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वाराणसी/प्रयागराज : संस्कृति और सनातन परंपरा को फलीभूत करता अभूतपूर्व वैदिक पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न

संस्कृति और सनातन परंपरा को फलीभूत करता अभूतपूर्व वैदिक पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न

देश भर से आए सनातन संस्कृति रक्षक बने इसके साक्षी , महामंगल महोत्सव की हो रही चतुर्दिक सराहना

शैलेंद्र कुमार द्विवेदी
इंडिया नाऊ २४
उत्तर प्रदेश
वाराणसी / प्रयागराज

बाबा विश्वनाथ की तपोभूमि काशी में संस्कृति और सनातन परंपरा से ओतप्रोत एक अद्वितीय वैदिक पाणिग्रहण संस्कार का आयोजन सम्पन्न हुआ, जिसमे उपस्थित जन-समुदाय को वैदिक युग की शुचिता, सात्विकता और पवित्रता का साक्षात अनुभव कराया। इस महामंगल महोत्सव में पाणिग्रही दीर्घायुष इंजीनियर सौरीश शर्मा ‘अमन’, राष्ट्रीय अध्यक्ष—भारत मानवता संस्थान तथा पाणिग्रहिता दीर्घायुषी कु. प्रिंसी शर्मा, अतिथि सहायक आचार्या का पावन वैवाहिक सूत्रबद्ध सम्पन्न हुआ, जो अपने-अपने परिवारों की सेवा, विनम्रता और संस्कार की उज्ज्वल परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रतीक बना। यह समूचा आयोजन साहित्यकार एवं संस्कृति-सेवी श्री रमेश कुमार शर्मा ‘लेखक’, प्रांत परावर्तन प्रमुख—धर्म प्रसार विभाग, विश्व हिन्दू परिषद, काशी प्रांत के पुण्य-सान्निध्य, मार्गदर्शन एवं विशिष्ट संरक्षकत्व में सम्पन्न हुआ।

इस दिव्य संस्कार की गरिमा को परम पूज्य गुरुजनों की मंगलमयी उपस्थिति ने और अधिक आलोकित किया, जिसमे परम् पूज्य महान्त श्री कमल नयन दास शास्त्री जी महाराज (उत्तराधिकारी—परम् पूज्य महान्त श्री नृत्यगोपाल दास जी महाराज, श्री अयोध्या जी), परम् पूज्य महामण्लेश्वर नवनीत जी महाराज, किन्नर अखाडा, परम् पूज्य आचार्य महन्त भारत भूषण दास जी महाराज (पीठाधीश्वर—श्री गुरु रविदास जन्मस्थान मंदिर, सीरगोवर्धनपुर), परम् पूज्य आचार्य महन्त रामेश्वर दास जी महाराज (उपाध्यक्ष—अखिल भारतीय संत समिति), परम् पूज्या राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बिन्दू बहन जी तथा परम् पूज्य महन्त रामशरण दास जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति रही । इन संतों के आशीर्वाद और दिव्य उपस्थिति ने सम्पूर्ण वातावरण को देवत्व की उज्ज्वल आभा से दीप्त कर दिया।
सूर्योदय की प्रथम किरण से लेकर सूर्यास्त की अंतिम स्वर्णिम आभा तक चले इस वेदमय आयोजन में मंडप, वेदी, तोरण, दीप, पुष्प और संपूर्ण परिसर को वैदिक शिल्प एवं सांस्कृतिक बोध के अनुसार सजाया गया, जिससे वातावरण में सात्विकता, श्रद्धा और ईश्वरीय ऊर्जा का अनवरत संचार बना रहा। प्रवेश द्वार पर आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य चंदन-तिलक, पुष्प एवं अंगवस्त्र के साथ “अतिथि देवो भवः” की सनातनी परंपरा का सजीव स्वागत दृश्य सबके हृदय में गहन श्रद्धा उत्पन्न कर रहा था। पूरे आयोजन में वेद-उपनिषदों की शिक्षाओं, धर्माश्रम के आदर्शों, मूल हिन्दू संस्कारों और प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति का संतुलित और सहज सजीव चित्रण प्रस्तुत रहा, जिससे यह समारोह केवल विवाह न होकर संस्कृति-शिक्षा का जीवंत विद्यालय बन गया।

सनातन वैदिक पाणिग्रहण संस्कार महामंगल महोत्सव की समस्त विधियाँ 21 श्रेष्ठ कर्मकाण्डवेत्ता विद्वान आचार्यों द्वारा वेदों के मूल मंत्रों के साथ सम्पन्न हुईं, जिनकी ध्वनि से वातावरण में शुद्धता, पवित्रता और दिव्यता का स्पंदन निरंतर बना रहा। लगभग 2000–2500 श्रद्धेय अतिथि सनातनी वेशभूषा में सम्मिलित हुए—पुरुष धोती-कुर्ता या कुर्ता-पायजामा में और महिलाएँ भारतीय साड़ी या सूट में सुसज्जित रहीI जिससे सम्पूर्ण परिसर प्राचीन भारतीय गृहस्थ आश्रम की अनुभूति से आलोकित रहा।

