लखनऊ कार्यकारिणी में महापौर-नगर आयुक्त के बीच अधिकारों को लेकर ठनी, बिना किसी नतीजे के बैठक स्थगित

लखनऊ कार्यकारिणी में महापौर-नगर आयुक्त के बीच अधिकारों को लेकर ठनी, बिना किसी नतीजे के बैठक स्थगित
बैठक के बाद महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि जोनल प्रभारी की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। अब जोनल स्तर पर काम के लिए जोनल प्रभारी जिम्मेदार होंगे।
पुराने फैसलों पर अमल नहीं होने के आरोपों के साथ शुक्रवार को शुरू हुई नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक महापौर और नगर आयुक्त के बीच अधिकारों को लेकर हुए टकराव के चलते बिना किसी नतीजे पर पहुंचे समाप्त हो गई।
पिछले 20 साल साल में यह पहला मौका है जब कार्यकारिणी में इस तरह से महापौर और नगर निगम के अफसर दो खेमों में बंटे नजर आए। विवाद का यह हाल रहा कि नाराज महापौर दो बार बैठक छोड़कर जाने लगीं। हालांकि पार्षदों ने उनको समझाकर बैठाया।

महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर निगम अफसरों पर आरोप लगाया कि पिछली कार्यकारिणी में जो प्रस्ताव पास किए गए थे, उन पर प्रशासन ने अमल नहीं किया। कहा कि यह अफसरों की लापरवाही और मनमानी है। उन्होंने कहा कि जब पुराने फैसलों पर अमल ही नहीं हुआ तो नई प्रस्तावों पर क्या चर्चा की जाती।
इस कारण बैठक को स्थगित कर दिया गया। अब अगली बैठक 30 अक्तूबर को तब होगी। जिसमें अधिकारी पिछली कार्यकारिणी में पास हुए प्रस्तावों अमल की रिपोर्ट लेकर आएंगे। खेमेबाजी का असर बैठक के बाद महापौर की प्रेस वार्ता में दिखा। हर बार प्रेस को जानकारी देने के समय महापौर के साथ नगर आयुक्त या अपर नगर आयुक्त मौजूद रहते थे मगर इस बार कोई अफसर नहीं रहा।
नगर आयुक्त ने बताया यह हैं उनके अधिकारकार्यकारिणी बैठक में महापौर ने जोनल अफसरों का तबादला और अपर नगर आयुक्तों के बीच कार्यविभाजन का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो निर्देश दिए थे उस पर अमल क्यों नहीं हुआ। जिस पर नगर आयुक्त ने कहा कि यह उनका अधिकार है कि वह किस अधिकारी से क्या काम लें और किसको कहां पर तैनात करें। नगर निगम अधिनियम की धारा 117, 1112 और 119 में उनको यह अधिकार है। उन्होंने कहा कि यदि कार्यकारिणी को नीति बनाती है जो उस वह अमल करेंगे लेकिन बिना नीति बनाए वह अधिनियम के हिसाब से ही काम करेंगे।तो इस्तीफा दे देगी पूरी कार्यकारिणीपुरानी कार्यकारिणी में पास हुए प्रस्तावों पर अमल न होने से नाराज कार्यकारिणी सदस्य पृथ्वी गुप्ता व अन्य सदस्यों ने कहा कि यदि पास फैसलों पर अमल नहीं होना है तो पूरी कार्यकारिणी का कोई मतलब ही नहीं है। ऐसे में पूरी कार्यकारिणी अपना इस्तीफा दे देगी। महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि यदि पास प्रस्तावों पर अधिकारी काम नहीं करेंगे तो वह फिर कार्यकारिणी बैठक ही क्यों बुलाएंगी।महापौर बोलीं-जोनल प्रभारी की व्यवस्था समाप्तबैठक के बाद महापौर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि जोनल प्रभारी की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। अब जोनल स्तर पर काम के लिए जोनल प्रभारी जिम्मेदार होंगे। अभी तक अपर नगर आयुक्त जोनल प्रभारी हैं। इस बारे में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि अभी ऐसा कोई आदेश नहीं किया गया है।नगर आयुक्त को रिपोर्ट करेंगे जलकल जीएम और मुख्य अभियंतामहापौर सुषमा खर्कवाल ने पुराने शासनादेशों का हवाला देते हुए कहा कि जलकल विभाग के महाप्रबंधक अब अपर नगर आयुक्त की बजाए नगर आयुक्त को रिपोर्ट करेंगे। अभी नगर आयुक्त के आदेश के तहत अपर नगर आयुक्त ललित कुमार को जलकल महाप्रबंधक रिपोर्ट करते हैं। इसी तरह नगर निगम के मुख्य अभियंता सिविल भी अपर नगर आयुक्तों की बजाए नगर आयुक्त को रिपेार्ट करेंगे। अभी चार अपर नगर आयुक्तों को मुख्य अभियंता रिपोर्ट करते हैं।
