नवनीत सिकेरा ने IPS बनने के 29-साल बाद Ph.D की:एस्ट्रोनॉट शुभांशु ने दिए 7 टिप्स, लखनऊ में राज्यपाल बोलीं- मां को मेडल पहनाना

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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को एकेटीयू के 23वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर डॉक्टर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। इस मौके पर 53,943 विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों की डिग्री प्रदान की गईं। इनमें 86 विद्यार्थियों की पीएचडी उपाधि शामिल हैं।
लखनऊ के मूल निवासी अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब डाॅक्टर शुभांशु शुक्ला बन गए हैं। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मंगलवार को उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस (डीएससी) की मानद उपाधि प्रदान की गई।
विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह में शुभांशु शुक्ला को मानद उपाधि के साथ ही कुल 88 पदक और 53,943 विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों की डिग्री प्रदान की गईं। इनमें 86 विद्यार्थियों की पीएचडी उपाधि शामिल हैं। सभी डिग्रियां ब्लाॅकचेन तकनीकी के माध्यम से डिजिलाॅकर पर अपलोड की गईं हैं। 88 पदकों में 37 स्वर्ण पदक, 26 रजत और 25 कांस्य पदक हैं।
सर्वोच्च स्थान पाने वाली प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी कानपुर की बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की छात्रा नैंसी को कुलाधिपति स्वर्ण पदक और बैंक ऑफ बड़ोदा की ओर से 31 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया। बीटेक की सभी ब्रांच में अनुसूचित जाति की टाॅपर छात्रा के रूप में आरडी इंजीनियरिंग काॅलेज गाजियाबाद की छात्रा उन्नति गौर को कोमल रानी वरुण स्मृति स्वर्ण पदक प्रदान किया। कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट पेश की। कार्यवाहक कुलसचिव केशव सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस मौके पर प्रतिकुलपति प्रो. राजीव कुमार, परीक्षा नियंत्रक प्रो. दीपक नगरिया, सभी डीन और शिक्षक मौजूद रहे।तीन शिक्षकों को मिला सम्मानविवि के तीन शिक्षकों को एकेडमिक एक्सीलेंस अवाॅर्ड दिया गया। इनमें में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी लखनऊ के प्रो. अरुण तिवारी, सेंटर फाॅर एडवांस स्टडीज के डाॅ. अनुज कुमार शर्मा और राजकीय इंजीनियरिंग काॅलेज सोनभद्र के डाॅ. हरीश चंद्र उपाध्याय शामिल रहे।
स्मार्ट क्लास का उद्घाटन
समारोह के दौरान पहाड़पुर गांव के प्राथमिक विद्यालय स्मार्ट क्लास का उद्घाटन किया। यह स्मार्ट क्लास विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई है। विवि की ओर से राज्यपाल के निर्देश पर गोद लिए अलग-अलग विकासखंडों के गांवों के स्कूलों में चित्रकला, कहानी कथन व भाषण प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।स्टार्टअप को मिला सम्मानसमारोह के दाैरान इस बार छह श्रेणियों में स्टूडेंट स्टार्टअप अवाॅर्ड दिया गया। एक्सिसबिलिटी अवाॅर्ड इंपाशेक साॅल्यूशन प्रा.लि. के सार्थक सिसोदिया को दिया गया। एग्रीकल्चर स्टार्टअप अवाॅर्ड अर्ब हाइड्रो किसान प्रा.लि. से शुभांकर चाैहान और अतुल मिश्रा को मिला। हेल्थ इनोवेशन स्टार्टअप अवाॅर्ड जेजेपीके इनोवेशन प्रा.लि. से जयंती तिवारी को मिला। इसी तरह सोशल इम्पैक्ट अवाॅर्ड सोवक्यू प्रा.लि. से तेजस कुमार गर्ग को दिया गया। सस्टेनबिलिटी चैंपियन अवाॅर्ड पल्स वेव इनोवेशन्स प्रा.लि. के मोहित को मिला। वूमेन लेड स्टार्टअप अवाॅर्ड एनलूम्ड इंडिया प्रा.लि. से रोजी मेंडोलिया को दिया गया। टेक इनोवेशन स्टार्टअप अवाॅर्ड इनोवा कोर टेक्नोलाॅजीस एंड साॅल्यूशंस के दीक्षांत कुमार को मिला।
