राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की आधारशिला पर हमारे लोकतंत्र का भवन निर्मित हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधारित ऐसी संस्थाओं का निर्माण किया। जिससे लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती मिली। हमारे लिए हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र सर्वोपरि है।’विभाजन की विभीषिका को न भूलें’ अतीत को देखते हुए, हमें देश के विभाजन से हुई पीड़ा को कदापि नहीं भूलना चाहिए। आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। विभाजन के कारण भयावह हिंसा देखी गई और लाखों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर किया गया। आज हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
‘न्याय, स्वतंत्रतता,समता और बंधुत्व- संविधान के चार मूल्य’प्यारे देशवासियों, हमारे संविधान में ऐसे चार मूल्यों का उल्लेख है, जो हमारे लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाए रखने वाले चार स्तंभ हैं। ये मूल्य हैं- न्याय, स्वतंत्रतता,समता और बंधुत्व। ये हमारी सभ्यता के ऐसे सिद्धांत हैं, जिन्हें हमने स्वाधीनता संग्राम के दौरान पुन: जीवंत बनाया। मेरा मानना है कि इन सभी मूल्यों के मूल में व्यक्ति की गरिमा की अवधारणा विद्यमान है।
सभी समान, सबके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार हो- राष्ट्रपतिप्रत्येक व्यक्ति समान है और सभी को यह अधिकार है कि उनके साथ गरिमापूर्ण व्यवहार हो। स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा-सुविधाओं तक, सभी की समान पहुंच होनी चाहिए। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए। जो लोग पारंपरिक व्यवस्था के कारण वंचित रह गए थे। उन्हें मदद की जरूरत थी। इन सिद्धांतों को सर्वोपरि रखते हुए हमने 1947 में हमने एक नई यात्रा शुरू की