लखनऊ विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के पिता आनंद सिंह का देर रात निधन; चार बार कांग्रेस से रहे हैं सासंद

लखनऊ विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के पिता आनंद सिंह का देर रात निधन; चार बार कांग्रेस से रहे हैं सासंद
विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के पिता आनंद सिंह का रविवार देर रात लखनऊ में निधन हो गया। वह चार बार के सांसद होने के साथ अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह के पिता व पूर्व मंत्री आनंद सिंह उर्फ अन्नू भैया का रविवार की देर रात लखनऊ में एकाएक तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया। यह खबर यहां पर आते ही लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। आनंद सिंह का जन्म 4 जनवरी 1939 को हुआ था। गोंडा संसदीय क्षेत्र से 5वीं , 7वीं , 8वीं और 9वीं लोकसभा के लिए संसद सदस्य चुने गए थे । 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार में वह कृषि मंत्री भी रहे। इसके बाद से उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था। उनके पुत्र गोंडा से भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह वर्तमान में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री है।
यूपी टाइगर की मिली थी उपाधिपूर्व मंत्री के करीबी केबी सिंह ने बताया कि राजा आनंद सिंह एक दो बार नहीं, चार बार सांसद रहे।पूर्वांचल की राजनीति में अपने सियासी दबदबे को लोहा मनवाने वाले मनकापुर के राजा आनन्द सिंह को यूपी टाइगर के नाम से जाना जाता था। एक वक्त की बात थी कि कांग्रेस पार्टी उन्हें सादा सिम्बल दे देती थी, फिर आनंद सिंह जिसे चाहते नाम भरकर सिम्बल दे देते थे। जिसके सिर पर मनकापुर कोट का हाथ होता था वह सांसद, विधायक, जिला परिषद अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख बन जाता था। वर्ष 2012 में राजा आनंद सिंह ने गौरा विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता और प्रदेश की अखिलेश सरकार में कृषि मंत्री बने थे। लेकिन अब वे राजनीति से सन्यास ले चुके थे।
यह है राजनीतिक करियर1971 में आनंद सिंह गोंडा लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए। इसके बाद 1980, 1984 और 1989 में भी वह कांग्रेस के टिकट पर गोंडा से सांसद बने। राम लहर में 1991 के आम चुनाव में बृजभूषण ने आनंद सिंह को शिकस्त दी। इसके बाद 1996 में उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह ने भी बीजेपी के टिकट पर आनंद सिंह (एसपी उम्मीदवार) को एक बार फिर मात दी। इसके बाद से आनंद सिंह ने संसदीय चुनाव से दूरी बना ली। हालांकि बाद में विधानसभा चुनाव जरुर लड़े थे।