यूपी : लखनऊ में बनने जा रहा शहर का पहला ‘बायो सीएनजी प्लांट’; गोबर और कूड़े की समस्या होगी दूर

यूपी : लखनऊ में बनने जा रहा शहर का पहला ‘बायो सीएनजी प्लांट’; गोबर और कूड़े की समस्या होगी दूर
लखनऊ में गोबर और हरे कचरे के निस्तारण के लिए शहर का पहला बायो सीएनजी प्लांट पीपीपी मॉडल पर बनाया जा रहा है। यहां रोज 200 टन गोबर-कचरे से 10 टन सीएनजी और 60 टन खाद बनेगी। कान्हा उपवन का गोबर उपयोग होगा।
लखनऊ में गोबर और सब्जी मंडियों से निकलने वाले कचरे की समस्या एक साल में समाप्त हो जाएगी। इसके लिए बायो सीएनजी प्लांट बनने जा रहा है। पीपीपी मॉडल पर लगने वाले इस प्लांट के लिए नगर निगम ने सरोजनीनगर क्षेत्र में निजी कंपनी को जमीन आवंटित कर दी है और बुधवार को राज्यपाल निर्माण को लेकर शिलान्यास करेंगी।प्लांट में कान्हा उपवन के गोवंशों का गोबर उपयोग कर सीएनजी गैस बनाई जाएगी। अभी कान्हा उपवन में करीब दस हजार गोवंश हैं और भविष्य में यह संख्या और बढ़नी है, क्योंकि नगर निगम अयोध्या रोड पर मनोरथा गोशाला बना रहा है। इसकी क्षमता करीब पांच हजार गोवंश की है।
यह छह महीने में शुरू होने वाला है। इससे प्लांट के लिए गोबर की कमी नहीं रहेगी। अभी गोबर निस्तारण बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिए बायो डाइजेस्टर बनाया गया है, मगर उसमें पशुओं की तादाद बढ़ने पर पूरे गोबर का निस्तारण कठिन होगा।
प्लांट में सड़ने वाले कचरे का भी उपयोग किया जाएगा। अभी इसका निस्तारण सही से नहीं हो पाता है। इसे देखते हुए अब नगर निगम बायो सीएनजी प्लांट लगाने जा रहा है। इसका निर्माण एक साल के अंदर पूरा होना है।
वहीं, नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि सीबीजी प्लांट लगने से गोबर की बड़ी समस्या हल हो जाएगी। फल और सब्जी मंडियों से निकलने वाले हरे कचरे का निस्तारण भी हो सकेगा।
हर दिन 10 टन बनेगी सीएनजी
नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान का कहना है कि प्लांट में हर दिन 200 टन गोबर और हरे कूड़े का निस्तारण हो सकेगा, जिससे हर रो 10 टन सीएनजी और करीब 60 टन खाद बनेगी। प्लांट लगाने पर करीब 100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। जिसे निजी कंपनी जेबीएम खर्च करेगी और जो गोबर नगर निगम देगा, उसका पैसा भी कंपनी नगर निगम को देगी। कंपनी को नगर निगम ने अमौसी में साढ़े सात एकड़ भूमि 20 साल के लिए लीज पर दी है।



