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यूपी मुनाफे के लिए बेच रहे मौत: आसानी से बन जाता कफ सिरप, किडनी-लिवर पर करता सीधा असर; नशीले तत्व भी मिलाते सौदागर

यूपी मुनाफे के लिए बेच रहे मौत: आसानी से बन जाता कफ सिरप, किडनी-लिवर पर करता सीधा असर; नशीले तत्व भी मिलाते सौदागर

मुनाफे के लिए अल्कोहल की मात्रा बढ़ाकर व नशीले तत्व मिलाकर मौत के सौदागर कफ सिरप तैयार करते हैं। यह आसानी से बन भी जाता है। इसके लिए महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं होती है। यह किडनी व लिवर पर सीधा असर करता है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सिरप कई बच्चों की मौत का कारण बन गया। ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि दवा निर्माता कंपनियों से ऐसी गड़बड़ी कैसे हुई? इस पर राजधानी लखनऊ में विशेषज्ञों का कहना है कि अन्य दवाओं की अपेक्षा कफ सिरप में मिलावट आसान होती है। कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इसमें नशा बढ़ाने वाले तत्व भी मिला दिए जाते हैं।

खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के सूत्रों के मुताबिक, अन्य दवाओं के मुकाबले कफ सिरप तैयार करना आसान होता है। इसमें ज्यादा महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं होती है। यही वजह है कि हरियाणा, उत्तराखंड व दिल्ली-एनसीआर में कई कंपनियां इस काम में लगी हैं और मोटा मुनाफा कमा रही हैं।

नशे के लिए भी किया जाता इस्तेमाल

एफएसडीए सूत्रों ने बताया कि आमतौर पर कंपनियां नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों को कम मात्रा में मिलाती हैं। ऐसे में सिरप घटिया होने के बाद भी लोगों पर बुरा असर नहीं डालते और कारोबार धड़ल्ले से चलता रहता है। वर्ष 2023 में महराजगंज के रास्ते बिहार व नेपाल भेजी जा रही कफ सिरप की खेप पकड़ी गई थी। इसमें अल्कोहल की मात्रा अधिक पाई गई थी। इसे नशे के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, खांसी में इस्तेमाल होने वाले सिरप 75 फीसदी सांद्रता वाले होते हैं। इसमें ग्लूकोज, सुक्रोज और माल्टोडेक्सट्रिन का प्रयोग होता है। इसमें मिश्रण को गाढ़ा करने वाले तत्व मिलाए जाते हैं। इसकी मात्रा बढ़ने पर यह जहरीला हो जाता है। कुछ सिरप में ग्लिसरीन मिलाई जाती है। इससे दवा गाढ़ी और मीठी बनती है।

48 फीसदी तक मिलाई गई थी ग्लाइकॉल की मात्रा

अधिकारियों के मुताबिक, ग्लिसरीन की जगह जब डाईएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे केमिकल मिलाए जाते हैं तो वह जहरीला हो जाता है। ये केमिकल ब्रेक ऑयल, पेंट में इस्तेमाल होते हैं। मध्य प्रदेश की जांच रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है कि कफ सिरप में ग्लाइकॉल की मात्रा 48 फीसदी तक मिलाई गई थी।किडनी, लिवर पर ज्यादा असर
गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. अनिल गंगवार के मुताबिक, ग्लाइकॉल की मात्रा अधिक होने से किडनी और लिवर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इसी तरह नशा बढ़ाने के लिए अल्कोहल की मात्रा अधिक होने से भी लिवर व अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ता है। सिरप में घटिया सामग्री या मानक से अधिक सामग्री की मिलावट का असर तेजी से होता है। इससे अंग क्षतिग्रस्त होते हैं और जान तक चली जाती है। मध्य प्रदेश के केस में बच्चों की मौत में किडनी फेल होने की बात सामने आ रही है।

यूपी में चार माह में 19 दवाएं मिलीं नकली

उत्तर प्रदेश में अप्रैल से अगस्त के बीच करीब 6154 नमूनों की जांच की गई। इसमें सभी तरह की दवाएं थीं। जांच में दवाओं के 19 नमूने नकली पाए गए। इस पर संबंधित कंपनियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराके दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई गई। ऐसे ही 155 नमूनों में शामिल तत्व मानक के अनुरूप नहीं मिले। इन दवाओं की बिक्री भी रोककर कंपनियों को चेतावनी दी गई है। 70 नमूनों में पैकिंग व अन्य तरह की कमियां मिलीं।

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