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फतेहपुर : ‘खूनी’ ‘संघर्ष’ की ओर ‘बढ़ा’ ‘सरकंडी’ के ‘महाराज’ का ‘ताज’

‘खूनी’ ‘संघर्ष’ की ओर ‘बढ़ा’ ‘सरकंडी’ के ‘महाराज’ का ‘ताज’

पावर,पैसा,सत्ता के गलियारे तक पहुंचे संतोष का लोगों के प्रति बदला बर्ताव तो शुरू हो गया विरोध!

सरकारी खजाने की लूट,योजनाओं में प्रधान के गुरगों की वसूली से आजिज थे ग्रामीण!

लोगों को एक और रसूखदार एवं सत्ता का सहारा मिला तो चिंगारी से बन गए शोला!

पक्ष-विपक्ष के लिए सत्ताधारियों के आ रहे फोनों से चकरगिन्नी बने हैं अफसर!

पूर्व ब्लाक प्रमुख व प्रधान पति के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू!

दोनों पक्षों को नेताओं की मिल रही सत्ताई ऑक्सीजन,एक विधायक तो डबल गेम में!

लंबा समय गुजरा घोटाले की जांच नहीं पहुंच रही किनारे,संघर्ष का यह भी बना कारण!

सरकंडी की बदली आबो-हवा गुंडई का जवाब गुंडई से दे रहे ग्रामीण,रसूखदारों की प्रतिष्ठा दांव पर!

फतेहपुर जनपद के असोथर विकास खंड के सरकंडी में इन दिनों तपिस बढ़ी है। विकास कार्यों के लिए दिए गए सरकारी खजानें के करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार की जांच,कार्रवाई की शिकायतों के बीच सत्ताधारियों की रस्साकशी में अब तक ठोस कार्रवाई न होने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सरकंडी के ‘महाराज’ का पाला इस बार एक और रसूखदार कद्दावर से पड़ा तो पर्दे के पीछे से शुरू विरोध का खेल अब खुलकर आमने-सामने आ गया है। ढाई दशक पहले गांव की राजनीति से प्रधान पति संतोष द्विवेदी का जनसेवा के भरोसे से शुरू हुआ सिलसिला पावर,पैसा तक ही सीमित नहीं रहा।रुतबा बढ़ा दो सत्ता के गलियारों तक अपना रास्ता बनाने वाले संतोष महाराज को ना न सुनने की आदत सी पड़ गई। संतोष द्विवेदी के बढ़ते कद के बीच भ्रष्टाचार एवं जनता के प्रति बदले बर्ताव का नतीजा रहा कि विरोधी स्वर सड़क तक पहुंच गए।गत दिनों दोनों पक्षों में हुई तनातनी गाली गलौज,लाठी-डंडों एवं असलहों का प्रदर्शन यह बताने के लिए काफी है कि सरकंडी से महाराज के ताज को छीनने की बेताबी इस कदर से बढ़ चुकी है कि हालात खूनी संघर्ष की ओर मुड़ गए हैं। कार्रवाई व भ्रष्टाचार करने वालों को बचाने की सिफारिशों के बीच अफसर चकरगिन्नी बने हुए हैं।
सरकंडी गांव की प्रधानी से शुरू संतोष द्विवेदी का सफर धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया तो विभिन्न कारोबारों को करते हुए वह अपना रुतबा बनाने में कामयाब हो गए। *पावर,पैसा बढा तो वह सत्ता के भी दुलारे बन गए।इतना होने के बाद संतोष द्विवेदी ने पीछे मुड़कर के तो नहीं देखा और आगे बढ़ते गए लेकिन बदलता उनका बर्ताव,गांव के विकास कार्यों में घपलेबाजी,प्रधान के गुरगों द्वारा आवास सहित अन्य योजनाओं में लाभान्वित करने के नाम पर धन की वसूली गरीबों को टीसने लगी।इसी का नतीजा रहा कि विरोध की जो चिंगारी अंदर-अंदर सुलगी वह अब शोला बन कर तैयार है। स्थिति यह हो गई है कि जो जनता संतोष द्विवेदी के विरोध की बात तो दूर उनके आगे सिर झुकाए खड़ी रहती थी वह खुलेआम विरोध कर भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है। संतोष की सत्ता तक पहुंच का ही नतीजा है कि गांव के भ्रष्टाचार की जांच अभी किसी किनारे तक नहीं पहुंची है।मनरेगा में जो कार्रवाई हुई है उससे विरोध करने वाले संतुष्ट नहीं है और उसे कार्रवाई के नाम पर फर्जदाएगी मान रहे हैं। विपक्षियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रधान पति की तरफ से भी जिन कोटेदारों की जांच शुरू कराई गई वह गांव की शिकायत करने वाले लोगों से जुड़े माने जा रहे हैं।टकराव और बढ़ा तो विरोध में खड़े खेमें के लोगों को क्षेत्र के एक और रसूखदार नेता ने ऊर्जा और सहारा देने का काम किया। पहले तो पर्दे के पीछे से खेल होता रहा लेकिन अफसरों के सामने भिड़े समर्थकों में कुछ लोगों के घायल होने पर पूर्व ब्लाक प्रमुख सुधीर त्रिपाठी अस्पताल उन्हें देखने गए।गांव में उनकी जमीन है।लोगों से दिल का रिश्ता है।मानवीय संवेदनाओं के चलते पीड़ितों की मदद करने की वह बात कर रहे हैं लेकिन प्रधान पति संतोष द्विवेदी सीधे उन पर आरोप लगा रहे हैं कि विरोधी हवा को तेज झोंका पूर्व ब्लाक प्रमुख बनाए हुए हैं जबकि इसे पूर्व ब्लाक प्रमुख ने नकारा है।

अब हालात यह हो गए हैं कि महाराज के रुतबे को तार-तार कर धूल में मिलाने के लिए सरकंडी गांव का एक बड़ा जन समुदाय बेताब दिख रहा है।उसके समर्थन में सत्ता से ही जुड़े लोग मजबूती के साथ खड़े हैं तो अपने कुनबे को बचाने के लिए संतोष द्विवेदी भी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हैं।जिले के एक विधायक तो ऐसे हैं जो महाराज को मिट्टी में मिलते तो देखना चाहते हैं लेकिन सामने से उनके साथ होने का भी दम भर रहे हैं। पक्ष एवं विपक्ष दोनों के बीच सत्ताई संघर्ष जारी है। अफसरों के पास कार्रवाई करने और प्रधान को बचाने के पहुंच रहे फोनों एवं सिफारिशों ने उन्हें नचा कर रखा है। हो कुछ भी लेकिन जिस तरह से संतोष द्विवेदी ने अपना रसूख बनाया था वह रुतबा बचाए रखना जितना कठिन है उससे कहीं ज्यादा ये हो चला है कि सरकंडी के ताज पर संघर्ष के बाद पड़ी खून की छींटें गांव में धधक रही आग के बड़े शोलों में बदलने का इशारा है। आपसी द्वंद्व की इसी कहानी ने थानाध्यक्ष को बलि का बकरा बनाया है।संघर्ष में संतोष द्विवेदी सहित 28 नामजद एवं अज्ञातों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।अभी आगे और क्या होगा?यह तो समय बताएगा लेकिन सरकंडी की हुकूमत,बादशाहत एवं रुतबे को लेकर दो रसूखदारों की इज्जत दांव पर लगी है।फिलहाल आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर जारी है।लंबा समय गुजर जाने के बावजूद बिना किसी नतीजे के पहुंचा प्रशासन जांच के घोड़े दौड़ा रहा है।

Balram Singh
India Now24

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