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लखनऊ प्रचार शुल्क वसूली तक सिमटी नगर निगम की कार्रवाई

लखनऊ प्रचार शुल्क वसूली तक सिमटी नगर निगम की कार्रवाई

लखनऊ। शहर में करीब डेढ़ हजार होर्डिंग ऐसी इमारतों पर टंगे हैं, जिनके लिए एलडीए या आवास विकास से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लिया गया। इससे यह तक पता नहीं चलता कि जिस इमारत पर होर्डिंग लगा है, वह इसे सहन करने लायक भी है या नहीं।करीब दो साल पहले इकाना स्टेडियम में एक भारी भरकम यूनीपोल गिरने से मां-बेटी की मौत हो गई थी। उसके बाद लालकुआं में एक छत पर लगे होर्डिंग के गिरने से एक मकान क्षतिग्रस्त हो गया था। इन हादसों के बाद नगर निगम ने नियम बनाया था कि बिना एलडीए या आवास विकास की एनओसी के इमारतों पर होर्डिंग की अनुमति नहीं दी जाएगीए मगर हकीकत यह है कि आज भी 1500 से अधिक अवैध होर्डिंगें शहर में खड़े हैं और निगम की कार्रवाई सिर्फ प्रचार शुल्क वसूली तक सीमित है।

विभाग के कर्मचारी ही चला रहे एजेंसियांअवैध होर्डिंगों पर कार्रवाई न होने की सबसे बड़ी वजह है- नगर निगम के प्रचार विभाग के ही कर्मचारियों का इसमें सीधा दखल। एक कर्मचारी ने अपने भाई और दोस्त के नाम से विज्ञापन एजेंसी पंजीकृत कर रखी है और खुद ही ठेके ले रहा है। एक अन्य कर्मचारी की कई बड़ी एजेंसियों से मिलीभगत है। वह अवैध होर्डिंगों को बचाने और बिलों में हेरफेर कराने में मदद करता है। इन्हें हटाने की मांग सदन में कई बार उठ चुकी है, लेकिन कर्मचारी अब भी जमे हैं।
मानक से दोगुनी ऊंचाई की होर्डिंगनियम के मुताबिक, किसी भवन की छत पर 40 फीट लंबे और 20 फीट ऊंचे से ज्यादा होर्डिंग नहीं लग सकता, मगर शहर में 30 से 40 फीट ऊंचे होर्डिंगें खड़े हैं। निगम कर्मचारी शिकायत पर बहाना बनाते हैं कि यह निजी भवन है और उनके पास प्रशिक्षित स्टाफ नहीं है।
Iअवैध होर्डिंगों को हटाने का अभियान चलाया जाएगा। सभी एजेंसियों को नेम प्लेट लगाने के निर्देश दिए गए हैं। जो नहीं लगाएगा, उसका होर्डिंग हटा दिया जाएगा।II- ओम प्रकाश सिंह, नोडल अधिकारी, प्रचार विभाग नगर निगमI

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