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सीएम को जनसांख्यिकीय नीति का प्रस्ताव सौंपा, दो संतानों के मानक को सरकारी सेवा से जोड़ने की सिफारिश

सीएम को जनसांख्यिकीय नीति का प्रस्ताव सौंपा, दो संतानों के मानक को सरकारी सेवा से जोड़ने की सिफारिश

भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने कहा कि जनसांख्यिकीय नीति लागू होने से संतुलित जनसंख्या वृद्धि और महिला सशक्तीकरण हो सकेगा। कहा कि यह नीति प्रदेश के संतुलित, शिक्षित और सशक्त भविष्य के लिए है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने क्षेत्रवार जनसांख्यिकीय नीति (एरिया वाइज डेमाग्राफिक पॉलिसी) का प्रस्ताव सौंपा है। डॉ. राजेश्वर ने इसे लागू करने की सिफारिश भी की है। इस नीति का उद्देश्य प्रदेश में संतुलित जनसंख्या वृद्धि, महिला सशक्तीकरण और सामाजिक एकता को सुनिश्चित करना है।

डॉ. सिंह ने बताया कि सीएम योगी के नेतृत्व में यूपी ने सुशासन, महिला सुरक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। अब समय आ गया है कि यूपी मॉडल को जनसांख्यिकीय संतुलन के क्षेत्र में भी स्थापित किया जाए।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1951 की जनगणना में हिंदू जनसंख्या 84.4 फीसदी और मुस्लिम जनसंख्या 14 फीसदी थी। वहीं वर्ष 2011 में यह अंतर 79.7 फीसदी और 19.3 फीसदी हो गया। कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या की स्थिति ज्यादा असंतुलित है। इसमें रामपुर (50.6 फीसदी), संभल (56 फीसदी), मुरादाबाद (47 फीसदी) और मऊ-आजमगढ़ में 50 फीसदी के करीब पहुंच चुकी है। सीएम को दिए प्रस्ताव में उन्होंने हर जिले को ग्रीन-अंबर-रेड वर्ग में विभाजित कर क्षेत्रवार नीति लागू करने की सिफारिश की गई।

दो संतान के मानक को सरकारी सेवाओं से जोड़ने की सिफारिशबालिकाओं की 12वीं तक की शिक्षा, मिशन परिवार विकास 2.0 के तहत ज्यादा प्रजनन दर वाले जिलों में घरों तक स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने, यूपी डेमोग्राफी डैशबोर्ड से सभी संकेतकों की सार्वजनिक निगरानी की भी सिफारिश की गई है। प्रोत्साहन के लिए बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को 5 फीसदी अतिरिक्त विकास अनुदान देने, दो या कम संतान वाले परिवारों को कर या आवास में प्राथमिकता देने और उच्च प्रजनन दर वाले क्षेत्रों में दो संतान के मानक को सरकारी सेवाओं से जोड़ने की सिफारिश भी की गई है।इससे संतुलित जनसंख्या संरचना, मातृ-शिशु स्वास्थ्य में सुधार, महिला शिक्षा में वृद्धि, अवैध प्रवासन में कमी और सामाजिक समरसता की दिशा में बड़ा सुधार हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह नीति किसी के विरुद्ध नहीं, बल्कि प्रदेश के संतुलित, शिक्षित और सशक्त भविष्य के लिए है।

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