लखनऊ आखिरकार महापौर ने जिद छोड़ी… 13 को बुलाई कार्यकारिणी की बैठक

*लखनऊ आखिरकार महापौर ने जिद छोड़ी… 13 को बुलाई कार्यकारिणी की बैठक*
लखनऊ। पार्षदों के दबाव और शासन-सत्ता का रुख देखकर आखिरकार महापौर नरम पड़ गईं। अब उन्होंने नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक बुलाने का फैसला लिया है। बैठक 13 नवंबर को होगी, जिसमें पुराने प्रस्तावों पर चर्चा होगी। इसके बाद 14 नवंबर को सदन की बैठक भी बुलाई गई है। हालांकि, सदन के समय को लेकर अब भी संशय बना हुआ है।पिछले 15 दिनों से महापौर और नगर आयुक्त के बीच अधिकारों को लेकर टकराव जारी था। इसी विवाद के चलते 24 और 30 अक्तूबर को बुलाई गई बैठकों में हंगामा हुआ और कोई प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। 30 अक्तूबर की बैठक के बाद महापौर ने कहा था कि अगली बैठक तभी होगी, जब पहले से पास प्रस्तावों पर अमल होगा और इसकी जानकारी नगर आयुक्त देंगे, लेकिन रविवार को पार्षदों के साथ सरकारी आवास पर हुई बैठक के बाद उन्होंने रुख बदल लिया और सोमवार को खुद नगर आयुक्त को पत्र लिखकर कार्यकारिणी व सदन की बैठक बुलाने के आदेश दे दिए। महापौर के पत्र में कहा गया है कि उम्मीद है कि बीते नौ दिनों में नगर निगम प्रशासन ने पहले से लिए गए संकल्पों पर कार्रवाई पूरी कर ली होगी।
बैठक को लेकर कई तरह की चर्चाएंमहापौर के अचानक बैठक बुलाने को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। रविवार की बैठक में पार्षदों ने साफ कहा था कि महापौर-आयुक्त विवाद से विकास कार्य ठप हैं और समाज में गलत संदेश जा रहा है। पुनरीक्षित बजट पास न होने से विकास निधि अटकी हुई है। सूत्रों के मुताबिक, शासन और सरकार के स्तर पर भी इस विवाद को लेकर नाराजगी जताई गई थी और विवाद समाप्त करने के निर्देश दिए गए थे।चूंकि बैठक बुलाने का अधिकार केवल महापौर के पास है, इसलिए उन्होंने खुद पत्र जारी किया। नगर आयुक्त विशेष परिस्थितियों में ही बिना बैठक के बजट शासन से मंजूर करा सकते हैं, लेकिन तब सदन को उसमें संशोधन का अधिकार नहीं रहता।
14 नवंबर को पुराने प्रस्तावों पर चर्चासदन की बैठक के लिए कोई नया एजेंडा जारी नहीं हुआ है। महापौर के पत्र के अनुसार, चार और नौ सितंबर की बैठकों में लंबित प्रस्तावों पर चर्चा पूरी नहीं हो पाई थी। अब 14 नवंबर की सामान्य सदन बैठक में उन्हीं प्रस्तावों पर चर्चा होगी।
फिर हंगामे के आसारकार्यकारिणी और सदन की बैठकों में एक बार फिर हंगामे की आशंका जताई जा रही है। पार्षदों का एक गुट सफाई, मार्ग प्रकाश और सड़क निर्माण जैसे मुद्दों पर अधिकारियों को घेर सकता है। रविवार को महापौर के सरकारी आवास पर हुई बैठक में उन्होंने पार्षदों को अपने पाले में रखने की कोशिश की और आश्वासन दिया कि उनके वार्डों में विकास कार्यों के लिए बजट उपलब्ध कराया जाएगा।