सनातन वैदिक पाणिग्रहण संस्कार महामंगल महोत्सव को अपनी शुभकामनाओं से विभूषित करने वाले प्रमुख विभूतियों में से महामहिम राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार जी (रांची, झारखण्ड), माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी (उत्तर प्रदेश) तथा उप-मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश श्री केशव प्रसाद मौर्य जी के प्रतिनिधि के रूप में श्री लाल प्रताप सिंह जी, माननीय श्री सोहन लाल श्रीमाली जी (उपाध्यक्ष—राज्य पिछड़ा आयोग, उ.प्र.), ‘पद्मश्री’ श्री चन्द्रशेखर सिंह जी (किसान वैज्ञानिक), गौरव नन्द जी, विधान सभा प्रत्याशी, मैनपुरी, वरिष्ठ भाजपा नेता, ‘पद्मश्री’ श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव जी (प्रख्यात कजरी गायिका) आदरणीय श्री जीत नारायण सिंह जी (भारत के मुख्य न्यायाधीश के छोटे सगे भाई), आदरणीय श्री मुनेश्वर मिश्र जी (राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ एवं प्रधान संपादक सहजसत्ता), आदरणीय डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय जी, संयोजक (भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ),आदरणीय श्री ललन सिंह जी (पूर्व अध्यक्ष, अखिल भारतीय सामाजिक समरसता अभियान, काशी प्रांत), आदरणीय श्री कन्हैया अग्रवाल जी, प्रबंधक-लाला लक्ष्मी नारायण डिग्री कालेज, आदरणीय श्री रामचरन शर्मा जी (पूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष, लाला लक्ष्मी नारायण डिग्री कॉलेज) श्री भानु प्रताप सिंह जी, समाज चिंतक, लखनऊ, के साथ ही साथ आयोजन के श्रेष्ठतम स्तम्भ के रूप में श्री गणेश प्रसाद जी (वरिष्ठ लेखा परीक्षा अधिकारी), श्री दुर्गा प्रसाद साहू जी, राष्ट्रीय अध्यक्ष—भारतीय राष्ट्रीय वैश्य महासंघ, श्री राजकुमार शर्मा जी (प्रभारी निरीक्षक, थाना लंका, वाराणसी) एवं अनेको गढ़मान्य अतिथियों ने पूरे उत्सव को संगठन, अनुशासन और सांस्कृतिक आदर्शों से सुशोभित किया।

समरसता भोज में बिना लहसुन–प्याज का शुद्ध सात्विक भोजन परोसा गया, जिसे वनवासी समाज द्वारा निर्मित हरे पत्तों की पत्तलों तथा कुम्हार भाईयों द्वारा निर्मित मिट्टी के पात्रों में प्रस्तुत किया गया, जिससे पृथ्वी, जल और अग्नि तत्वों की पवित्रता अक्षुण्ण बनी रही। यह भोज सामाजिक समदृष्टि, सर्वसमावेशिता और सनातन धर्म की समरस परंपरा का आत्मीय प्रतीक बना।
सनातन वैदिक पाणिग्रहण संस्कार महामंगल महोत्सव में चौलर लोकनृत्य, कथक, कजरी, लोक एवं शास्त्रीय संगीत जैसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने काशी की प्राचीन लोकधारा, भाव-संवेदना और भारतीय जीवन-दर्शन को पुनः जनमानस के समक्ष प्रतिष्ठित किया। संत-महात्मा, शिक्षाविद, चिकित्सक, किसान, श्रमिक, न्यायकर्ता और समाज के विविध वर्गों की उपस्थिति ने यह उद्घोषित किया कि सनातन धर्म की आत्मा एकत्व, समरसता और करुणा में ही निवास करती है।

इस पवित्र महामंगल महोत्सव को संस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक आधार प्रदान करने वाले अनेक सम्माननीय व्यक्तित्व—संस्कार भारती, अखिल भारतीय धोबी विकास मंच, विविध सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, प्रवासी भारतीय, अधिवक्ता, शिक्षक, व्यापारी, सामाजिक कार्यकर्ता एवं मीडिया जगत के सहयोगी बंधू , निरंतर सहभागी रहे एवं समस्त परिजनों ने अपनी सौहार्दपूर्ण सेवाभाव, अनुशासन और समर्पित परिश्रम से आयोजन को भव्यता और गरिमा की ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
पूरे महामंगल महोत्सव की दिव्यता को सभी श्रद्धेय अतिथियों ने अपने आशीर्वाद और मार्गदर्शन से जो परम महत्ता प्रदान की, उसने इस आयोजन को केवल एक पारिवारिक उत्सव न रहने देकर धर्मबल, संस्कारबल और राष्ट्रबल का जागरण बना दिया। यह वैदिक पाणिग्रहण संस्कार, महामंगल महोत्सव विशेषतः युवा पीढ़ी के लिए एक युगांतकारी संदेश लेकर आया, जो—
“जब तक वैदिक संस्कार जीवित हैं, तब तक भारत की आत्मा अमर है।”

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