लखनऊ गौतम अदाणी बोले: सीधे रास्ते चलकर इतिहास नहीं बनता, चुनना होता है खुद का रास्ता; लखनऊ IIM में दिया व्याख्यान

लखनऊ गौतम अदाणी बोले: सीधे रास्ते चलकर इतिहास नहीं बनता, चुनना होता है खुद का रास्ता; लखनऊ IIM में दिया व्याख्यान
मशहूर उद्योगपति गौतम अदाणी ने बृहस्पतिवार को राजधानी के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) में व्याख्यान दिया। यहां उन्होंने अपने अनुभव शेयर किए।
मशहूर उद्योगपति गौतम अदाणी बृहस्पतिवार को राजधानी के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) पहुंचे थे। आईआईएम के उत्सव हॉल में एंट्री करते ही आईआईएम के निदेशक एमएम गुप्ता व प्रंबंधन के छात्रों ने गौतम अदाणी का तालियां बजाकर जोरदार स्वागत किया।
यहां अदाणी ने आईआईएम के छात्रों को सफलता के मंत्र दिए। छात्रों से मुखातिब होकर कहा कि जब मैं आप सभी को देखता हूं तो विकसित भारत की संभावना दिखाई देती है, लेकिन यह सपना, संभावना और विश्वास भविष्य का भरोसा है। सीधे सपाट रास्ते पर चलकर इतिहास नहीं बनता। इतिहास वो नहीं बनाते, जो वक्त की रेत पर चलते हैं। इतिहास वो रचते हैं, जो अपना रास्ता खुद तलाशते हैं। असली विकास वो नहीं जो सुविधा से मिले, बल्कि असली विकास वो है जो संघर्ष में तपे।
अपने संघर्ष की कहानी से किया छात्रों को प्रेरित,दिए सफलता के टिप्सउन्होंने अपने जीवन के संघर्षों की कहानी से आईआईएम के छात्रों को प्रेरित किया। बताया कि 16 वर्ष की काफी कम उम्र में व्यवसाय की दुनिया में आया और अहमदाबाद से मुंबई शिफ्ट हुआ। मेरी हर अहम यात्रा में ऐसे पल आए हैं, जब मेरे पास संसाधन खत्म हो गए थे। 32 साल की उम्र में 1994 अटल विश्वास के साथ खुद की कंपनी खड़ी की और नाम दिया अदाणी इंटरप्राइज।
विकास वही, जो मानवता की बुनियाद पर खड़ा होअपने संबोधन में अदाणी ने कहा कि अपनी प्रोफेशनल यात्रा के अनुभव से कहता हूं कि बिजनेस की दुनिया में कामयाब होने के लिए कुछ अलग करना होगा। जब दुनिया कहे कि यह संभव नहीं है, वहीं से इतिहास रचने की कहानी शुरू होती है। नरसिम्हा राव ऐसे विजनरी नेता थे, जिन्होंने आर्थिक विकास की नींव रखी। विकास वही, जो मानवता की बुनियाद पर खड़ा हो।
व्यापार में उदारीकरण था पूरी पीढ़ी के लिए सुनहरा मौका
गौतम अदाणी ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहा राव के कार्यकाल में व्यवसाय के क्षेत्र में उदारीकरण को एक पूरी पीढ़ी के लिए सुनहरा माैका बताया। नरसिंहा राव की माइलस्टोन कहे जाने वाली नीति- एल-पी-जी (लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन) की तारीफ करते हुए कहा कि उदारीकरण की नीति मेरे लिए व्यवसायिक जीवन का अहम पड़ाव था।साल 2050 तक भारत बनेगा 25 ट्रिलियन डॉलर की इकोनाॅमीउन्होंने कहा कि साल 2050 तक भारत 25 ट्रिलियन डॉलर की महाशक्ति बन जाएगा। हम दुनिया की सबसे युवा, सबसे जिज्ञासु और सबसे महत्वाकांक्षी कार्यशील आबादी हैं। एक अरब सपने-कुछ कर दिखाने को तैयार हैं। जनसांख्यिकी हमारी ताकत है। दूसरी ताकत है- डिमांड यानी मांग। हम सिर्फ उपभोग नहीं कर रहे, हम दुनिया के लिए बाजार भी बना रहे हैं। आज के इस दौर में, जहां आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई), एल्गोरिदमिक निर्णय और वैश्विक अनिश्चितता हावी है, वहां शिक्षा का असली मूल्य क्या है। तीसरी ताकत – डिजिटल अवसंरचना जो आधार, यूपीआई और ओएनडीसी हमने बनाए हैं, वैसा कोई देश नहीं कर पाया। ये सिर्फ प्लेटफॉर्म नहीं हैं, ये समावेशन, नवाचार और विस्तार के लॉन्चपैड हैं। चौथी ताकत है घरेलू पूंजी ।दुनिया का गुरुत्वाकर्षण केंद्र बनेगा भारतउन्होंने कहा कि जल्द की भारत दुनिया का गुरुत्वाकर्षण केंद्र बनेगा। कुछ बातें ऐसी हैं, जो न तो किसी किताब में लिखी हैं और न ही कहीं सिखाई जा सकती हैं, वे सिर्फ भारतीयता में रची-बसी होती हैं। एक ऐसा विश्व जो युद्धों से टूटा हुआ है, प्रभुत्व की भूख से फटा हुआ है, उसमें भारत संयम के साथ अडिग खड़ा है। यह नैतिक ऊंचाई, इतनी सच्चाई सिर्फ भारत के पास है।आराम नहीं, साहस और चरित्र चुनिएकहा कि नेतृत्व वही कर सकता है, जो जोखिमों से भरे रास्ते पर चलता है। आपकी यात्रा इस बात का प्रमाण बने कि भारतीय जमीन से उठे सपने भी वैश्विक ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। अब समय आ गया है कि भारत में जन्मा सपना, भारत की मिट्टी में ही आकार ले। भारत कोई प्रश्न नहीं है जिसे आपको हल करना है- भारत वह उत्तर है जिसे आपके जरिए दुनिया तक पहुंचाना है। यह वही उत्तर है जो बुद्ध की करुणा में था, विवेकानंद की वाणी में जगा, और गांधी के सत्य में चला।