अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति हेतु महिलायें 10 अक्टूबर को रहेंगी करवा चौथ व्रत

अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति हेतु महिलायें 10 अक्टूबर को रहेंगी करवा चौथ व्रत
गोरखपुर। भारतीय विद्वत् महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पं. बृजेश पाण्डेय ने बताया कि करवा चौथ व्रत 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र कि कामना व अखण्ड सौभाग्य कि प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखेंगी और भगवान शिव जी के परिवार की पूजा करेंगी। पण्डित बृजेश पाण्डेय के अनुसार चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात्रि 2 बजकर 49 मिनट से प्रारम्भ होगी और 10 अक्टूबर की रात्रि 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। इस त्योहार मे चंद्रदेव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है तथा छलनी से चंद्रमा और अपने पति को देखना शुभ माना जाता है। 10 अक्टूबर को चाँद निकलने का समय रात्रि 7 बजकर 57 मिनट है। यह करवा चौथ व्रत रखना प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाओं द्वारा पुरानी परंपरा रही है। चंद्रोदय के पश्चात ही रात्रि के समय व्रत तोड़ा जाता है। व्रती महिलायें पहले चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती हैं। तत्पश्चात छलनी से चंद्रमा के साथ ही अपने पतिदेव का चेहरा देखती हैं।
करवा चौथ के दिन सुबह का भोजन जिसे सरगी कहते है दिनभर के व्रत के लिए बेहद ज़रूरी होता है। सरगी में सूखे मेवे, ताज़े फल, मिठा साबुत अनाज खीर और दही आदि खाने मे शामिल है जिससे निरंतर ऊर्जा मिलती है। करवा चौथ पूजा के समय एक मिट्टी या पीतल का करवा और ढक्कन,छलनी,दीपक घी,जल का लोटा,रोली,सिंदूर,कुमकुम,अक्षत चावल,
मिठाई,फल और श्रृंगार का सामान जैसे चूड़ी,बिंदी,मेहंदी,महावर आदि रखा जाता है। इसके अलावां पूजा के लिए हल्दी, चंदन,धूप,अगरबत्ती,कपूर और करवा कथा की पुस्तक भी रखनी चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पहली बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए यह व्रत रखा था। माता सीता ने भी भगवान श्रीराम के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। तब से ही सुहागिन महिलायें अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति हेतु इस व्रत का पालन करती चली आ रही है।