महापौर और नगर आयुक्त के बीच विवाद की यह वजहें
महापौर ने कहा कि पिछली कार्यकारिणी में यह प्रस्ताव पास हुआ था कि चौक चौराहे का नाम अमृत लाल नागर के नाम पर होगा और वहां पर पट्टिका लगाई जाएगी। मगर, अब तक लगाई नहीं गई। इस बीच उस चौराहे का नाम किसी ने शिवाजी के नाम पर किए जाने की मांग कर दी है।
इससे विवाद हो रहा है। यदि पट्टिका लगी होती तो यह स्थिति न बनती। इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि इसके लिए बजट कहां से आएगा। कार्यकारिणी इसके लिए कोई मद बनाए। जिस पर महापौर ने कहा कि इसके लिए उनसे या पार्षद से कोटे की मांग की जा सकती थी जो नहीं की गई।
महापौर ने कहा कि पिछली कार्यकारिणी में यह प्रस्ताव पास किया था कि पैनल अधिवक्ता नमित शर्मा की जगह शैलेंद्र सिंह चौहान को नियुक्त किया जाएगा। लेकिन, उस पर अमल नहीं किया गया। इसके अलावा नमित को तय फीस के अलावा लाखों रुपये का भुगतान फीस के नाम पर किया गया।
इस पर नगर आयुक्त ने कहा कि किस अधिवक्ता को लगाया जाए यह प्रशासनिक निर्णय है। नगर निगम प्रशासन अपनी आवश्यकता के अनुरूप अधिवक्ता को नामित करता है और उसे फीस देता है।
महापौर ने कहा कि पिछली कार्यकारिणी में सभी मृतक आश्रितों की नियुक्त करने का प्रस्ताव पास किया गया था मगर अभी 31 मृतक आश्रितों की नियुक्ति लंबित है। जब जवाब मांगा गया तो अब नियुक्ति समिति की बैठक 28 अक्तूबर को लगाई है।
महापौर ने कहा कि जो लोग नियमित रूप से गृहकर जमा कर रहे हैं उनको भी 2010 और 2014 से गृहकर पुनरीक्षित के बिल भेजे जा रहे हैं। यह गलत है। इस पर अधिकारियों ने कहा कि कार्यकारिणी एक समिति बना दे तो 2022 के बाद से पहले का किसी का गृहकर पुनरीक्षित नहीं किया जाएगा। यदि बिना समिति की सिफारिश किया जाएगा तो ऑडिट आपत्ति लगाएगी।
महापौर ने कहा कि मार्ग प्रकाश विभाग ने बिना अनुमति के पीएमसी नियुक्त की और 70 लाख के टेंडर में 50 लाख हैसियत और 6 करोड़ के काम के लिए 30 लाख हैसियत ठेकेदार से मांगी है गलत है।
महापौर ने कहा रैंबो ट्रस्ट नामक संस्था को झूलेलाल वाटिका आवंटन में देरी के लिए अपर नगर आयुक्त नम्रता सिंह से जवाब मांगा गया था। उन्होंने देरी के लिए पुलिस को जिम्मेदार बताया है। अब इस बारे में पुलिस आयुक्त को पत्र भेजा जाएगा। देरी से नगर निगम को करीब साढ़े तीन लाख रुपये आर्थिक नुकसान हुआ है।
कार्यकारिणी के अपने अधिकार है उससे ऊपर अफसर नहीं महापौर सुषमा खर्कवाल ने बताया, कार्यकारिणी के फैसलों पर यदि अफसर अमल नहीं करेंगे तो फिर बैठक बुलाने का क्या मतलब। पूरी कार्यकारिणी ही अपने पद से इस्तीफा दे देगी। कार्यकारिणी के अपने अधिकार है उससे ऊपर अफसर नहीं हैं।कार्यकारिणी और सदन का पूरा सम्मान हैनगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया, कार्यकारिणी और सदन का पूरा सम्मान है। अधिनियम में साफ है किसको क्या अधिकार मिले हैं। उसके तहत नियमानुसार काम किया जाएगा।



