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लखनऊ अस्पताल को जरूरत इलाज की: डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान का हाल… पेट में समस्या आज, जांच होगी साल भर बाद

लखनऊ अस्पताल को जरूरत इलाज की: डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान का हाल… पेट में समस्या आज, जांच होगी साल भर बाद

लखनऊ के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में बदहाली का आलम है। इंडोस्कोपी के लिए मरीजों को सवा साल बाद की तारीख मिल रही है। ओपीडी, भर्ती और जांच की जिम्मेदारी एक ही डॉक्टर पर है जिससे वेटिंग बढ़ती जा रही है।

केस-1: गोंडा निवासी शिवम को लंबे समय से पेट में समस्या है। जिला अस्पताल से रेफर होकर वह लोहिया संस्थान पहुंचे। डॉक्टरों ने उन्हें इंडोस्कोपी जांच लिखी। संस्थान में जांच के लिए उन्हें अगले साल सितंबर माह की तारीख दी गई है। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह बाहर जांच कराएं या करीब सवा साल इंतजार करें।

केस-2:  बलरामपुर निवासी सोनी भी पेट की समस्या के साथ लोहिया संस्थान पहुंचीं। डॉक्टरों ने इंडोस्कोपी जांच के लिए लिखा। इंडोस्कोपी कराने पहुंचीं तो उन्हें अगले साल सितंबर में आने को कहा गया। मजबूरी में उन्होंने निजी केंद्र से जांच कराकर इलाज जारी रखने की बात कही।

केस-3: लखनऊ निवासी रामकरन ने लोहिया दिवस संस्थान में गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग की ओपीडी में मंगलवार को दिखाया। डॉक्टरों ने इंडोस्कोपी जांच लिखी। उन्हें भी अगले साल की तारीख मिली है। अब उनके पास एक ही विकल्प है कि वे निजी केंद्र में जाकर अपनी जांच कराएं।डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इमरजेंसी छोड़कर अन्य मरीजों को इंडोस्कोपी जांच के लिए एक से सवा साल बाद की तारीख दी जा रही है। इस वजह से मरीज काफी परेशान हैं। संस्थान में गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में महज एक डॉक्टर बांड के आधार पर तैनात हैं। इसी वजह से जांच के लिए वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही है। लोहिया संस्थान में गैस्ट्रो मेडिसिन विभाग में एक भी नियमित डॉक्टर नहीं है। साल भर पहले यहां बांड के आधार पर एक डॉक्टर की तैनाती हुई थी। यही डॉक्टर संस्थान में ओपीडी संभालते हैं और मरीजों की भर्ती भी करते हैं। इंडोस्कोपी जांच की जिम्मेदारी भी उन्हीं के ऊपर है। नतीजा, ओपीडी से लेकर भर्ती और अब जांच में वेटिंग बढ़ती जा रही है। इस समय यहां इंडोस्कोपी जांच के लिए एक साल से ज्यादा की वेटिंग हो गई है।

विभाग में होने चाहिए न्यूनतम तीन शिक्षक

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के मानकों के हिसाब से एक विभाग में न्यूनतम तीन शिक्षक होने चाहिए। इनमें से न्यूनतम एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट और एक असिस्टेंट प्रोफेसर होना चाहिए। इसके बावजूद लोहिया संस्थान में लंबे समय से पद खाली पड़े हुए हैं।जल्द होगी भर्तीलोहिया संस्थान के प्रवक्ता प्रो. भुवन तिवारी ने बताया कि यह सही है कि जांच के लिए वेटिंग नहीं होनी चाहिए, लेकिन डॉक्टरों की कमी की वजह से ऐसी समस्या आ गई है। संस्थान में इस समय शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही नियुक्ति होगी और वेटिंग में कमी आएगी।

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