यूपी में एसआईआर: माता-पिता के साथ सिर्फ इन परिवारिक लोगों के ब्योरे होंगे मान्य; बीएलओ को दिए गए ये निर्देश

यूपी में एसआईआर: माता-पिता के साथ सिर्फ इन परिवारिक लोगों के ब्योरे होंगे मान्य; बीएलओ को दिए गए ये निर्देश
यूपी में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है। इस बीच बीएलओ को चुनाव आयोग की तरफ से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
मतदात सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में माता-पिता और दादा-दादी का ब्योरा ही मान्य होगा। यूपी में किसी अन्य रक्त संबंधी की डिटेल बीएलओ नहीं लेंगे। इस संबंध में सभी बीएलओ को निर्देश दे दिए गए हैं।
इन दिनों एसआईआर के लिए गणना फॉर्म वितरित करने का काम चल रहा है। गणना फॉर्म मतदाताओं को बांटने और इन्हें भरवाकर वापस लेने का काम 4 नवंबर को प्रारंभ हुआ था, जो 4 दिसंबर तक चलेगा। गणना फॉर्म में यह व्यवस्था की गई है कि अगर वर्ष 2003 की मतदाता सूची में किसी व्यक्ति का नाम है, तो उसे उस विधानसभा क्षेत्र की संख्या, भाग संख्या और क्रम संख्या का ब्योरा देना होगा। इसके बाद उससे कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।
गणना फॉर्म एक कॉलम में यह व्यवस्था भी की गई है कि अगर उस व्यक्ति का खुद का नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में नहीं है, पर उसके संबंधी (रिलेटिव) का नाम 2003 की सूची में है, तो वह अपने उस संबंधी का ब्योरा दे सकता है। बाद में आयोग की सुनवाई के दौरान उस संबंधी से अपना रिश्ता साबित करने के लिए उसे कोई एक मान्य दस्तावेज लगाना होगा।
यहां सवाल यह है कि संबंधी की श्रेणी में कौन-कौन आएगा। चुनाव आयोग के स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इसमें सिर्फ माता-पिता, दादा-दादी और नाना-नानी की डिटेल ही भरी जा सकती है। जब कोई मतदाता अपना गणना प्रपत्र ऑनलाइन भरता है, तो उसमें इसे स्पष्ट भी किया जा रहा है। इसलिए किसी अन्य रक्त संबंधी यानी चाचा-ताऊ की डिटेल स्वीकार नहीं की जाएगी। यहां बता दें कि पश्चिमी बंगाल में रक्त संबंधियों में चाचा-ताऊ (अंकल) को शामिल करने की मांग उठ रही है।



