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आजमगढ़ : चकबंदी विभाग के फर्जी प्रस्ताव का नहीं हो सका खुलासा

आजमगढ़ चकबंदी विभाग के फर्जी प्रस्ताव का नहीं हो सका खुलासा

टेल्हुआ चकवली के ग्रामीणों ने किया धरना प्रदर्शन

डीएम साहब न्याय दो, भु माफिया से हमे बचा लो

संवाददाता संतोष पाण्डेय ब्यूरो की खास रिपोर्ट

आजमगढ़ जिलाधिकारी से सैकड़ो की संख्या में पहुंचे टेल्हुआ चकवली के ग्रामीणों ने चकबंदी विभाग और भूमाफियाओं की मिली भगत से मनगढ़ंत प्रस्ताव पर हुए ऑर्डर के खिलाफ जिलाधिकारी आजमगढ़ को पत्रक शौपकर उच्च स्तरीय से संयुक्त जांच की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के वर्तमान प्रधान केदार यादव ने चकबंदी कराने का प्रार्थना पत्र देकर एकतरफा आख्या रिपोर्ट चकबंदी विभाग से मिली भगत कर बिना बैठक और ग्रामीणों का बिना अभीमत लिए ही बनवा डाली। जिससे पुनः धारा 4 का प्रकाशन हो गया, अब ग्रामीण धारा 6 की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। पूर्व में हुए धरना प्रदर्शन पर चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया था, किंतु कोई कार्रवाई नही करते हुवे गांव को चकबंदी के विवाद में उलझाए हुए हैं। कई बार धारा 6 की कार्रवाई के लिए एसडीएम और बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी की संयुक्त बैठक का एजेंडा भी गया, कई बार उच्च अधिकारी वादा किये ग्रामीण इंतजार करते रहे लेकिन कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचे, और चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने झूठा आश्वासन देकर ग्रामीणों को भ्रमित करते रहे और समय बीतता गया अब गांव पहुंचकर चकबंदी के सर्वे करने का दबाव बना रहे हैं। वही ग्रामीण सैकड़ो की संख्या में एकत्रित होकर विरोध कर रहे हैं। जबकि चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने यह आख्या रिपोर्ट ग्रामीणों को बनाकर आश्वासन दिया है कि एसडीएम और बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी की संयुक्त बैठक के बिना चकबंदी होने ना होने को लेकर कोई बैठक नहीं की जाएगी।चकबंदी की कोई भी कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी। सदर तहसील के टेल्हुआ गांव का चकबंदी अधिनियम के तहत प्रकासन 1992 को हुआ था। गांव के समस्त अभिलेख तहसील से चकबंदी विभाग को हस्तानांतरित कर दिया गया था, लेकिन चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने देखा कि इस गांव में पूर्व में हुई चकबंदी में बना रास्ता चक रोड नाली पोखरी बंजर आदि की पर्याप्त भूमिका है। यह सूचना उच्च अधिकारियों को विभाग द्वारा दी गई जिससे उच्च अधिकारियों ने गांव में बैठक कर संवाद कर देखा कि सत्य है। यहां पर गांव के बीच से चिरैयाकोट वाराणसी मेन रोड जाता है। जिसके दोनों तरफ आबादी बसी हुई है। जहां पर्याप्त चक मार्क चकनाली पोखरी और सार्वजनिक भूमि उपलब्ध है। जिससे सत्य है यहां चकबंदी की कोई आवश्यकता नहीं है। किसानों ने चकबंदी न कराने की मांग की थी मौके को देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने चकबंदी आयुक्त को यह आख्या रिपोर्ट भेजी की यहां चकबंदी कराना संभव नहीं है। यहां चकबंदी की कोई आवश्यकता नहीं है जिससे लगभग 25 वर्ष बाद चकबंदी न कराए जाने की रिपोर्ट शासन को भेजी गई जिस पर शासन से सन 2018 में धारा 6(2 )की विज्ञप्ति जारी हो गई। अर्थात गांव चकबंदी प्रक्रिया से बाहर चला गया तथा सभी अभिलेख तहसील में वापस चले गए। उसी के अनुसार तहसील में संतोषजनक कार्य चल रहा था किंतु गांव के सरकारी भूमि को हड़पने वाले भूमाफियाओं ने अधिकारियों से मिल कर गुपचुप तरीके से बीना गांव में सूचना दिए ही फर्जी प्रस्ताव बनवा दिए कि यहां चकबंदी की आवश्यकता है। और पूरा गांव चकबंदी चाहता है जब ग्रामीणों को भनक लगी तो ग्रामीणों ने पूर्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर जाकर धरना प्रदर्शन किया था किंतु उस वक्त बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने जिलाधिकारी आजमगढ़ को आख्या रिपोर्ट भेज कर अवगत कराया की पुनः प्रस्ताव पर सहायक चकबंदी अधिकारी जहानागंज को बैठक कर किसानों की सहमति के अनुसार आख्या उपलब्ध कराए जाने के लिए निर्देशित किया गया है। किंतु तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी संजय दुबे ने मनमानी तरीके से आख्या रिपोर्ट भेज दी है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री और चकबंदी आयुक्त लखनऊ को शिकायत किया जिस पर ग्राम वासियों से संवाद कर चकबंदी कराने की भेजी गई फर्जी आख्या का खुलासा करना था। किंतु सहायक चकबंदी अधिकारी जहानागंज संजय दुबे ने अपने खिलाफ स्वयं जांच अख्या बना डाली । विपक्षियों से मिलकर उक्त शिकायत पर कार्रवाई न करके कई महीनो शिकायती पत्र को रखे रह गए और चकबंदी होने के आदेश का इंतजार करते रहे तत्पश्चात एक पक्षी आदेश के बाद सहायक चकबंदी अधिकारी ने अपने खिलाफ ही स्वयं जांच करते हुए बिना गांव में गए ही मनगढ़ंत आख्या तैयार कर भेज डाली और भूमाफियाओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में ग्रामीणो को जाने के भय से कैबिनेट दाखिल कर डाली। तत्पश्चात ग्रामीणों ने वृहद विरोध प्रदर्शन शुरू किया चकबंदी विभाग के उच्च अधिकारियों ने ग्रामीणों को झूठा आश्वासन देकर वापस भेज दिया तथा गांव को चकबंदी प्रक्रिया से बाहर करने के लिए कई बार उप जिलाधिकारी सदर और बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी की बैठक का एजेंडा भी गया, किंतु उक्त अधिकारी बैठक में नहीं पहुंच सके और उनके अधीनस्थ अधिकारी पहुंचे जिससे चकबंदी करने की फर्जी आख्या का खुलासा नहीं हो पाया इस दौरान चकबंदी विभाग की जिम्मेदार अधिकारी उक्त विवाद को जानते हुए भी गांव में जबरन चकबंदी प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं ,जिसका ग्रामीण एकजुट होकर मौके पर विरोध कर रहे हैं
जिसके क्रम में आज कलेक्ट भवन आजमगढ़ पर सैकड़ो की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी आजमगढ़ को पत्रक शौप उच्च स्तरीय संयुक्त जांच कराते हुए मामले की खुलासा तथा सच्ची आख्या रिपोर्ट से चकबंदी आयुक्त लखनऊ को अवगत कराने की मांग की । जिसको जिलाधिकारी महोदय ने संज्ञान लेते हुए किसी उच्च अधिकारियो की संयुक्त टीम से जांच कराने का आश्वासन दिया। देखना यह होगा कि ग्रामीणों को न्याय मिलता है कि मामला भू माफियाओं के प्रभाव में आकर लीपा पोती करते हुए उलझा दिया जाता है ।

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