जिला अस्पताल गोरखपुर बना भ्रष्टाचार का वर्कशॉप..सरकार की आँख में धूल और डॉ सुमन की जेब मे फूल

जिला अस्पताल गोरखपुर बना भ्रष्टाचार का वर्कशॉप..सरकार की आँख में धूल और डॉ सुमन की जेब मे फूल
गोरखपुर के जिला अस्पताल में डॉ वीके सुमन साहब पिछले लगभग 25 वर्षों से ऐसा जमे हैं, जैसे किसी आलीशान कुर्सी पर सुपर ग्लू लगा दिया गया हो । कुर्सी भी अब थक कर कह रही होगी – “भाई, कभी तो आराम दे दो !” पर नहीं… डॉक्टर साहब तो मिशन मोड में हैं – न “कुर्सी छोड़ेंगे और न कमीशन !” डॉक्टर साहब का जो वीडियो वायरल है उसमें पीड़ित अपने आप को सत्ताधारी पार्टी का कार्यकर्ता बता रहा है । कहता है कि उसकी माँ जिला अस्पताल में कराह रही है और डॉक्टर साहब अपने घर पर प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं । बताया जा रहा है कि मामला तूल पकड़ता देख डॉक्टर साहब ने मामले को मैनेज ही नही किया बल्कि सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता को चाय वाय पिलाकर अपने प्राइवेट प्रैक्टिस की वीडियो भी डिलीट करवाई । वीडियो में दिखाई दे रहा है कि डॉक्टर साहब बकायदे अपने घर पर बोर्ड लगाकर सिर्फ क्लिनिक रूपी अस्पताल ही संचालित नही कर रहे हैं बल्कि अब तो डॉक्टर साहब के लिखे पर्चे भी फिजाओं में तैरते नजर आ रहे हैं । कहिए तो आपके भी हस्तलेख की जाँच “ठाकुर साहब” की तरह ही करा दी जाए डॉक्टर साहब !
हाल ही में सैनिटाइज़र खरीद में हुई ‘सुगंधित धांधली’ का मामला तूल पकड़ रहा है और डॉक्टर साहब के खिलाफ कमीशनबाजी की जाँच भी अंतिम चरण में है । गोरखपुर जिला अस्पताल की दीवारें अब अल्कोहल की महक से नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की बदबू से कराह रही हैं….और डॉक्टर साहब ? वो तो जैसे भ्रष्टाचार के प्रोफेसर हैं — थ्योरी से लेकर प्रैक्टिकल तक में पारंगत । डॉक्टर सुमन एक तरफ सरकार से जो NPA (Non Practicing Allowance) लेते हैं, वो इस भरोसे पर कि वो प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे । लेकिन डॉक्टर साहब तो कैमरे में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए रंगे हाथ पकड़े गए । पूछने पर मुस्कराकर वीडियो में बोलते हुए सुनाई पड़ रहे हैं – ” कि वीडियो बना लिया तो विधानसभा में डाल दोगे ? “वीडियो में डॉक्टर साहब कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि 2 बजे के बाद वो मरीज देख रहे हैं । तो क्या दो बजे के बाद आप मरीज देख सकते हैं डॉक्टर साहब ! क्या सरकारी NPA आपको इसकी इजाजत देता है ? वाह क्या ठसक है ! लगता है डॉक्टर साहब अब मरीज का नहीं बल्कि सरकार का धैर्य चेकअप कर रहे हैं ।
दुख की बात ये नहीं है कि डॉक्टर साहब प्रैक्टिस कर रहे हैं। दुख तो ये है कि अपने इस भ्रष्टाचार को वो गर्व की तरह पहनकर घूम रहे हैं । जैसे कोई तमगा हो – “देखो मैं कितने सालों से सबको बेवकूफ बना रहा हूँ ! और शायद इसी कारण “गोरखपुर का जिला अस्पताल अब अस्पताल नहीं बल्कि “आरोपों और भ्रष्टाचार का आईसीयू” बन चुका है ।
ऐसे में जनता पूछ रही है “डॉक्टर साहब, कि आखिर आप कब सस्पेंड होंगे ? अपने ज़मीर से तो हो नही सकते कम से कम सर्विस से हो जाइये ?”आपके जैसे लोग अगर इलाज करेंगे तो बीमारियाँ नहीं बल्कि भरोसा मरेगा ! इसलिए “सरकार से गुज़ारिश है कि“अब आँखों से पट्टी उतारिए और डॉक्टर साहब के स्टेथोस्कोप के नीचे छिपी दलाली की नब्ज पर एक तेज़ झटका दीजिए । डॉक्टर सुमन पिछले 25 सालों से “सरकार की आँख में धूल और अपनी जेब में फूल लिए घूम रहे हैं !” “प्रैक्टिस तो इनकी सालों पुरानी है, बस कैमरे में पहली बार पकड़े गए !” “डॉ. साहब मरीज का इलाज नही करते बल्कि, सिस्टम की आत्मा फाड़ देते हैं !”
“डॉ. साहब को वीडियो से क्या डर ? वीडियो का डर तो उन्हें होता है जिनका उनका ईमान जिंदा हो..डॉक्टर साहब का तो बहुत पहले ही मर चुका है !” मजे की बात यह है कि एकतरफ ये “प्राइवेट प्रैक्टिस के ‘बॉस’ हैं और दूसरी तरफ इनके लिए सरकार से NPA का खैरात भी पास है ! “जिला अस्पताल गोरखपुर तो भ्रष्टाचार का वर्कशॉप बनने की कगार पर है और उस पर तुर्रा यह कि डॉक्टर सुमन जैसे लोगों के हाथ मे “भ्रष्टाचार रोकने की कमान भी मिली हुई है ।