सीसी लिमिट बढ़ाने में देरी: यूको बैंक को दो लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश; मानसिक कष्ट के लिए भी देगा 10 हजार

सीसी लिमिट बढ़ाने में देरी: यूको बैंक को दो लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश; मानसिक कष्ट के लिए भी देगा 10 हजार
सीसी लिमिट बढ़ाने में देरी पर कोर्ट ने यूको बैंक को दो लाख क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। मानसिक कष्ट के लिए भी बैंक को 10 हजार देने होंगे। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने यह निर्णय सुनाया।
राजधानी लखनऊ में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने सीसी लिमिट बढ़ाने में देरी पर यूको बैंक को दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। इसके अलावा न्यायालय ने परिवादिनी को मानसिक कष्ट के लिए 10 हजार रुपये और वाद में हुए व्यय के लिए पांच हजार रुपये अतिरिक्त देने का आदेश भी दिया है। यदि यह धनराशि 30 दिन के भीतर परिवादिनी को भुगतान नहीं की जाती है तो समस्त धनराशियों पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया।
लाटूश रोड ओल्ड की निवासी स्वप्ना गर्ग ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय के यहां 27 फरवरी 2024 को एक वाद दायर किया था। इसमें लखनऊ विवि में यूको बैंक की शाखा, गोमतीनगर स्थित बैंक के जोनल ऑफिस और कोलकाता स्थित लीगल डिपार्टमेंट को पार्टी बनाया गया था।
लिमिट 25 लाख रुपये तक बढ़ाने का आवेदन किया था
स्वप्ना गर्ग ने दायर वाद में बताया कि वे एडीएजीई फर्म की प्रोपराइटर हैं। उन्होंने लविवि स्थित यूको बैंक की शाखा में अपना कैश क्रेडिट लिमिट खाता खोला था। बैंक ने जुलाई 2022 में 12 लाख की सीसी लिमिट दी गई थी। बाद में उन्होंने सीसी लिमिट को 25 लाख रुपये तक बढ़ाने का आवेदन अगस्त 2023 को किया।
इसका निस्तारण तीन हफ्ते में होना था। कई बार शिकायत के बावजूद सीसी लिमिट नहीं बढ़ाई गई। इसकी वजह से उन्हें अपनी सामग्री की आपूर्ति के कई आर्डर निरस्त करने पड़े। इससे लाखों का नुकसान हुआ।
23 लाख से अधिक के ऑर्डर निरस्त करने पड़े
उन्होंने आयोग में दायर वाद में सेवा में कमी को आधार बताते हुए क्षतिपूर्ति के लिए 20 लाख रुपये की मांग की। बताया कि बैंक की ओर से बताया गया कि 15 सितंबर 2023 को उनकी सीसी लिमिट बढ़ा दी गई। लेकिन, बढ़ी हुई धनराशि उनके खाते में क्रेडिट नहीं हुई थी। इसकी वजह से उन्हें 23 लाख से अधिक के ऑर्डर निरस्त करने पड़े। आयोग के अध्यक्ष अमरजीत त्रिपाठी व सदस्य प्रतिभा सिंह ने मामले की सुनवाई के बाद 14 नवंबर को अपने आदेश में कहा कि विपक्षीगणों को आदेशित किया जाता है कि वे एकल व संयुक्त रूप से निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर परिवादिनी को क्षतिपूर्ति के रूप में दो लाख रुपये नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ दें। इसके अलावा मानसिक कष्ट के लिए 10 हजार रुपये और वाद में हुए व्यय के लिए पांच हजार रुपये अतिरिक्त देने होंगे।



