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हील इंडिया के सांस्कृतिक उत्सव “शाम-ए-हुनर : सूफ़ी सुरों के साथ – जहाँ जीवंत होती है कारीगरों की कला” का भव्य आयोजन

हील इंडिया के सांस्कृतिक उत्सव “शाम-ए-हुनर : सूफ़ी सुरों के साथ – जहाँ जीवंत होती है कारीगरों की कला” का भव्य आयोजन

**नई दिल्ली, 19 सितम्बर 2025।** राजधानी के चाणक्यपुरी स्थित सीएसओआई ऑडिटोरियम में *हील इंडिया* द्वारा सांस्कृतिक संध्या **“शाम-ए-हुनर : सूफ़ी सुरों के साथ – जहाँ जीवंत होती है कारीगरों की कला”** का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारत की पारंपरिक कलाओं — लाख की चूड़ियाँ, आभूषण और मधुबनी चित्रकला — को समर्पित रहा और ग्रामीण महिला कारीगरों के सशक्तिकरण व सहयोग का संदेश लेकर आया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इथियोपिया दूतावास के उप प्रमुख मिशन महामहिम राजदूत मोलालिग्न असफाव उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रूप में दक्षिण अफ्रीका दूतावास के उप उच्चायुक्त श्री सेड्रिक चार्ल्स क्राउली, सुलभ इंटरनेशनल की कार्यकारी संयोजक श्रीमती नित्या पाठक तथा रेल विकास निगम लिमिटेड की निदेशक (मानव संसाधन) श्रीमती अनुपम बैन ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से आयोजन की शोभा बढ़ाई।

संध्या का मुख्य आकर्षण रहे वे कारीगर, जिनकी कला ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मधुबनी पेंटिंग की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार **सुश्री विनिता झा**, सुश्री निशा कुमारी और अन्य कलाकारों ने अपनी कृतियों से सबका मन मोह लिया। लाख की चूड़ियों के प्रसिद्ध कारीगर **श्री आफ़ताब आलम** और **मोहम्मद जसीम**, जो बिहार राज्य पुरस्कार से सम्मानित हैं, ने अपनी परंपरागत कला का प्रदर्शन किया। वहीं मधुबनी कला के राज्य पुरस्कार विजेता **श्री मनोज कुमार चौधरी** ने भी अपनी कलाकृतियों से सभी को प्रभावित किया।

इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष **श्रीमती आभा कुमार** ने कहा कि *हील इंडिया* समाज के समग्र विकास के लिए निरंतर कार्यरत है। यह केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि कारीगरों के सपनों को साकार करने का प्रयास है। संस्था का उद्देश्य दिल्ली में कारीगर एम्पोरियम की स्थापना, कच्चा माल बैंक की व्यवस्था तथा विभिन्न दूतावास परिसरों में वार्षिक प्रदर्शनियों का आयोजन कर कारीगरों को वैश्विक पहचान दिलाना है। उन्होंने यह भी बताया कि संस्था ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास और खेल क्षेत्र विकसित करने की दिशा में भी कार्य कर रही है, ताकि शिक्षा और बाल विकास को नई ऊँचाइयाँ मिल सकें।

संस्था के महासचिव **श्री चमन तुलस्यान** ने कहा कि पिछले पच्चीस वर्षों में *हील इंडिया* ने तेरह सौ से अधिक कारीगरों को मंच, बीमा और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में भागीदारी का अवसर प्रदान किया है। यही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि कला को सम्मान और कारीगरों को पहचान मिली है। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता में सहयोग देने वाले प्रायोजकों — रेल विकास निगम लिमिटेड, सुलभ इंटरनेशनल, आईआरसीटीसी, रेलटेल और वर्मा इंडस्ट्रीज़ — का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

संध्या का समापन प्रसिद्ध **निज़ामी बंधु** की सूफ़ी प्रस्तुति से हुआ, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिकता और संगीत की माधुर्यता से भर दिया। यह आयोजन न केवल कला और संस्कृति का उत्सव रहा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कारीगरों के सपनों और संघर्षों की जीवंत कहानी भी बन गया।

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