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गोरखपुर : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत 16 अगस्त को मनाया जायेगा- पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत 16 अगस्त को मनाया जायेगा- पं बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य

गोरखपुर। भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पंडित बृजेश पाण्डेय ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत एवं जन्मोत्सव को लेकर जनमानस में उपजी भ्रांतियों को देखते विद्वानों ने निर्णय लिया है कि दिनांक 16 अगस्त दिन शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण का 5252 वाँ जन्मोत्सव मनाया जाएगा और भक्त इसी दिन व्रत भी रहेंगे।

पं. बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को हुआ था।इसलिए अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी व्रत किया जाता है।

निर्णय सिंधु,श्रीमद्भागवत कथा,धर्म सिंधु,स्कन्द पुराण व अन्य धर्मग्रंथों मे वर्णित है कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि को वृषभ राशि के चंद्रमा में हुआ था।ज्योतिषाचार्य ने जन्माष्टमी पर्व का संक्षिप्त में वर्णित करते हुए कहा कि शास्त्रानुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण मथुरा नगरी में राजकुमारी देवकी और उनके पति वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे। मान्यता है कि जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रख कर पूजा-अर्चना करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जन्माष्टमी पर बाल गोपाल कृष्ण की आराधना करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है और व्रत रखने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन राधा कृष्ण मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया जाता है तथा अन्य राज्यों व धार्मिक तिर्थ स्थानों पर जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जो कृष्ण के बचपन की लीलाओं का प्रतीक है।

श्री पाण्डेय जी ने यह भी बताया कि जन्‍माष्‍टमी पर श्रद्धालु गण सच्‍ची निष्ठा व श्रृद्धा भाव से व्रत रखते हुए श्री कृष्‍ण के जन्‍मोत्‍सव की खुशियां मनायें तथा व्रत का आरम्भ अष्‍टमी से होकर नवमी पर पारण करें. व्रत करने वालों को सप्‍तमी तिथि से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना शुरू कर देना चाहिए और सभी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। जन्‍माष्‍टमी के दिन प्रातः शिघ्र स्‍नान करके हाथ में गंगाजल लेकर व्रत करने का संकल्‍प करना श्रेयस्कर होता है। इस दिन स्‍तनपान कराते हुए माता देवकी जी की प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।

प्रतिमा के अभाव मे गाय और उसके बछड़े की मूर्ति की भी पूजा कर सकते हैं। इस दिन श्री कृष्‍ण के बाल स्वरूप को झूला भी झुलाने कि विशेष मान्यता है।

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