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जीएसटी बिस्किट, चिप्स, टीवी, फ्रिज से कार तक होंगे सस्ते; परिषद की बैठक में मंथन जारी, फैसला कल

जीएसटी बिस्किट, चिप्स, टीवी, फ्रिज से कार तक होंगे सस्ते; परिषद की बैठक में मंथन जारी, फैसला कल

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान इसका करों से जुड़ा पैनल हेयर ऑयल से लेकर छोटी कारों तक लगभग 400 से अधिक वस्तुओं पर कर कटौती की योजना पर फैसला करेगा। दो दिवसीय बैठक के फैसलों का एलान 4 सितंबर को किया जाना है।

जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक जारी है। दो दिनों तक चलने वाली बैठक के फैसलों का एलान 4 सितंबर को होना है। इस बैठक में केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हो रहे हैं। इस बार का बैठक काफी अहम है। इस बैठक में जीएसटी परिषद के सदस्य आठ साल पुराने जीएसटी कर ढांचे में बड़े बदलावों पर चर्चा कर रहे हैं। परिषद सरकार ने जीएसटी की दरों में अब तक की सबसे बड़ी कटौती का प्रस्ताव रखा है। सरकार के इस फैसले का मकसद अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% टैरिफ के कारण पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए घरेलू स्तर पर मांग को बढ़ावा देना है।

हेयर ऑयल से छोटी कारों तक- 400 से अधिक वस्तुओं पर कर घटाने के लिए होगी चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान इसका करों से जुड़ा पैनल हेयर ऑयल से लेकर छोटी कारों तक लगभग 400 से अधिक वस्तुओं पर कर कटौती की योजना पर फैसला करेगा। रॉयटर्स ने ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी के पार्टनर मनोज मिश्रा के हवाले से बताया है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण कपड़ा, ऑटो और संभवतः फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात पर असर पड़ रहा है। ऐसे में भारत को प्राथमिक विकास इंजन के रूप में घरेलू खपत पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
जीएसटी परिषद में करों की कटौती के फैसले से हिंदुस्तान यूनिलीवर और गोदरेज इंडस्ट्रीज जैसी एफएमसीजी कंपनियों और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों की बिक्री में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। दूसरी ओर, वाहन निर्माताओं में मारुति, टोयोटा मोटर और सुजुकी मोटर को भी जीएसटी परिषद के फैसले से बड़े राहत की उम्मीद है।

जानकारों के अनुसार जीएसटी परिषद के सदस्य मौजूदा करों के चार स्लैब की बजाय 5% और 18% के दो स्लैब पर ही विचार करेंगे। वहीं 12% और 28% के स्लैब को खत्म किया जा सकता है। इसके अलावे, एक 40% का अतिरिक्त स्लैब भी लाने की तैयारी है। इसके तहत सिगरेट और महंगी कारों जैसी विलासितापूर्ण चीजों पर मोटा कर लगाने पर विचार किया जाना है। सरकार की योजना  है कि दैनिक उपयोग की सभी वस्तुओं को 5% की श्रेणी में लाया जाए, जो अभी 12% की श्रेणी में हैं।
टूथपेस्ट और शैम्पू पर कर को 18% से घटाकर 5% करने की तैयारी
वहीं पैनल उपभोक्ता वस्तुओं जैसे टूथपेस्ट और शैम्पू पर कर को 18% से घटाकर 5% करने और छोटी कारों, एयर कंडीशनर और टेलीविजन पर कर को 28% से घटाकर 18% करने पर भी विचार करेगा। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि इस कटौती से 21 बिलियन डॉलर के जीएसटी राजस्व नुकसान होगा। इस नुकसान में राज्यों की हिस्सेदारी केंद्र सरकार से अधिक होगी।हालांकि राज्य मोटे तौर पर इन बदलावों पर सहमत हैं। हालांकि राजस्व की हानि की भरपाई के तरीकों पर जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान गरमागरम चर्चा हो सकती है। जीएसटी परिषद का कारों से जुड़ा पैनल 20 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले महंगे इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर बढ़ाने पर भी चर्चा कर सकता है।
इसके अलावा, 2,500 रुपये (29 डॉलर) से अधिक मूल्य वाले परिधानों पर कर को 12% से बढ़ाकर 18% करने पर भी विचार किया जाना है। प्रीमियम और बिजनेस क्लास में हवाई यात्रा पर कर भी 12% से बढ़कर 18% किया जा सकता है। कुल मिलाकर जीएसटी परिषद की यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है और बैठक के बाद कर सुधार से उपभोक्ता वस्तुओं और दैनिक आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स में कटौती का एलान हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो देश में उपभोग को बढ़ावा मिलेगा।
जीएसटी सुधारों के लिए आठ क्षेत्रों पर दिया जा रहा ध्यान
जीएसटी सुधारों के लिए केंद्र की रूपरेखा के अनुसार, आठ क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा रहा है। इसमें कपड़ा, उर्वरक, नवीकरणीय ऊर्जा, मोटर वाहन, हस्तशिल्प, कृषि, स्वास्थ्य और बीमा के दरों में बदलाव से सबसे अधिक लाभ होगा।
टीडीपी का समर्थन, विपक्ष शासित राज्यों की मांग- राजस्व हानि के लिए मिले मुआवजा
विपक्ष शासित राज्यों ने मांग की है कि जीएसटी पुनर्गठन के कार्यान्वयन के बाद सभी राज्यों को होने वाली राजस्व हानि के लिए मुआवजा दिया जाए। बुधवार की सुबह, परिषद की बैठक से पहले, आठ विपक्षी शासित राज्यों हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने उनके राजस्व को संरक्षण देने की मांग की पुष्टि की है। वहीं, आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री पय्यावुला केशव ने कहा कि उनका राज्य केंद्र के जीएसटी दर प्रस्तावों का समर्थन करता है। आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की सहयोगी है।
जीएसटी में प्रस्तावित सुधार तीन स्तंभों पर आधारित
परिषद के समक्ष प्रस्तुत केंद्र का जीएसटी सुधार प्रस्ताव तीन स्तंभों पर आधारित है, संरचनात्मक सुधार, दरों का युक्तिकरण और जीवन को आसान बनाना। संरचनात्मक सुधार, उद्योग जगत में विश्वास पैदा करने और बेहतर व्यावसायिक योजना बनाने में सहायता के लिए दरों और नीति निर्देशों पर दीर्घकालिक स्पष्टता प्रदान करके स्थिरता सुनिश्चित करेंगे। जीवन को आसान बनाने से जुड़े वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव में विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए निर्बाध, तकनीक-आधारित जीएसटी पंजीकरण शामिल है। इसमें निर्यातकों और उल्टे शुल्क ढांचे वाले लोगों के लिए पहले से भरे हुए जीएसटी रिटर्न और रिफंड की तेज, स्वचालित प्रक्रिया को लागू करने का भी सुझाव दिया गया है।

