Breaking News

यूपी संपर्क क्रांति के टैंक से 120 किलोमीटर तक डीजल रिसता रहा। गाजियाबाद से अलीगढ़ तक 14 स्टेशनों पर ट्रेन से रिसता डीजल किसी को दिखाई नहीं दिया। जरा सी चिंगारी आग का गोला बना सकती थी।

यूपी संपर्क क्रांति के टैंक से 120 किलोमीटर तक डीजल रिसता रहा। गाजियाबाद से अलीगढ़ तक 14 स्टेशनों पर ट्रेन से रिसता डीजल किसी को दिखाई नहीं दिया। जरा सी चिंगारी आग का गोला बना सकती थी।

संपर्क क्रांति के टैंक से 120 किलोमीटर तक डीजल रिसता रहा। गाजियाबाद से अलीगढ़ तक 14 स्टेशनों पर ट्रेन से रिसता डीजल किसी को दिखाई नहीं दिया। जरा सी चिंगारी आग का गोला बना सकती थी। अलीगढ़ में भी अगर निगाह न पड़ती तो बिहार तक यात्रियों की जान खतरे में रहती।

गाजियाबाद से लेकर अलीगढ़ तक बिहार संपर्क क्रांति के टैंक से डीजल बहा। इस बीच में 14 रेलवे स्टेशन पड़े। 120 किलोमीटर का सफर करके ट्रेन अलीगढ़ तक पहुंची लेकिन किसी को रेलवे ट्रैक पर गिरता डीजल नजर नहीं आया। रेलवे कर्मियों की यह बड़ी लापरवाही 2000 यात्रियों को बड़े खतरे में डाल सकती थी। एक जरा सी चिंगारी भी इस एक्सप्रेस ट्रेन को आग का गोला बना देती। अलीगढ़ की आरपीएफ टीम ने जब अपने परिक्षेत्र में जांच की तो सोमना रेलवे स्टेशन तक ट्रैक पर डीजल बिखरा नजर आया है। जबकि ड्रिल मशीन डीजल टैंक में गाजियाबाद क्षेत्र में फंसी थी।

गाजियाबाद से अलीगढ़ तक ट्रेन अपनी 130 किलोमीटर प्रति किलोमीटर की रफ्तार से दाैड़ती रही। ट्रेन गाजियाबाद से चलकर दादरी, मारीपत, बोडाकी, दनकौर, खुर्जा, चोला, सोमना, कुलवा, महरावल स्टेशन के बाद करीब 120 किलोमीटर का सफर तय कर अलीगढ़ स्टेशन पर पहुंची। इस बीच किसी ने टैंक से रिस रहे डीजल की ओर ध्यान नहीं दिया। अब जरा सोचिए कि अगर कहीं से एक चिंगारी भी उठ जाती तो कितना बड़ा खतरा पैदा हो सकता था।

रेलवे अफसरों में मची खलबलीजब अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचने पर टैंक से बड़ी मात्रा में डीजल के रिसने की स्थानीय रेलवे अफसरों को जानकारी मिली तो सूचना पर स्टेशन अधीक्षक मुकेश कुमार उपाध्याय, डिप्टी एसएस राजाबाबू, आईपी सिंह, टीआई मोहम्मद इश्हाक, रेलवे के टीएक्सआर और जेनरेटर विभाग के अलावा आरपीएएफ से जुड़े तमाम अफसर आ गए।

उन्होंने जांच पड़ताल की तो टैंक में ड्रिल मशीन फंसी मिली। पहले टंकी से रिस रहे डीजल को रोकने के लिए लकड़ी व कपड़ा लगाकर वैकल्पिक प्रयास किया गया। फिर भी जब डीजल का रिसना बंद नहीं हुआ तो टंकी से पाइप के जरिए ड्रम में डीजल तेल को बाहर निकलवाया गया। तब कहीं जाकर ट्रेन को करीब 02 घंटे 19 मिनट बाद शाम 05:05 मिनट पर गंतव्य को रवाना किया गया। इस पूरे घटनाक्रम का ज्वाइंट नोट तैयार किया गया है। जिसे अफसरों को भेजा गया है।

गाजियाबाद स्टेशन के पास से टैंक में घुसी थी ड्रिल मशीनआरपीएफ पोस्ट कमांडर अमित कुमार सिंह ने बताया कि गाड़ी के लोको पायलट केएन शुक्ला ने बताया कि गाड़ी नई दिल्ली से थ्रू आ रही थी। उन्हें पता नहीं चला न इंजन से कुछ टकराने जैसी आवाज आई।

बाद में पता चला कि गाजियाबाद स्टेशन के पास 200 मीटर पूर्वी यार्ड में रेलवे फाउंडेशन तोड़ने का काम चल रहा है। मजदूर खाना खाने के लिए गए थे और मशीन को वहीं रेलवे ट्रैक पर छोड़ गए। जब वापस आए तो मशीन नही मिली।

चोला स्टेशन व दादरी स्टेशन पर गेटों पर लगे सीसीटीवी कैमरों का अवलोकन पर पाया गया है कि मशीन डीजल टैंक में घुसी हुई आ रही है। जिससे स्पष्ट है घटना गाजियाबाद स्टेशन की है। उत्तर मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे ट्रैक पर ड्रिल मशीन कैसे छूटी इसको लेकर संबंधित कार्यदायी संस्था के खिलाफ कार्रवाई तय की जाएगी।

प्यास से बिलखते रहे बच्चे, गर्मी के चलते शर्ट निकालकर घूमते रहे यात्रीडीजल टैंक से तेल रिसने की जानकारी होने के बाद ट्रेन अलीगढ़ स्टेशन पर करीब ढाई घंटे तक खड़ी रही। इस दौरान एसी कोच में बैठे यात्री जरूर आरामदायक स्थिति में थे, लेकिन जनरल व स्लीपर कोच में सफर कर रहे यात्री गर्मी से खासे परेशान रहे।

ट्रेन के कोचों में काफी भीड़ थी। ऊपर से गर्मी का प्रकोप काफी तेज था। तापमान 39 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे में महिलाओं के साथ सफर कर रहे बच्चे गर्मी से परेशान होने के साथ भूख व प्यास से रोते-बिलखते नजर आए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button