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यूपी में स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ता परिषद और पॉवर कॉर्पोरेशन आमने-सामने आ गए हैं। इस मामले में अब सीबीआई जांच की मांग हो रही है।

यूपी में स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ता परिषद और पॉवर कॉर्पोरेशन आमने-सामने आ गए हैं। इस मामले में अब सीबीआई जांच की मांग हो रही है।

प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मूल्य को लेकर चल रही लड़ाई तेज होती जा रही है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद और पाॅवर काॅर्पोरेशन प्रबंधन आमने-सामने हैं। दोनों एक दूसरे पर सवाल उठा रहे हैं। परिषद ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है तो काॅर्पोरेशन प्रबंधन पूरी कार्यवाही नियमों के तहत करने की दुहाई दे रहा है।

प्रदेश में नए कनेक्शन पर प्रीपेड स्मार्ट मीटर अनिवार्य कर दिया गया है। इस मामले को लेकर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में याचिका लगाई। आयोग काॅर्पोरेशन प्रबंधन को अवमानना नोटिस जारी कर चुका है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने परियोजना की कीमत 18885 करोड़ तय की थी, जिसका टेंडर 27342 करोड़ में किया गया।

इसकी सीबीआई जांच हो। उपभोक्ताओं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत 6016 रुपये ली जा रही है। 10 सितंबर से अब तक लगभग 20243 स्मार्ट प्रीपेड मीटर आधारित कनेक्शन जारी किए गए हैं, जिनमें से 12944 घरेलू सिंगल फेस कनेक्शन हैं।
इनमें एक किलोवाट के उपभोक्ता 4002 हैं। ऐसे में माहभर में मीटर के नाम पर 13.20 करोड़ की वसूली की जा चुकी है। यह नियमों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में 2500 रुपये में लग रहे हैं तो फिर उत्तर प्रदेश में 6016 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं? महाराष्ट्र और हरियाणा में दरें अधिक हैं तो वह मामला अदालत में लंबित है। इसी तरह हरियाणा में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने वाले को बिल में पांच फीसदी छूट मिलती है, जबकि उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो फीसदी। बिहार में मीटर लगाने वाली कंपनी ने एक आईएएस को कार दी थी, जिसे ईडी ने पकड़ लिया था। ऐसे में उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का अधिक मूल्य लेने वाले अधिकारियों की भी सीबीआई से जांच कराई जाए।

कास्ट डाटा बुक के तहत स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत देने का दावा

पाॅवर काॅर्पोरेशन प्रबंधन ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि नए कनेक्शन देने में विद्युत प्रदाय संहिता-2005 के तहत मीटर का शुल्क कास्ट डाटा बुक के अनुसार जमा कराना अनिवार्य है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर के शुल्क निर्धारण के लिए नियामक आयोग में पहले से ही प्रस्ताव दाखिल किया गया है। वर्तमान में वर्ष 2019 में अनुमोदित कास्ट डाटा बुक लागू है। उसमें प्रीपेड मीटर की दर 6016 है। पूर्व के प्रीपेड मीटर में संचार की व्यवस्था नहीं थी। वर्तमान के स्मार्ट प्रीपेड मीटर संचार के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। देश के अन्य राज्यों में भी नए कनेक्शन पर शुल्क लिया जा रहा है। प्रबंधन की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि असम में सिंगल फेज मीटर की कीमत 6490 रुपये, हरियाणा में 8415 रुपये और महाराष्ट्र में 5210 रुपये निर्धारित है। उपभोक्ताओं को यह शुल्क किस्त में देने की भी व्यवस्था है। पिछले दिनों स्मार्ट प्रीपेड मीटर के संबंध में विद्युत नियामक आयोग की ओर से जारी नोटिस का जवाब भी दिया जा रहा है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर कुछ संगठन गलत बयान जारी कर रहे हैं। इससे उपभोक्ता भ्रमित न हों। उन्होंने कहा कि कार्पोरेशन द्वारा पुराने कनेक्शन को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बदलने का कार्य भारत सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत निशुल्क किया जा रहा है। जिस पर उपभोक्ता से कोई भी शुल्क नहीं लिया जा रहा है।

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