ब का सन्तुलन और संयोजन स्थापित किया था।कहाँ दक्षिण पंथी कही जाने वाली भाजपा और कहाँ समाजवादी झंडाबरदार जार्ज फर्नाडीज।यह देखकर जार्ज साहब का राजनीतिक कौशल याद आ रहा है ।किसानों मजदूरों के हक़ के लिए लड़ने का जज़्बा उनको एक जननेता की पहचान दिलाता है।भारतीय राजनीति में सार्थक और सकारात्म योगदान के बावजूद उनको भुलाने का प्रयास सालता है ।जन्मदिन पर जार्ज फर्नांडीज को याद करने के साथ यह अपेक्षा भी है कि वर्तमान पीढ़ी और हमारे नेतागण आपसी समझ और समन्वय की राजनीति को तरजीह देंगे दम्भ, तोड़- फोड़ और खरीद- फ़रोख़्त को नहीं। भले ही जार्ज फर्नाडीज आज नहीं हैं लेकिन जब जब गठबंधन धर्म की बात होगी भारतीय राजनीति को कठिन दौर से उबारने की कोशिशों की चर्चा होगी, सादगी और सुचिता का जिक्र आएगा तब तब उनका बेदाग व्यक्तित्व और विचार रास्ता दिखाने का काम करेंगे।

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