यूपी उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटर लगाना असांविधानिक…,’ उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में जताया विरोध

यूपी उपभोक्ताओं की सहमति के बिना मीटर लगाना असांविधानिक…,’ उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में जताया विरोध
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि उपभोक्ताओं की सहमति के बिना स्मार्ट मीटर लगाना असांविधानिक है। नियामक आयोग में विधिक प्रस्ताव दाखिल कर इस पर विरोध जताया है।
उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की ओर से उपभोक्ताओं के घरों में बिना उनकी सहमति के प्रीपेड मोड में स्मार्ट मीटर लगाना असांविधानिक है। यह अधिनियम 2003 का उल्लंघन है। यह आरोप लगाते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को विद्युत नियामक आयोग में विधिक प्रस्ताव दाखिल किया।
विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने दाखिल प्रस्ताव में कहा कि आयोग हस्तक्षेप करे और बिना अनुमति के उपभोक्ताओं के परिसर में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों लगाने पर रोक लगाए। इतना ही नहीं इसकी अनिवार्यता पर भी पुनर्विचार किया जाए।
परिषद ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को प्रीपेड अथवा पोस्टपेड मीटर चुनने का विकल्प देता है। उपभोक्ता परिषद ने कहा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 55(1) और 177 (2) सी के अंतर्गत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को मीटरों की स्थापना और संचालन संबंधी नियम बनाने का अधिकार प्राप्त है। हालांकि यह नियम अधिनियम के मूल प्रावधानों के अनुरूप होने चाहिए जो पोस्टपेड और प्रीपेड दोनों प्रकार के मीटरों को मान्यता देते हैं।
निगमों के निजीकरण के लिए हो रहा है सम्मेलन : संघर्ष समिति
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि ऑल इंडिया डिस्काम एसोसिएशन की ओर से मुंबई में होने जा रहा डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 में देशभर के डिस्कॉम को निजीकरण की रणनीति बनेगी।
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि मुंबई में चार व पांच नवंबर को होने वाले डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी मीट 2025 का आयोजक इंडियन स्मार्ट ग्रिड फोरम है। यह सोसाइटी एक्ट में पंजीकृत निजी संस्था है। संस्था की वेबसाइट पर दर्ज सामग्री से स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य निजीकरण है। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल एसोसिएशन के महामंत्री हैं। वह खुद पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण की प्रक्रिया में लगे हैं। ऐसे में यह कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट (हितों के टकराव) का मामला है।



