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कमजोर कड़ी से सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बना भारत, जीडीपी की वृद्धि में साथी देशों को पीछे छोड़ा

कमजोर कड़ी से सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बना भारत, जीडीपी की वृद्धि में साथी देशों को पीछे छोड़ा

भारत ने पिछले एक दशक में ब्रिक्स समूह में अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत को मजबूती से स्थापित किया है। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत न केवल जीडीपी और औद्योगिक विकास में ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका को पीछे छोड़ चुका है, बल्कि अब यह मंच पर महत्वपूर्ण एजेंडा तय करने वाला प्रमुख सदस्य बन चुका है।

दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बना भारत अब ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों में सिर्फ भागीदारी ही नहीं करता बल्कि बैठकों का एजेंडा भी तय करता है। बात चाहे आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की हो, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) की हो या फिर वैश्विक दक्षिण से जुड़े मुद्दों की, इन्हें इस मंच के एजेंडे में लाने का श्रेय भारत को ही जाता है। लेकिन करीब एक दशक पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। उस समय भारत को ब्रिक्स देशों की सबसे कमजोर कड़ी में गिना जाता था।ब्रिक्स में भारत की धमक वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद बढ़ी है। मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से अब तक ब्रिक्स के सभी शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लिया है। ताजा आंकड़ों पर नजर डाले तो भारत ब्रिक्स में शामिल देशों ब्राजील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका को जीडीपी और औद्योगिक वृद्धि में पीछे छोड़ चुका है। यूपीए-2 के शासनकाल के दौरान तो यह स्थिति थी कि कमजोर आर्थिक बुनियाद का हवाला देकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया सवाल उठाता था कि क्या भारत वाकई इस समूह का हिस्सा है।

पुतिन ने भी की थी भारत की तारीफभारत की मौजूदा मजबूत आर्थिक स्थिति की मार्गन स्टैनले, एचएसबीसी से लेकर आईएमएफ तक दुनिया के तमाम प्रमुख वित्तीय संस्थान तारीफ करते रहे हैं। आईएमएफ ने दो 2023 में भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उम्मीद की किरण करार दिया था। वहीं, वर्ष 2024 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि भारत की आर्थिक वृद्धि ब्रिक्स देशों के लिए एक मिसाल है।
2013 में आतंकवाद विरोधी कार्य योजना अपनाईब्रिक्स में आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने पर बनी सहमति मोदी सरकार की पहल का ही नतीजा थी। 2021 में 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की भारत की अध्यक्षता में एक औपचारिक आतंकवाद विरोधी कार्य योजना को अपनाया। इसके तहत खुफिया जानकारी साझा करने, क्षमता निर्माण और आतंकवादी समूहों के वित्तीय और डिजिटल नेटवर्क को तोड़ने वाला ठोस संस्थागत तंत्र बना। नवाचार और उद्यमिता पर भारत का जोर ब्रिक्स स्टार्टअप फोरम के तौर पर सामने आया। भारत ने ब्रिक्स सहयोग के एक नए स्तंभ के रूप में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की भी शुरुआत की।

इंडोनेशिया से बदलने की दी गई रायभारत की कमजोर स्थिति को देखते हुए वर्ष 2012 में एक विशेषज्ञ ने तो यह सलाह तक दे डाली थी कि ब्रिक्स में इंडिया की जगह इंडोनेशिया को शामिल कर लिया जाना चाहिए। भारत उस समय विदेशी कर्ज के बोझ से दबा था, मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में थी और निवेशकों का भरोसा लगातार घट रहा था। उस समय भारत को दुनिया की पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक कहा जाता था।
2013 से 2025 के बीच जबर्दस्त उछालवर्ष 2013 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर काफी धीमी थी और वह अन्य सभी ब्रिक्स देशों से पीछे रह गया था। आर्थिक स्थिति के प्रमुख संकेतकों में एक औद्योगिकी विकास में भी उसकी हालत खस्ता थी। लेकिन अब, 2025 में स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।ब्रिक्स का अगला शिखर सम्मेलन भारत में होगाब्रिक्स के 11 सदस्य देशों के शीर्ष नेता शिखर सम्मेलन के लिए रियो में मौजूद हैं। हालांकि, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं। ब्रिक्स की शुरुआत ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने मिलकर की थी, लेकिन 2024 में इसमें मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को भी शामिल किया गया। 2025 में इसमें इंडोनेशिया को जगह दी गई। ब्रिक्स का अगला शिखर सम्मेलन भारत में होगा।

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