संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएशन स्टूड लखनऊ में नसों की बीमारी के ऊपर कार्यशाला का आयोजन

संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएशन स्टूड लखनऊ में नसों की बीमारी के ऊपर कार्यशाला का आयोजन

इस आयोजन में उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ़ सर्जन ऑफ़ इंडिया की तरफ से गोरखपुर के सुप्रसिद्ध सर्जन डॉ शिव शंकर शाही ने वक्ता के रूप में भाग लिया। डॉ शिवशंकर शाही को सीरियस मरीज जो खून पतला करने की दवा खाते हैं, अगर इनका ऑपरेशन करने की आवश्यकता पड़ती है तो कैसे किया जाएगा इस पर वक्तव्य देना था. डॉ शाही ने बताया कि बहुत से मरीज ऐसे होते हैं जिनको आर्टिफिशल हर्ट वाल्व लगा हुआ रहता है, एनजीओप्लास्टि के द्वारा दिल में स्टैंड पड़ा रहता है। यह ऐसी बीमारी होती है जिनमें खून पतला करने की दवा चलती रहती है। अगर यह दवा बंद कर दी जाए तो खून का थक्का बन जाता है और वो कहीं भी जाकर शरीर में खतरा उत्पन्न कर सकता है जिससे मरीज की जान को खतरा बढ़ जाता है। अगर इस दवा के साथ ऑपरेशन किया जाए तो रक्त श्राव इतना ज्यादा होगा कि मरीज का बचना बहुत ही मुश्किल होता है। इस बीमारी में ऑपरेशन करना बहुत मुश्किल होता है। इसमें विशेष दवा चलाकर मरीज का सफल ऑपरेशन किया जा सकता है और ऐसा हमेशा करना पड़ता है। अक्सर ऐसे मरीज आते हैं और इनको इमरजेंसी में ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है तो कुछ दवाओं को बहुत बारीकी से दिया जाता है और बहुत ही उच्चतम तकनीकी द्वारा इन लोगों का ऑपरेशन किया जाता है ताकि इन्हें खून का थक्का भी न बने और रक्त श्राव भी न हो। यह बीमारी दो धारी तलवार की तरह होती है। अगर खून के थक्के को बनने से रोका जाए तो रक्त श्राव ज्यादा होगा और रक्त श्राव को रोका जाए तो खून का धक्का बनने लगेगा यानी कि आगे गुआं पीछे खाई। डॉ शाही ने इस बीमारी पर अपना स्पष्ट वक्तव्य दिया और जो भी विधि बताई उस विधि की सराहना किया गया . पूरे विश्व में इस विधि को अपनाकर ही ऑपरेशन किया जाता है। इसके अलावा देश के विभिन्न कोने से बहुत बड़े बड़े चिकित्सक आए थे। इस कार्यशाला में देश के सभी कोने से बंबई कलकत्ता मद्रास दिल्ली अहमदाबाद हैदराबाद केरल तमिलनाडु
जैसे बड़े शहरों से अति विशिष्ट चिकित्सक आए थे और सबने अपना परामर्श दिया तथा नई नई तकनीकियों के बारे में अपनी जानकारी दिया। जितनी भी नई तकनीकों के बारे में बताया गया लगभग इन सारी तकनीकियों द्वारा गोरखपुर के शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में पहले से ही ऑपरेशन किया जा रहा है .
ज्यादातर चिकित्सकों ने लेजर सर्जरी , रेडियो फ्रीक्वेंसी अवलेजन इंडो बैस्कुलर तकनीकी के बारे में बताया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यही था कि भारत वर्ष के सभी चिकित्सक नई नई तकनीकी नई नई विधाओं को सीखें अपनाएं और हर व्यक्ति तक इसे पहुंचाने की कोशिश करें।
इस कार्यशाला के मुख्य आयोजक डॉ बृजेश कुमार सिंह ने डॉक्टर शाही से अनुरोध किया कि ऐसी कार्यशाला गोरखपुर में भी आयोजित कराई जाए ताकि वहां के भी चिकित्सक जो गाँव दूरदराज और छोटे कस्बे में काम कर रहे हैं वो भी इन तकनीकों से अवगत हो सके. । डॉ शाही ने वादा किया कि बहुत ही जल्द गोरखपुर में भी इस तरह की कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।
इसके अलावा अन्य चिकित्सकों में खून की नशों में से खून के थक्के को कैसे निकाला जाए? खून की.नसों के अंदर अल्ट्रासाउंड कैसे किया जाएगा , पैर में जो नशे फूल जाती हैं उनका लेजर से ऑपरेशन कैसे किया जाए? बहुत से मरीजों के पैर में घाव होता है जो कई वर्षों रहता है उसको कैसे ठीक किया जाए इस नई विधाओं को चिकित्सकों से साझा किया धन्यवाद। डॉ शिवशंकर शाही शाही ग्लोबल हॉस्पिटल तारामंडल गोरखपुर

