वाह रे योगी जी की पुलिसिया चंद रुपयों के लिए किसी को भी बलि का बकरा बना सकती है – गोरखपुर।

वाह रे योगी जी की पुलिसिया चंद रुपयों के लिए किसी को भी बलि का बकरा बना सकती है – गोरखपुर।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं। लेकिन उन्ही के गृह जनपद गोरखपुर की कुछ पुलिसिया सिस्टम चंद रुपयों में किसी की भी जिंदगी बर्बाद कर सकती। ये दावा केवल कुछ भ्रष्ट अफसरों के लिए ही है। जो अपने पद का पूर्णतः दुरुपयोग करते हैं, और मालामाल हो जाते हैं। इनको क्या है ये पैसे लेकर पहले प्राथमिकिय दर्ज करते हैं। उसके बाद विवेचना में सोने पे सुहागा है इनका उसके बाद समझौते में तो इनके लिए सिम सिम दरवाजा हो जाता है।
पीड़ित अजीत सिंह द्वारा बताया गया की मैं पेशे से प्रॉपर्टी डीलर का काम करता हूं। मुझे झूठी साजिस के तहत मेरे खिलाफ एक बहुत बड़ा षड्यंत्र किया जा रहा है, जो पुलिस और षड्यंत्र कारियों की आपसी साझा का शिकार मुझे और मेरे पूरे परिवार को व मेरे दोस्तों व रिश्तेदारों को बिल्कुल मकर जाल में फंसा रखा है। जिस मामले में मुकदमा पंजीकृत है उसे मामले की जानकारी हमें दूर-दूर तक नहीं है।
दिन प्रतिदिन इस गिरोह का फर्जी मुकदमा कर देने की धमकी आती रहती है। समय से पैसा ना देने पर उत्तर प्रदेश में मुकदमा भी करा दी जाती है।
बात है तिवारीपुर के मुकदमा नंबर 0231/2023 में पीड़ितों द्वारा दिए गए तहरीर की जांच कास पहले हो गई होती तो शायद प्रशासन के द्वारा कुछ निर्दोष बच गए होते ।
अब दूसरा मुकदमा नंबर 0435/2024 पनियरा महाराजगंज में तहरीर की जांच ना करके सीधे मुकदमा पंजीकृत करके अपराधियों को खोजने का कार्य शुरू हो गया।
अपराधियों को खोजने व माल इकट्ठा करने में ज्यादा लगी. प्रशासन जब माल हाथ नही लगा तो छान बीन चालू , इनके कहने का मतलब वर मरे चाहे कन्या प्रशासन को केवन दक्षिना से मतलब है।
सवाल यह उठना लाजमिय है कि बिना जांच की तहरीर पर मुकदमा कैसे लिखा जा सकता है।
यह चैलेंज का विषय बन रहा है माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के ऊपर कि आपकी पुलिसिया सिस्टम इतना सुस्त कैसे हो सकती है।
अब तीसरा मुकदम नंबर 0186/2025 थाना चौरी चौरा मुकदमे कि श्रृंखलाओं में यह भी मुकदमा गंभीर जांच का विषय बना हुआ है। खैर जांच का विषय तो सारे मुकदमे हैं।
उत्तर प्रदेश की पुलिसिया सिस्टम खासकर गोरखपुर मण्डल पे ये सवाल उठता है कि,
क्या मुकदमा पंजीकृत करने से पहले गंभीरता से जांच हुई…?
अगर जांच हुई तो जो विवेचक का ऑडियो टेप वायरल हो रहा है, वो क्या दर्शाता है।
क्या कहते हैं तिवारीपुर थाने के विवेचक – इनका कहना होता है कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई है हम कुछ अधिकारियों के दवाब में आकर व कुछ लालच में आकर ये गलती कर बैठे।
क्या कहते हैं चौरी चौरा के विवेचक – मुकदमे में दिया हुआ अकाउंट नंबर ही क्लियर नही हो पा रहा है, अभी जांच चल रही है
क्या कहते हैं पनियरा के विवेचक – पनियरा के विवेचक अपने मुजरिम को अपने थाने न बुला कर बल्कि वाराणसी या गोरखपुर बुलाते हैं। उसके बाद ये किसी का फोन ही नहीं उठाते हैं।
क्या कहते हैं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर – मामला बहुत ही संगीन हैं , इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी जो भी दोषी होगा उनको बक्सा नही जायेगा चाहे विभाग में हो चाहे कोई गिरोह।