यूपी: प्रदेश में खाली हैं नर्सिंग के 36 फीसदी पद, मरीजों की देखभाल में आ रहा है संकट; सीएनओ का पद भी रिक्त

यूपी: प्रदेश में खाली हैं नर्सिंग के 36 फीसदी पद, मरीजों की देखभाल में आ रहा है संकट; सीएनओ का पद भी रिक्त
यूपी के सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की देखभाल करने वाले नर्सिंग स्टॉफ के 36 फीसदी प्रदेश में खाली चल रहे हैं। इससे मरीजों को तकलीफ है।
प्रदेश में नर्सिंग संवर्ग के करीब 36 फीसदी पद खाली हैं। मुख्य नर्सिंग अधिकारी का पद स्वीकृत होने से 15 साल बाद भी खाली है। मरीजों से सीधे संपर्क में रहने वाले नर्सिंग अधिकारी के 40 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा के दावे पर विभाग के कर्मचारी ही सवाल उठा रहे हैं।
प्रदेश में 108 जिला, महिला, संयुक्त व अन्य चिकित्सालय हैं। 259 विशिष्ट चिकित्सालय, 972 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 3735 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। इन अस्पतालों में हर वर्ष करीब 11 करोड़ मरीज ओपीडी में आते हैं और 32 करोड़ मरीज भर्ती होते हैं। प्रदेश के अस्पतालों में करीब ढाई लाख बेड पर मरीज भर्ती किए जाते हैं। इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अनुसार पांच बेड पर एक नर्सिंग कर्मी होना चाहिए। मानक के अनुसार प्रदेश में नर्सिंग के कुल पद करीब 50 हजार होने चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में अभी प्रशासनिक पदों को मिलाकर कुल 9409 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 3395 पद खाली हैं।
यदि मरीजों के उपचार में सीधे तौर पर जुड़ने वाले नर्सिंग अधिकारी की बात करें तो इसके 8113 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 3257 पद खाली हैं। इसी तरह वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी के 1024 पद में 76 पद, सहायक नर्सिंग अधीक्षक के 262 में 53 पद, उप नर्सिंग अधीक्षक के 6 में पांच पद खाली हैं। पदों के खाली रहने से जहां मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है, वहीं नर्सिंग संवर्ग में भी आक्रोश है। राजकीय नर्सेज संघ अक्सर पदों को भरने की मांग उठाता रहा है। वह महानिदेशालय से लेकर शासन स्तर पर लगातार गुहार लगा रहा है।
सीएनओ का पद खालीप्रदेश में वर्ष 2010 में सरकार ने महानिदेशालय स्तर पर मुख्य नर्सिंग अधिकारी (सीएनओ) के एक पद और नर्सिंग अधीक्षक के तीन पद स्वीकृत किए। स्वीकृति के बाद से सीएनओ पद खाली चल रहा है, जबकि नर्सिंग अधीक्षक के तीन में सिर्फ एक पद भरा गया। बताया जाता है कि इन दोनों पदों के लिए डीपीसी शासन स्तर से होनी है, जो एक बार भी नहीं हुई। इसकी मूल वजह नीचे के पदों पर पदोन्नति नहीं होना है। सहायक नर्सिंग अधीक्षक के 262 पदों से प्रोन्नति करके उप नर्सिंग के छह पदों को नहीं भरने की वजह से भी उच्च स्तर से दोनों पद खाली चल रहे हैं।
चल रही है प्रक्रिया
प्रदेश में मुख्य सचिव से लेकर डीजीपी तक कार्यवाहक बनाए जा रहे हैं। जब तक डीपीसी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है तब तक सीएनओ और नर्सिंग अधीक्षक के पदों को भी कार्यवाहक के रूप में भरा जाना चाहिए। अन्य पदों को भी जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए क्योंकि मरीजों की संख्या बढ़ रही है तो अस्पतालों में बेड भी बढ़ाए जा रहे हैं। इसके बाद भी नर्सिंग के पद नहीं बढ़ाए गए। ऐसे में जो पद स्वीकृत हैं, उन्हें ही भर दिया जाए तो मरीजों को बेहतर उपचार मिल सकेगा और नर्सिंग अधिकारियों पर काम का दबाव कम होगा।-अशोक कुमार, प्रदेश महासचिव, राजकीय नर्सिंग संघखाली पदों पर भर्ती प्रस्ताव भेजा गया है। पदोन्नति वाले पदों को भी भरने का प्रयास चल रहा है। अस्पतालों में कामकाज प्रभावित न हो, इसके लिए आउटसोर्स पर भी जरूरत के हिसाब से नर्सिंग स्टाफ बढ़ाए गए हैं।- डाॅ. रतनपाल सिंह सुमन, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
जल्द भरे जाएंगे पद
स्वास्थ्य विभाग के हर कैडर को भरने के लिए लगातार प्रयास चल रहा है। नर्सिंग संवर्ग के लोग मिले थे। उन्हें भरोसा दिया गया है कि उनके संवर्ग के प्रशासनिक पद भी भरे जाएंगे। नियमावली संबंधी समस्या का भी निस्तारण कराया जाएगा।- अमित कुमार घोष, अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग



