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गाजीपुर : जखनिया बाजार में ईद-ए-मिलादुन्नबी पर निकाला गया भव्य जुलूस

बेद प्रकाश पाण्डेय ब्यूरो चीफ गाजीपुर।

आज दिनांक।05/09/025को

जखनिया बाजार में ईद-ए-मिलादुन्नबी पर निकाला गया भव्य जुलूस

जखनिया (गाजीपुर)। आज पूरे क्षेत्र में ईद-ए-मिलादुन्नबी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सुबह से ही विभिन्न ग्राम सभाओं—अलीपुर मदंरा, दामोदरपुर, गौरा खास, शाहबपुर जखनियां समेत तमाम इलाकों से लोग इकट्ठा होकर जुलूस की शक्ल में जखनिया बाजार पहुँचे। जुलूस के दौरान जगह-जगह स्वागत किया गया और तिलावत-ए-कलाम पाक व नात-ए-शरीफ की गूंज वातावरण को धार्मिक रंग में रंगती रही।

जुलूस में शामिल लोगों ने नबी-ए-करीम ﷺ की सीरत से इंसानियत और भाईचारे की सीख लेने का संदेश दिया। मौलाना व वक्ताओं ने कहा कि हज़रत मोहम्मद मुस्तफा ﷺ की ज़िन्दगी हमें सादगी, अमन, भाईचारा, ईमानदारी और इंसाफ का पैग़ाम देती है। इस मौके पर यह दुआ की गई कि अल्लाह पूरे मुल्क और कौम पर रहमत व बरकत नाजिल करे।

कार्यक्रम में स्थानीय सम्मानित व्यक्तियों, धर्मगुरुओं, युवा-समाजसेवियों समेत भारी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे। जगह-जगह शर्बत और मिठाइयों की भी व्यवस्था की गई। पूरे क्षेत्र में आज का दिन आपसी भाईचारा, अमन और मोहब्बत का पैग़ाम देने वाला रहा।

क्षेत्र के प्रमुख लोगों की रही मौजूदगी।

आज कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कोतवाली भुड़कुड़ा के प्रभारी निरीक्षक धीरेंद्र प्रताप सिंह अपने समस्त पुलिस स्टाफ के साथ जुलूस में मौजूद रहे साथ में ग्राम सभा अलीपुर मदंरा के प्रधान प्रतिनिधि सर्वानंद सिंह झुन्ना अटल सिंह समाजवादी पार्टी के विधानसभा अध्यक्ष अवधेश यादव उर्फ राजू शमीम अंसारी वरिष्ठ अधिवक्ता व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष निसार अहमद फैजल अंसारी शमीम अंसारी ताहिर हुसैन रियाज अंसारी रियाज मास्टर बबलू अंसारी हाफिजी शमशाद अहमद तमाम सम्मानित लोग जुलूस में शामिल रहे।

नबी-ए-करीम ﷺ की संक्षिप्त जीवनी व शिक्षाएँ

हज़रत मोहम्मद मुस्तफा ﷺ का जन्म सन 570 ईस्वी में मक्का मुकर्रमा में हुआ। आपके जन्म का दिन पूरी दुनिया के लिए रहमत और बरकत का पैग़ाम लेकर आया। बचपन से ही आप सच्चाई, ईमानदारी और रहमदिली के लिए प्रसिद्ध थे। लोग आपको अल-अमीन (विश्वसनीय) और अस-सादिक (सत्यवादी) के नाम से पुकारते थे।

40 वर्ष की आयु में आपको अल्लाह तआला की ओर से पैग़ाम-ए-हक़ मिला और आपने लोगों को तौहीद (एक ईश्वर में विश्वास), इंसाफ, समानता और रहमत का संदेश दिया। आपने सिखाया कि हर इंसान अल्लाह की नज़र में बराबर है, चाहे वह अमीर हो या गरीब।

आपकी सीरत (जीवन) से इंसानियत को यह सीख मिलती है

जरूरतमंद की मदद करना इंसान का फ़र्ज़ है।औरतों, बच्चों और बुजुर्गों के हक़ की हिफ़ाज़त करना ईमान का हिस्सा है।

सादगी और अमन पसंदी अल्लाह को सबसे प्यारी है।

नफरत, जुल्म और नाइंसाफी से दूर रहकर मोहब्बत, भाईचारा और इंसाफ़ का रास्ता अपनाना ही असली इस्लाम है।

ईद-ए-मिलादुन्नबी का यह पर्व न सिर्फ मुसलमानों बल्कि पूरी इंसानियत को अमन, शांति और भाईचारे का पैग़ाम देता है।

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