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लखनऊ शहर के विकास के लिए 16वें वित्त आयोग से 10 हजार करोड़ रुपये की विशेष सहायता की मांग

लखनऊ शहर के विकास के लिए 16वें वित्त आयोग से 10 हजार करोड़ रुपये की विशेष सहायता की मांग

शहर के विकास के लिए 16वें वित्त आयोग से 10 हजार करोड़ रुपये की विशेष सहायता की मांगविस्तारित क्षेत्र और बढ़ती जनसंख्या से जूझ रहा शहरमाई सिटी रिपोर्टर लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आज एक ऐसे दौर से गुजर रही है जहाँ उसकी भौगोलिक सीमाएं और जनसंख्या दोनों ही अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही हैं। इस विस्तार ने एक ओर जहाँ नगर को प्रगतिशील दिशा में ले जाने की संभावनाओं को बढ़ाया है, वहीं दूसरी ओर आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था और संसाधनों की उपलब्धता पर भारी दबाव भी डाला है। 16वें वित्त आयोग की बैठक के अवसर पर नगर निगम की ओर से  प्रस्तुत दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ कि पिछले एक दशक में लखनऊ का शहरी परिदृश्य पूरी तरह से बदल चुका है।

==जनसंख्या और क्षेत्रफल में हुई तेज वृद्धिलखनऊ नगर निगम से इस बैठक का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ पार्षद अरुण तिवारी ने किया। उन्होंने बैठक में बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ नगर की जनसंख्या 28.17 लाख थी। नगर निगम सीमा विस्तार के बाद 2.64 लाख की अतिरिक्त जनसंख्या जुड़ी और कुल जनसंख्या 30.81 लाख हो गई।

वर्तमान समय में यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 48.60 लाख हो गया है, जिसमें फ्लोटिंग पॉपुलेशन (अस्थायी रूप से निवास करने वाली जनसंख्या) शामिल नहीं है। इसी प्रकार, नगर निगम का कुल क्षेत्रफल भी 310 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर अब 568 वर्ग किलोमीटर हो चुका है। इस विस्तार में लखनऊ के चारों ओर के 258 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को नगर निगम सीमा में शामिल किया गया है।

===बढ़ते क्षेत्रफल और जनसंख्या से उपजीं समस्याएंबैठक में पार्षद अरुण तिवारी ने बताया कि विस्तारित क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं जैसे जल आपूर्ति, सड़क, सीवरेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पार्क, स्ट्रीट लाइट, ट्रैफिक प्रबंधन जैसी सेवाओं का व्यापक अभाव है। 83 प्रतिशत नए क्षेत्र को जोड़ा गया है लेकिन वहां आज भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। यहाँ न तो पर्याप्त नाले हैं, न सीवर लाइनें, और न ही समुचित पेयजल व्यवस्था। इस कारण शहर के केंद्र से दूर बसे नए कॉलोनियों में रहने वाले लाखों लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

===15वें वित्त आयोग की धनराशि से किए गए कार्यपार्षद  अरुण तिवारी ने बताया कि 15वें वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि का उपयोग कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं में किया। इनमें प्रमुख रूप से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत लिगेसी वेस्ट का वैज्ञानिक निस्तारण, डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रह, कूड़ा परिवहन, अंडरग्राउंड बिन्स की स्थापना, ट्रांसफर स्टेशन का निर्माण, सफाई उपकरणों और मोबाइल शौचालयों की खरीद, निर्माण और ध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन (सी एंड डी वेस्ट प्लांट) का निर्माण और संचालन आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इसी के साथ नदी में गिरने वाले नालों का बायो-रिमेडिएशन, फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन, जल संरक्षण कार्य जैसे ग्राउंड वॉटर रिचार्ज, तालाबों का जीर्णोद्धार, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, जल आपूर्ति के लिए नलकूपों की रीबोरिंग, ओवरहेड टैंक और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण आदि कार्य भी कराए गए। वायु गुणवत्ता सुधार हेतु रोड स्वीपर, एंटी स्मॉग गन, मिनी फॉरेस्ट्स का विकास (मियावाकी पद्धति), प्रमुख चौराहों का चौड़ीकरण, मल्टी लेवल पार्किंग, ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस), पार्क और सड़कों के किनारे पौधारोपण, एयर प्यूरीफायर की स्थापना आदि कार्य भी 15वें वित्त आयोग से प्राप्त धन से पूरे किए गए।

===16वें वित्त आयोग से अपेक्षाएं पार्षद  अरुण तिवारी ने बैठक में कहा कि वर्तमान समय की नवीन आवश्यकताओं के मद्देनजर और उन्नत तकनीक आधारित व्यवस्था को लागू करने के लिए आगामी वित्त आयोग में और अधिक संसाधनों की आवश्यकता है। इसके तहत वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट, घरेलू हानिकारक अपशिष्ट व ई-वेस्ट के लिए कलेक्शन सेंटर, मल्टी लेयर प्लास्टिक रिसाइकलिंग प्लांट, सैनिटेशन रिसोर्स पार्क, पब्लिक ई-चार्जिंग स्टेशन, नगर निगम कार्य हेतु ई-व्हीकल्स, नगर निगम भवनों पर सोलर पैनल जैसी परियोजनाओं को शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है।===अनुमानित बजट और धनराशि की मांगउन्होंने बैठक में कहा कि नगर निगम ने विस्तारित क्षेत्रों के प्रभावी विकास के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार लगभग 7207 करोड़ रुपये की आवश्यकता बताई है। इसके अतिरिक्त नगर की मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए 3500 करोड़ रुपये की अलग मांग की गई है। इस प्रकार कुल मिलाकर नगर निगम ने 16वें वित्त आयोग से लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की विशेष सहायता की मांग की है।

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