शिक्षा की समाप्ति नहीं, जिंदगी का लांच पैड है दीक्षांत
अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के मुताबिक दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं होता है। यह वास्तव में जिंदगी का लांच पैड है। इसके बाद अंकपत्र और डिग्री आपके काम को अच्छा या खराब बताने के लिए नहीं होते। दीक्षांत के बाद अपने जीवन के आप खुद ही परीक्षक होते हैं। शुभांशु शुक्ला ने इन शब्दों के साथ डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के 23वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत भाषण की शुरुआत की।दीक्षांत भाषण के दौरान शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले अपने जीवन के उन 32 दिनों को याद किया, जब तकनीकी कारणों से उनका मिशन बार-बार आगे बढ़ता जा रहा था। इस दाैरान वे क्वारंटाइन थे। उनके मुताबिक क्वारंटाइन रहने के दाैरान उन्होंने जीवन का बड़ा सबक सीखा। यह सबक है कि इंतजार हमेशा समय बर्बाद करना नहीं है, वास्तव में यह तैयारी है। इसने मुझे अपनी प्रक्रियाओं को निखारने और मिशन के दौरान होने वाली सभी असामान्य परिस्थितियों से निपटने के लिए अभ्यास करने का समय दिया। जीवन में भी यही बात लागू होती है। नाैकरी या प्रोजेक्ट में देरी को असफलता नहीं बल्कि सीखने के अवसर के रूप में लेना चाहिए।60 सेकंड में लखनऊ से दिल्ली पहुंचने की गति से गया अंतरिक्ष मेंशुभांशु शुक्ला ने दीक्षांत भाषण के दाैरान अपनी अंतरिक्ष यात्रा के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि उनके राॅकेट की गति का अंदाजा इससे लगा सकते हैं, कि अगर लखनऊ से दिल्ली जाना होता तो महज 60 सेकंड ही लगते। नीला ड्रैगन कैप्सूल जो 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की चौंका देने वाली गति से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में टकराता है, उसके भारी घर्षण से लगभग 4,000 डिग्री फारेनहाइट तापमान उत्पन्न होता है, जो लगभग सूर्य जितना ही गर्म होता है। खिड़कियों से बाहर आप आग की लपटों को देख सकते हैं। अंतरिक्ष में पहुंचने पर सिर भारी लगने लगता है और धड़कन धीमी हो जाती है। रीढ़ लंबी होने लगती है और यह सब दर्द, भ्रम, मितली और सिरदर्द का कारण बनता है। इन परिसि्थतियों में भी हमें नमूने जमा करने होते हैं, क्योंकि विज्ञान इंतजार नहीं करता है।स्नातक होने के बाद आपका जीवन बिल्कुल ऐसा ही होगा। ऐसा वक्त आएगा जब आप खुद को तैयार महसूस नहीं करेंगे, आपकी ऊर्जा कम हो जाएगी, प्रेरणा आपका साथ छोड़ देगी, समय सीमाएं ढेर हो जाएंगी और नौकरी के आवेदन शायद सफल न हों। उन क्षणों में अंतरिक्ष से मिली इस सीख को याद रखें कि सफलता एक बड़ी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह हर दिन अपनी क्षमता का परिचय देना है। आपकी डिग्रियां केवल आपकी नौकरियों के लिए टिकट नहीं हैं, वास्तव में वे राष्ट्र निर्माण के उपकरण हैं।2035 तक अंतरिक्ष में होगा भारतीय स्टेशनशुभांशु शुक्ला ने कहा कि इसरो के चंद्रयान-3 मिशन के जरिये भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना। मिशन गगनयान, जिसका मैं हिस्सा हूं, भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। 2035 तक अंतरिक्ष में खुद स्टेशन और 2040 तक भारतीय अभियान के मध्यम से चांद पर कदम रखना है।कम समय मिला तो हटाना पड़ा पैराग्राफशुभांशु शुक्ला ने बताया कि उन्हें 20 मिनट का दीक्षांत भाषण तैयार करने को कहा गया था। अंतिम समय में उन्हें बताया गया कि दीक्षांत भाषण सात मिनट का होगा। ऐसे में भाषण का एक पैराग्राफ हटाना पड़ा।

