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यूपी : बिजली बिल जमा किया किश्त में…अब नहीं मिल रही छूट; जानें किन बकायेदारों को मिलेगी छूट

यूपी : बिजली बिल जमा किया किश्त में…अब नहीं मिल रही छूट; जानें किन बकायेदारों को मिलेगी छूट

यूपी की बिजली बिल राहत योजना में सिर्फ वही उपभोक्ता छूट पा रहे हैं, जिन्होंने मार्च 2025 से पहले कोई भुगतान नहीं किया था। मार्च के बाद किश्त भरने वालों का ऑनलाइन पंजीकरण सिस्टम रिजेक्ट कर रहा है, जिसके चलते शिविरों में हंगामा और कर्मचारियों से नोकझोंक तक हुई।

लखनऊ में पावर कॉर्पोरेशन की बिजली बिल राहत योजना 2025 में उन बकायेदारों को छूट की मौज है, जिन्होंने दो-दो और तीन-तीन साल तक बिल को नहीं चुकाया। ऐसे बकायेदारों का 100 फीसदी ब्याज एवं बिल के मूलधन की 25 रकम माफ हो रही है। मगर, जिन बकायेदारों ने मार्च 2025 के बाद बाकी रकम की एक भी किश्त का भुगतान कर दिया तो वह इस योजना में छूट से वंचित कर दिए गए हैं।

दरअसल, प्रबंधन ने योजना में मार्च 2025 से पहले जिन बकायेदारों ने बिल जमा नहीं किया, उनको ही 100 फीसदी ब्याज एवं 25 फीसदी मूल बिल की रकम पर छूट का प्रावधान किया है। जिस बकायेदार ने मार्च 2025 के बाद अप्रैल, मई , जून आदि में किश्त में बिल जमा कर दिया उसका योजना में पंजीकरण नहीं हो रहा है।

बकायेदारों एवं कर्मियों में नोकझोंक, हंगामा

राजधानी के कई बिजली शिविरों एवं कार्यालयों में राहत योजना में बकायेदारों का पंजीकरण न होने के कारण कर्मियों से खूब नोकझोंक तक हुई। इस नोकझोंक के कारण राजाजीपुरम, दुबग्गा, माल, बीकेटी, अमेठी आदि के बिजली शिविरों एवं कार्यालयों में पंजीकरण का कार्य प्रभावित हुआ।बुधवार से बकायेदारों का बिजली शिविरों एवं कार्यालयों में पहुंचने का सिलसिला तेज हुआ है। बकायेदारों ने जब 2000 रुपये का शुल्क देकर पंजीकरण कराने का प्रार्थना-पत्र दिया तो बिलिंग के ऑनलाइन सिस्टम ने स्वीकार नहीं किया। प्रचार-प्रसार के अभाव में कर्मियों को भी इस सिलसिले में विस्तार से जानकारी भी नहीं मिल सकी। जिन बकायेदारों का पंजीकरण न हीं हो सकता, उन्होंने हंगामा तक किया।

उच्च प्रबंधन तक पहुंच चुकी समस्या

मुख्य अभियंता जानकीपुरम जोन लेसा वीपी सिंह ने बताया कि बिजली बिल राहत योजना 2025 में जिन बकायेदारों ने मार्च 2025 के पहले के बाकी बिल की रकम का मार्च 2025 के बाद अप्रैल, मई , जून, जुलाई आदि में एक भी किश्त जमा कर दी तो उनका पंजीकरण नहीं हो रहा है। इस समस्या के बारे में उच्च प्रबंधन को बताया जा चुका है।

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