लखनऊ : लखनऊ मेंटेनेंस पर खर्च हुए पांच करोड़ और ट्रांसफार्मर को जाली तक नसीब नहीं

लखनऊ मेंटेनेंस पर खर्च हुए पांच करोड़ और ट्रांसफार्मर को जाली तक नसीब नहीं
लखनऊ। पावर कॉरपोरेशन ने राजधानी के ट्रांसफार्मर और उसकी एलटी लाइन पेटी के मेंटेनेंस पर अनुमानित इस साल में 5 करोड रुपए तक खर्च किए। मगर, तमाम ऐसे ट्रांसफार्मर और उसकी पेटी अपनी दुर्दशा को बयां कर रही कि एक साल से उनकी तरफ किसी ने झांका तक नहीं । कहीं पर ट्रांसफार्मर की फैंसी जाली टूटी पड़ी तो कहीं जाली गायब हो चुकी। जिस चबूतरे पर ट्रांसफार्मर को रखा, सुरक्षा की दृष्टि से उसकी घेराबंदी तक नहीं की गई। बिजली अव्यवस्था कि यह सच्चाई है।कार्पोरेशन प्रबंधन के निर्देश पर इसी साल फरवरी में मेंटेनेंस के नाम पर एक माह तक विशेष अभियान चलाया गया था। इस दौरान जर्जर पेटी की मरम्मत, उसके उपकरण को बदलने, पेटी की घेराबंदी और कटे-पीते जॉइंट को सुरक्षित करने का दावा किया गया था। मगर अधिकतर इलाकों में यह मेंटेनेंस महज सरकारी कागजों पर हो गया और ट्रांसफार्मर और उसकी पेटी की दुर्दशा नहीं बदली, जिसका खामियाजा रविवार सुबह फहद ने अपनी जान देकर भुगता।
राहगीर की जान ले सकता ट्रांसफार्मरअहिबरनपुर पावर हाउस से मंत्र 100 मीटर की दूरी पर फ्लावर की बाई तरफ चबूतरे पर एक ट्रांसफार्मर रखा ,उसकी दशा बता रही जितना ऑयल उसमें भर जाता उसका 10 फीसदी बह जाता है। इस ट्रांसफार्मर की मुख्य सड़क की तरफ कोई घेराबंदी नहीं है। 11,000 लाइन के तार लग्स के साथ खुले जुड़े। सड़क दुर्घटना के दौरान राहगीर इस खुले तार के संपर्क में आते ही उसकी जान चली जाएगी। इस ट्रांसफार्मर की यह दशा यह भी बयां करती की इलाके के इंजीनियर निरीक्षण करने नहीं जाते हैं। खासतौर पर अधिशासी अभियंता जो बड़े साहब के रूप में मशहूर वह एयरकंडीशन कमरे में बैठकर आराम फरमाते हैं और कार्पोरेशन प्रबंधन की वीसी का हवाला देकर आने जाने से परहेज करते।
राजधानी में कुल 26 विद्युत वितरण खंडअनुमानित छोटे बड़े 30000 ट्रांसफार्मर और पेटीजांच के लिए दो सदस्य कमेटी गठितट्रांसफार्मर पेटी के करंट की चपेट में आकर 7 साल के बच्चे फहद की मौत की जांच के लिए दो अधिशासी अभियंताओं के सदस्य वाली कमेटी को गठित किया गया। यह कमेटी तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी, इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
– कमलेश कुमार चौधरी, अधीक्षण अभियंता सर्किल प्रथम लेसा
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