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यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला, 10 वर्ष तक के किरायेदारी पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में बड़ी राहत

*यूपी कैबिनेट का बड़ा फैसला, 10 वर्ष तक के किरायेदारी पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में बड़ी राहत*

यूपी सरकार ने राज्य में किरायेदारी को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए 10 वर्ष तक की अवधि के किरायानामा विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट को मंजूरी दे दी है। बैठक के बाद वित्तमंत्री सुरेश खन्ना ने निर्णय के बारे में जानकारी दी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में किरायेदारी को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए भी बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने 10 वर्ष तक की अवधि के किरायानामा विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट मंजूर कर दी है। इसका उद्देश्य यह है कि भवन स्वामी और किरायेदार दोनों किरायानामा लिखित रूप में तैयार करें और रजिस्ट्री कराएं, जिससे विवाद कम हों और किरायेदारी विनियमन अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन हो सके।

वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि वर्तमान नियमों के अनुसार एक वर्ष से अधिक अवधि की किरायेदारी विलेख की रजिस्ट्री अनिवार्य है, लेकिन आमतौर पर अधिकांश किरायानामे मौखिक होते हैं या यदि लिखित होते भी हैं तो उनकी रजिस्ट्री नहीं कराई जाती। ऐसे मामलों का पता आमतौर पर जीएसटी विभाग और बिजली विभाग जैसी एजेंसियों की पत्रावलियों की जांच में चलता है और बाद में कमी स्टाम्प शुल्क की वसूली की कार्रवाई करनी पड़ती है। यह भी अनिवार्य है कि किरायेदारी विलेख की रजिस्ट्री हो या न हो, उस पर सही स्टाम्प शुल्क हर हाल में जमा होना चाहिए।

सरकार का मानना है कि यदि शुल्क अधिक होता है तो लोग विलेख लिखने और रजिस्ट्री कराने से बचते हैं। इसी वजह से मानक किरायेदारी विलेख को बढ़ावा देने और 10 वर्ष तक की अवधि के रेंट एग्रीमेंट को औपचारिक बनाने के लिए शुल्क में व्यापक छूट देने की जरूरत महसूस की गई। इस छूट प्रणाली के तहत किरायेदारी विलेख पर अधिकतम स्टाम्प शुल्क और अधिकतम रजिस्ट्रेशन फीस अब निश्चित राशि से अधिक नहीं ली जाएगी। साथ ही औसत वार्षिक किराया तय करते समय अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये रखी गई है। टोल संबंधी पट्टे और खनन पट्टों को छूट से बाहर रखा गया है ताकि राजस्व हानि न हो।

स्टाम्प एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने बताया कि  नई व्यवस्था के अनुसार अधिकतम स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क की सीमा तय कर दी गई है। यह सीमा किरायेदारी की अवधि और औसत वार्षिक किराए के आधार पर लागू होगी। इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा क्योंकि अब किरायेदारी विलेख पर भारी स्टाम्प शुल्क भरने की बाध्यता नहीं रहेगी और लोग अधिक सहजता से रजिस्ट्री करा सकेंगे।

निर्धारित अधिकतम स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस

औसत वार्षिक किराया ₹ 2,00,000 रुपये तक01 वर्ष तक 500 रुपये, 1 से 5 वर्ष 1500 रुपये, 5 से 10 वर्ष 2000 रुपयेऔसत वार्षिक किराया ₹ 2,00,001 से ₹ 6,00,000 रुपये01 वर्ष तक 1500 रुपये, 1 से 5 वर्ष 4500 रुपये, 5 से 10 वर्ष 7500 रुपयेऔसत वार्षिक किराया ₹ 6,00,001 से 10,00,000 रुपये01 वर्ष तक 2500 रुपये, 1 से 5 वर्ष 6000 रुपये, 5 से 10 वर्ष 10000 रुपये

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