22 सितंबर से भाजपा का जीएसटी बचत महोत्सव, सांसद अपने क्षेत्र के बाजारों में करेंगे पैदल मार्च

22 सितंबर से भाजपा का जीएसटी बचत महोत्सव, सांसद अपने क्षेत्र के बाजारों में करेंगे पैदल मार्च
22 सितंबर से अमल में आने वाली जीएसटी में मुख्य रूप से सिर्फ 5 और 18 फीसदी की दो दरें ही होंगी। लग्जरी और विलासितापूर्ण वाली वस्तुओं पर अलग से 40 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। इसे लेकर भाजपा 22 से 29 सितंबर जीएसटी बचत महोत्सव का आयोजन करेगी।
देश में जीएसटी सुधारों के समर्थन में भाजपा ने अभियान चलाने की तैयारी की है। भाजपा 22 सितंबर से जीएसटी बचत महोत्सव शुरू करने जा रही है। 29 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान के तहत हर भाजपा सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र के बाजारों में पैदल मार्च करेंगे। भाजपा के इस अभियान के पीछे का उद्देश्य व्यापारियों, दुकानदारों और आम जनता से सीधे जुड़ना, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना और इस बात पर जोर देना है कि इसने अर्थव्यवस्था में बचत और पारदर्शिता में कैसे योगदान दिया है। सप्ताह भर चलने वाले इस अभियान में विभिन्न राज्यों के पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बड़े पैमाने पर भागीदारी की उम्मीद है।
स्थानीय बाजारों में पदयात्राएं करके, भाजपा अपनी जमीनी पहुंच को मजबूत करने और छोटे व्यवसाय मालिकों से जुड़ने की योजना बना रही है, ताकि व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियों पर प्रकाश डाला जा सके।
22 सितंबर से अमल में आने वाली जीएसटी में मुख्य रूप से सिर्फ 5 और 18 फीसदी की दो दरें ही होंगी। लग्जरी और विलासितापूर्ण वाली वस्तुओं पर अलग से 40 प्रतिशत कर लगाया जाएगा। नए बदलावों के अनुसार तंबाकू और संबंधित उत्पाद 28 फीसदी से अधिक उपकर की श्रेणी में बने रहेंगे। वर्तमान में वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) 5, 12, 18 और 28 फीसदी के चार स्लैब के तहत लगाया जाता है। सरकार ने निर्देश दिया है कि नई दरें लागू होने के बाद व्यापार और उद्योग जगत इसका पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाए।
सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में स्पष्ट अनुसूचियां जारी करके सरकार ने विभिन्न वस्तुओं पर लागू दरों पर स्थिति साफ की है। सरकार के निर्देशों के अनुसार व्यवसायों को अपने सिस्टम को तुरंत अपडेट करना होगा और आपूर्ति शृंखलाओं में नई दरों के आधार पर मूल्य निर्धारण करना होगा। जीएसटी परिषद की 3 और 4 सितंबर को हुई बैठक में दरों को कम करने का फैसला लिया गया था।