जीएसटी परिषद की बैठक से जानकारों को क्या उम्मीद?
बेंगलुरु में पीटीआई से बात करते हुए ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ वरुण बेरी ने कहा है कि अगर जीएसटी कम किया जाता है, तो आने वाली तिमाहियों में खपत बढ़ेगी। उनका मानना है कि सभी खाद्य पदार्थों को 5 प्रतिशत की श्रेणी में लाने से निश्चित रूप से इन उत्पादों की खपत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जैसा कि आप जानते हैं, बिस्कुट खाने का सबसे सस्ता साधन है; यह सबसे सस्ता नाश्ता है जिसे कोई भी खरीद सकता है। एक रुपये का पैकेट कभी-कभी पूरा नाश्ता होता है… इसे कम आबादी वाले लोग खाते हैं… इसका लाभ जीएसटी में कमी के बराबर होगा। अगर इसे 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत कर दिया जाए, तो उलटी इनपुट लागत आदि को हटाकर, उपभोक्ताओं के लिए यह एक उचित अंतर होगा। उपभोक्ताओं को यह लाभ मिलने में कम से कम डेढ़ महीने लगेंगे।”
जीएसटी में कटौती के बाद किन चीजों की कीमतों में आएगी नरमी, यहां देखें लिस्ट
डेयरी प्रोडक्ट्स: मक्खन, पनीर, छाछ, पनीर जैसे उत्पाद
रेडी टू इट फूड्स: जैम, अचार, स्नैक्स, चटनी जैसे उत्पाद
पर्सनल केयर उत्पाद: टूथपेस्ट, शैम्पू, साबुन, टैल्कम पाउडर
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स: एसी, टीवी, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन
निजी वाहन: छोटी कारें, हाइब्रिड कारें, मोटरसाइकिलें, स्कूटर
बीमा: लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पर शून्य प्रतिशत जीएसटी का प्रस्ताव

एलपीजी वितरकों ने पाइप होज पर जीएसटी दर 18% से घटाकर 5% करने की मांग की
अखिल भारतीय एलपीजी वितरक महासंघ ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से एलपीजी सुरक्षा होसेस (एलपीजी पाइप) पर माल और सेवा कर (जीएसटी) को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने की अपील की है। फेडरेशन ने केंद्रीय मंत्री को लिखे पत्र में इस बात पर जोर दिया था कि एलपीजी सुरक्षा नली कोई लक्जरी उत्पाद नहीं है, बल्कि सिलेंडर से स्टोव तक गैस को सुरक्षित रूप से पहुंचाने के लिए एक अनिवार्य सुरक्षा घटक है। पत्र में कहा गया है, “चूंकि एलपीजी पहले से ही आवश्यक वस्तुओं में शामिल है और लाखों परिवारों को सब्सिडी योजनाओं के तहत वितरित की जाती है, इसलिए सुरक्षा उपकरण पर इतना अधिक जीएसटी लगाना सरकार के “उज्ज्वला से सुरक्षा” के दृष्टिकोण के विपरीत है।” अगस्त 2015 से, एलपीजी का उपयोग करने वाले प्रत्येक घर को तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) और पेट्रोलियम व विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) के दिशानिर्देशों के अनुसार समय-समय पर इन होजो को बदलना आवश्यक है। उन्होंने तर्क दिया कि वर्तमान में 18 प्रतिशत जीएसटी दर के कारण ये सुरक्षा नली कई परिवारों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों, ग्रामीण उपभोक्ताओं और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के लाभार्थियों के लिए महंगी हो गई है। फेडरेशन के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश के अनुसार, जीएसटी को घटाकर 5 प्रतिशत करने से कर राजस्व में कमी नहीं आएगी, बल्कि इसमें वृद्धि होगी, क्योंकि अधिक उपभोक्ता खुले बाजार से सस्ते, असुरक्षित विकल्पों के बजाय अधिकृत बीआईएस-अनुमोदित होज खरीदेंगे।

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