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“जिन हाथों से गोद मिलनी थी, उन्हीं ने नज़रों से गिरा दिया!”

“जिन हाथों से गोद मिलनी थी, उन्हीं ने नज़रों से गिरा दिया!”

“कलयुगी मां की करतूत – कोख से जन्म, पर सड़क पर फेंका!”

“ममता शर्मसार, मां बनी राक्षसी – पीपल के नीचे तड़पता रहा नवजात!”

“जिस मां ने जन्म दिया, उसी ने मोड़ लिया मुंह – कलयुगी दौर की खौफनाक तस्वीर!”

“कोख से पैदा कर मरने को छोड़ दिया – मां कहें या हैवान?”

“मां जैसी मूरत अब बन गई है खतरा – मासूम की चीखों में डूबा इंसानियत का सच!”

“कलयुगी मां का पाप – जन्म के साथ मौत का सौदा!”

“गोद नहीं मिली, मिली धूल – मां की ममता को क्या हो गया?”

“पेट में रखा 9 महीने… और जन्मते ही बना दिया लावारिस!”

“मां का नाम बदनाम करने वाली कलयुगी ममता – पीपल के नीचे तड़पता मासूम!”

“ममता को शर्मसार करती तस्वीर: पीपल के पेड़ के नीचे लावारिस मिला नवजात, गांव में फैली खामोश हलचल”

फतेहपुर के कल्यानपुर थाना क्षेत्र के कोरसम गांव में आज सुबह एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने इंसानियत को झकझोर दिया।
गांव के पुराने पीपल के पेड़ के नीचे, एक नवजात शिशु लावारिस अवस्था में रोता हुआ मिला। यह वो दृश्य था जिसने न केवल ग्रामीणों को सकते में डाल दिया, बल्कि ममता और मानवता पर कई सवाल खड़े कर दिए।

सुबह-सवेरे टहलने निकले एक दंपति ने जब मासूम की करुण पुकार सुनी, तो पास जाकर देखा — एक नवजात, कपड़े में लिपटा, जमीन पर पड़ा था।

तुरंत गांव में शोर मच गया। सूचना पाकर पहुंची पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बच्चे को फौरन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। डॉक्टरों के मुताबिक नवजात की हालत फिलहाल स्थिर है।

मौन चीखता रहा मासूम, प्रशासन अब जागा

India Now24 की पड़ताल में सामने आया है कि जिस जगह नवजात को छोड़ा गया, वह गांव के मुख्य चौराहे से महज कुछ कदम की दूरी पर है। यहां किसी ने देर रात या भोर में आकर मासूम को पीपल के नीचे रख दिया और चुपचाप चला गया।

गांव के बुज़ुर्ग और महिलाएं इसे ‘पाप की पराकाष्ठा’ बता रहे हैं। कुछ ने यह भी बताया कि बीते कुछ दिनों से आसपास के क्षेत्र में बाहर से आने-जाने वाले संदिग्ध लोगों की हलचल देखी गई थी।

India Now24 का सवाल: कब तक जन्म से पहले या तुरंत बाद छोड़ दिए जाएंगे मासूम?

कहां हैं वे सामाजिक सुरक्षा तंत्र जो मातृत्व को संरक्षण देने की बात करते हैं?
क्यों नहीं होती ऐसी घटनाओं की पहले से रोकथाम?
क्यों नहीं है ऐसी मां के लिए मनोवैज्ञानिक या सामाजिक मदद, जो बच्चे को दुनिया में लाकर उसे सड़क पर छोड़ देती है?

स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी तय हो

India Now24 प्रशासन से माँग करता है कि

इस घटना की गहन जांच की जाए।

आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जाए।

अगर यह किसी मानव तस्करी या अवैध नेटवर्क से जुड़ा मामला हो, तो SOG स्तर की जांच कराई जाए।

ग्रामीणों का आक्रोश, महिलाओं की ममता उमड़ी

गांव की महिलाओं ने बच्चे को गोद लेने की इच्छा जताई है। कई ने कहा कि अगर माता-पिता नहीं पाल सकते थे, तो कम से कम किसी दरवाज़े पर छोड़ जाते — मंदिर में, अस्पताल में, पुलिस चौकी पर… लेकिन खुले आसमान के नीचे, पीपल के पेड़ के नीचे…?

“निष्पक्ष धारा” की सोच: सवाल समाज से भी है…

क्या हम ऐसे बन गए हैं कि मां बनने की जिम्मेदारी को बोझ समझने लगे हैं?
क्या हमारी सामाजिक संरचना इतनी असंवेदनशील हो गई है कि एक नवजात को ज़िंदा सड़क पर छोड़ने में भी संकोच नहीं?

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Balram Singh
India Now24

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