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पितृपक्ष सात से, पूर्वजों का होगा तर्पण

पितृपक्ष सात से, पूर्वजों का होगा तर्पण

एक ही दिन 12 सितंबर को पड़ रही पंचमी व छठवीं दोनों तिथि21 सितंबर को होगी पितृपक्ष की अमावस्यागोरखपुर। पितृपक्ष सात सितंबर रविवार से पूर्णिमा श्राद्ध के साथ शुरू हो रहा है। इसका समापन 21 सितंबर को होगा। उसी दिन पितृपक्ष की अमावस्या होगी। इस बीच लोग अपने पूर्वजों का तर्पण करेंगे। 12 सितंबर को पंचमी व छठवीं दोनों तिथि पड़ रही है। हालांकि दो तिथियां एक ही दिन पड़ने से दो तिथियों में किए जाने वाले श्राद्ध एक ही दिन होंगे।गोरखनाथ संस्कृत विद्यापीठ के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. दिग्विजय शुक्ल ने बताया कि पूर्वजों का तर्पण व पिंडदान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साहित्य विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित कुमार मिश्र ने बताया कि धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि पितरों का श्राद्ध करने वाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र पौत्रादि से युक्त, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी ,पशु, सुख साधन तथा धन-धान्य आदि की प्राप्ति करता है। यही नहीं पितरों की कृपा से ही उसे सब प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य व पद की प्राप्ति होती है।

उन्होंने यह भी बताया कि सात सितंबर को रात 9:47 से 1:27 बजे तक चंद्रग्रहण होगा। इसके पहले 12:57 बजे से सूतक लग जाएगा। मोक्ष 01:27 बजे तक होगा।–इन तिथियों में होंगे श्राद्धसात सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध, आठ सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध, नौ सितंबर को द्वितीया, 10 सितंबर को तृतीया श्राद्ध, 11 सितंबर को चतुर्थी श्राद्ध, 12 सितंबर को पंचमी और षष्ठी श्राद्ध, 13 सितंबर को सप्तमी श्राद्ध, 14 सितंबर को अष्टमी श्राद्ध, 15 सितंबर को नवमी श्राद्ध, 16 सितंबर को दशमी श्राद्ध, 17 सितंबर को एकादशी श्राद्ध, 18 सितंबर द्वादशी का श्राद्ध, 19 सितंबर को त्रयोदशी का श्राद्ध, 20 सितंबर को चतुर्दशी श्राद्ध, 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध (इसी दिन पितृ विसर्जन) होगा।

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