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लखनऊ आवेदक मुंबई में, लखनऊ में ड्राइविंग लाइसेंस हो गया रिन्यू, दलालों की कारस्तानी

लखनऊ आवेदक मुंबई में, लखनऊ में ड्राइविंग लाइसेंस हो गया रिन्यू, दलालों की कारस्तानी

लखनऊ। जितेंद्र कुमार मूलरूप से उन्नाव के रहने वाले हैं। वह मुंबई में काम करते हैं। उनके ड्राइविंग लाइसेंस की अवधि खत्म हो गई। वह दलालों के संपर्क में आए। दलालों ने 400 रुपये सरकारी फीस के अतिरिक्त उनसे 4500 रुपये वसूले। ऑनलाइन व्यवस्था में सेंधमारी करते हुए उनकी एप्लीकेशन (2353272525) जेनरेट कर उनका लाइसेंस रिन्यू करवा दिया। न उन्हें मुंबई से आना पड़ा, न ही उन्हें स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लगाना पड़ा।यह न तो पहला मामला है, न ही परिवहन विभाग की ऑनलाइन सेवाओं में सेंधमारी का नया प्रकरण। ऑनलाइन व्यवस्था की गड़बड़ियों का दलाल खुलेआम लाभ उठा रहे हैं। इसके एवज में आवेदकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं और परिवहन अफसर आंख मूंदे बैठे हुए हैं। दरअसल, ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण की ऑनलाइन व्यवस्था को दलाल बाईपास कर लाभ उठा रहे हैं। यह गड़बड़ियां सड़क दुर्घटनाओं को बढ़ाने की वजह भी बनती हैं। परिवहन विभाग ने लाइसेंस सहित कई सेवाओं को ऑनलाइन कर रखा है। लेकिन इसमें दलाल परिवहन विभाग की व्यवस्था को बाईपास कर आटो अप्रूव्ड सुविधा का लाभ उठाकर बगैर स्वास्थ्य प्रमाणपत्र ही डीएल रिन्यूअल करवा रहे हैं। अधिकारियों ने बतायाकि नवीनीकरण में हेल्थ सर्टिफिकेट अनिवार्य रहता है। इससे आवेदक के स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है। लेकिन उपरोक्त मामले में आवेदक का स्वास्थ्य प्रमाणपत्र लगाए बिना ही डीएल रिन्यू करवा दिया गया।

यहां है खामी, इसलिए हो रही सेंधमारीसेवाओं को ऑनलाइन करते समय लाइसेंस रिन्यूअल में ऑटो अप्रूव्ड की सुविधा दी गई, ताकि आवेदकों को कार्यालय ना आना पड़े। लेकिन इसका लाभ सिर्फ उन्हें ही मिलेगा, जिन्होंने चिकित्सक से सर्टिफिकेट बनवाकर खुद ही अपनी आईडी से उसे अटैच किया हो। विभाग ने प्रत्येक आरटीओ में डॉक्टरों का एक पैनल बनाने और उनको आईडी जारी करने के निर्देश दिए हैं। डॉक्टर खुद की आईडी से सर्टिफिकेट नहीं अपलोड करता है तो सत्यापन के लिए आवेदक को आरटीओ आना होता है। लेकिन इस व्यवस्था को बाईपास कर बगैर हेल्थ प्रमाणपत्र दिए सीधे रिन्यूवल कराए जा रहे हैं।
मोटी रकम वसूल रहे दलालड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूवल की सरकारी फीस 400 रुपये है। लेकिन आवेदक ऑनलाइन नवीनीकरण की प्रक्रिया आसानी से पूरी नहीं कर पाते। ऐसे में वे दलालों के चक्कर में फंसते हैं और दलाल उनसे मोटी रकम वसूलते हैं। सरकारी फीस के अतिरिक्त 3000 रुपये से 5000 रुपये तक की वसूली हो रही है।

आधिकारिक वर्जनमामला गंभीर है। ऑनलाइन सिस्टम कैसे बाईपास किया जा रहा है, इसकी जांच-पड़ताल की जाएगी। इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।-ब्रजेश नारायण सिंह, परिवहन आयुक्त

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