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गुरुग्राम : 60 मिनट की सर्जरी, कुल 6 घंटे गिनती में हुए खर्च

रिपोर्टर इंडिया नाउ 24 सुरेंद्र गुरुग्राम

60 मिनट की सर्जरी, कुल 6 घंटे गिनती में हुए खर्च

फोर्टिस गुरुग्राम में 70-वर्षीय मरीज के पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) का सफल ऑप्रेशन कर 8,125 गॉलस्टोन्स (पथरी) निकाले गए

दिल्ली/एनसीआर में सर्वाधिक गॉलस्टोन (पित्ताशय में पथरी) का मामला

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ सर्जरी कर 70 वर्षीय मरीज के पित्ताशय से 8,125 स्टोन्स (पथरी) सफलतापूर्वक निकालकर मरीज को पिछले लंबे समय से हो रही पीड़ा और बेचैनी से राहत दिलायी। मरीज कई वर्षों से पेट के दर्द, बीच-बीच में बुखार आने, भूख न लगने और कमजोरी की शिकायत से जूझ रहे थे और उन्हें सीने में भी भारीपन महसूस हो रहा था।

डॉ अमित जावेद, सीनियरडायरेक्टर, गैस्ट्रोइंस्टेस्टाइनल ओंकोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम तथा डॉ नरोला येंगर, प्रिंसीपल कंसल्टेंट – जीआई, जीआई ओंकोलॉजी, मिनीमल एक्सेस एंड बेरियाट्रिक सर्जरी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के नेतृत्व में डॉक्टरों की कुशल टीम ने इस जटिल एवं चुनौतीपूर्ण मामले को संभाला और करीब घंटे भर चली सर्जरी के दौरान मरीज के पेट में पित्ताशय की थैली से पथरी निकालकर उनकी वर्षों पुरानी तकलीफ का दूर किया।

मरीज शुरुआत में इलाज को लेकर अनिच्छुक थे। लेकिन उनका दर्द लगातार बढ़ रहा था और उनके नियंत्रण से बाहर हो गया, तो उन्हें नाजुक हालत में फोर्टिस गुरुग्राम लाया गया। यहां भर्ती करवाने पर उनके पेट का तत्काल अल्ट्रासाउंड किया गया जिसमें उनके पित्ताशय में काफी भारीपन दिखायी दिया। उनकी कंडीशन को देखते हुए, डॉक्टरों ने तुरंत मिनीमली इन्वेसिव लैपरोस्कोपिक सर्जरी कर गॉल ब्लैडर (पित्ताशय की थैली) में जमा हजारों गॉलस्टोन्स को निकाला। यह सर्जरी करीब एक घंटे चली और 2 दिन बाद ही स्थिर अवस्था में मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई।

लेकिन, सर्जरी के बाद और भी लंबा काम बाकी था क्योंकि सपोर्ट टीम को मरीज के पित्ताशय से निकाले गए गॉलस्टोन्स की गिनती करनी थी। सर्जरी के बाद घंटों बैठकर टीम ने इस गिनती में पाया कि यह आंकड़ा आश्चर्यजनक रूप से 8,125 था।
इस मामले की जानकारी देते हुए, डॉ अमित जावेद, डायरेक्टर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ओंकोलॉजी, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा, “यह मामला वाकई दुर्लभ था, भले ही अभूतपूर्व न रहा हो। यदि पित्ताशय की पथरी का उपचार नहीं किया जाए, तो धीरे-धीरे पथरी बढ़ती रहती है। इस मामले में, मरीज द्वारा पिछले कई वर्षों तक उपेक्षा का ही नतीजा था कि पथरी इस हद तक बढ़ गई थी। यदि अब और देरी की जाती, तो मरीज की हालत काफी बिगड़ सकती थी और पित्ताशय में इंफेक्शन, पेट दर्द की और गंभीर शिकायत भी हो सकती थी।

ऐसे में भी इलाज न कराया जाए तो गॉलब्लैडर में पस (मवाद) बनने लगता है, और गॉलब्लैडर की भीतरी सतह भी सख्त होने लगती है और इसमें फाइब्रॉसिस भी हो सकता है, यहां तक की गॉलब्लैडर के कैंसर की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सर्जरी के बाद, मरीज की हालत स्थिर है और उन्हें कोई खास बेचैनी भी नहीं है। इस मामले को दुर्लभ बनाया मरीज के पित्ताशय में भारी संख्या में मौजूद स्टोन्स ने जो आमतौर पर कलेस्ट्रोल से बने होते हैं और प्रायः इनका संबंध मोटापे तथा अधिक-कलेस्ट्रोल युक्त खुराक से होता है।

यश रावत, वाइस प्रेसीडेंट एंड फेसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने कहा, “मरीज के गॉलस्टोन में बड़ी संख्या में मौजूद पथरी ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीर और काफी दुर्लभ बना दिया। लेकिन इसके बावजूद, डॉ अमित जावेद के नेतृत्व में हमारे डॉक्टरों की टीम ने असाधारण कुशलता का परिचय देते हुए मामले को संभाला।

फोर्टिस हॉस्पीटल गुरुग्राम में ऐसे मामलों में उपचार के लिए क्लीनिकल उत्कृष्टता और बैस्ट-इन-क्लास केयर उपलब्ध है, और हम आगे भी लगातार मरीजों का जीवन बचाने तथा बेहतर परिणामों के लिए सर्वोच्च स्तर की देखभाल सुनिश्चित करना जारी रखेंगे।”

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