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केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले: आगरा में बनेगा अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र, पुणे मेट्रो फेज-2 को मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले: आगरा में बनेगा अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र, पुणे मेट्रो फेज-2 को मंजूरी

मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने तीन अहम फैसलों को मंजूरी दी है। इस बैठक में जहां आपातकाल के 50 वर्ष होने पर एक प्रस्ताव पास किया गया। वहीं दूसरी ओर यूपी को सरकार की ओर से बड़ी सौगात दी गई हैं।

केंद्र सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट बैठक में तीन अहम फैसलों पर मुहर लगाई। आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में 1975 में लगे आपातकाल को ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताया गया और इसकी कड़ी निंदा की गई है। इसके साथ ही आगरा में एक अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र बनाने और पुणे मेट्रो के फेज-2 को मंजूरी दी गई। इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत करते हुए प्रस्ताव पारित किया।

आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर कैबिनेट में प्रस्ताव पासकेंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को कैबिनेट ब्रीफिंग में जानकारी दी। उन्होंने बताया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह प्रस्ताव पारित किया कि आपातकाल के दौरान साहसपूर्वक उसका विरोध करने वाले असंख्य व्यक्तियों के बलिदान को याद किया जाए और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाए। यह विरोध उस समय की गई संविधान की अवहेलना के खिलाफ था, जिसकी शुरुआत 1974 में ‘नव निर्माण आंदोलन’ और ‘संपूर्ण क्रांति अभियान’ को कुचलने के प्रयास से हुई थी।इस अवसर को चिह्नित करने के लिए आज की मंत्रिमंडल बैठक में दो मिनट का मौन रखा गया, ताकि उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जा सके जिनके संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए थे और जिन्हें असहनीय यातनाएं दी गईं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपातकाल की ज्यादतियों का सामना करने वाले नागरिकों की असाधारण बहादुरी और दृढ़ संकल्प को नमन किया।वर्ष 2025 को ‘संविधान हत्या दिवस’ के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं । भारत के इतिहास का एक ऐसा अध्याय जब संविधान को कुचला गया, गणराज्य और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आघात किया गया। उस समय संघवाद को कमजोर किया गया, मूलभूत अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा को निलंबित कर दिया गया।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दोहराया कि भारत की जनता आज भी भारतीय संविधान और देश के लोकतांत्रिक मूल्यों में अटूट विश्वास रखती है। यह उतना ही जरूरी है कि आज का युवा भी, और वृद्ध भी, उन लोगों से प्रेरणा लें जिन्होंने तानाशाही प्रवृत्तियों का विरोध किया और हमारे संविधान व लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा के लिए अडिग खड़े रहे।भारत, जो लोकतंत्र की जननी है, आज भी संविधानिक मूल्यों की रक्षा, सुरक्षा और संरचना का एक प्रेरणादायक उदाहरण है। आइए, हम सभी एक राष्ट्र के रूप में यह संकल्प लें कि हम अपने संविधान और उसके लोकतांत्रिक एवं संघीय स्वरूप की रक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहेंगे।

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